(प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय राजव्यवस्था) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय) |
संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री के खिलाफ राज्यसभा में विशेषाधिकार हनन की शिकायत दर्ज कराई गयी। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी लोकसभा में विशेषाधिकार हनन की शिकायत की गयी थी।
विशेषाधिकार प्रस्ताव (Privilege Motion)
पेश करने का कारण
- यदि किसी संसद सदस्य को लगता है कि किसी (अन्य) सदस्य द्वारा संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन या दुरुपयोग किया गया है, तो राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के समक्ष विशेषाधिकार प्रस्ताव द्वारा शिकायत की जा सकती है।
- लोकसभा के लिए अध्याय 20 के नियम 222 और राज्यसभा के लिए अध्याय 16 के नियम 187 में विशेषाधिकार प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 105 में संसदीय विशेषाधिकारों (सामूहिक एवं व्यक्तिगत दोनों) का उल्लेख किया गया है।
आवश्यक शर्तें
- इस प्रस्ताव को दोनों सदनों में पेश किया जा सकता है। इसे पेश करने के लिए आवश्यक शर्तें निम्नलिखित हैं :
- संबंधित प्रश्न हालिया घटित किसी विशिष्ट मामले तक सीमित होना चाहिए।
- मामले में स्थायी समिति के हस्तक्षेप की आवश्यकता होनी चाहिए।
उद्देश्य
- विशेषाधिकार प्रस्ताव का उद्देश्य संसद और उसके सदस्यों की गरिमा एवं अधिकारों की रक्षा करना है।
- इस प्रक्रिया के माध्यम से सांसद सदन के सदस्य, अधिकारी या अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी ऐसे कार्य के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जिससे संसद के विशेषाधिकारों का उल्लंघन हुआ हो।
विशेषाधिकार हनन की जांच प्रक्रिया
प्रारंभिक जांच
प्रथम दृष्टया, प्रारंभिक जांच के बाद अध्यक्ष (या सभापति) ऐसे प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं।
विशेषाधिकार समिति द्वारा
- प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने के बाद इसे विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाता है जिसमें समय-समय पर अध्यक्ष (या सभापति) द्वारा नामित सदस्य शामिल होते हैं।
- विशेषाधिकार प्रस्ताव की जांच करने वाली समिति उसे उचित लगने वाली सिफारिशें कर सकता है।
- इस समिति को संबंधित व्यक्तियों को बुलाने और यदि कोई संबंधित दस्तावेज हो तो उसे देखने का भी अधिकार होता है।
- रिपोर्ट अधिकतम एक महीने के भीतर या अध्यक्ष/सभापति द्वारा सुझाई गई किसी प्रारंभिक तिथि पर प्रस्तुत की जाएगी।
विशेषाधिकार समिति
- यह संसद की एक स्थायी समिति होती है।
- यह सदन और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जाँच करती है तथा उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है।
- लोकसभा में इस समिति में 15 सदस्य होते हैं, जबकि राज्यसभा में इस समिति में 10 सदस्य होते हैं।
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सदन द्वारा विचार
समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, सदन सिफारिशों पर विचार कर सकता है और संशोधन का सुझाव दे सकता है।
दंडात्मक कार्रवाई
- यदि आरोपित सदस्य द्वारा विशेषाधिकारों का हनन सिद्ध हो जाता है, तो सदन द्वारा उसके प्रति कार्यवाही की जा सकती है।
- सदस्यों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की सिफारिश केवल चरम मामलों में की जाती है।