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स्तनपान : पोषण एवं लैंगिक समानता

प्रारंभिक परीक्षा

(राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे)

मुख्य परीक्षा 

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : महिला एवं बच्चों संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

स्तनपान केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं है। यह महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य, सामाजिक संरचना व लैंगिक समानता पर भी गहरा प्रभाव डालता है। स्तनपान को प्रोत्साहित करने और समर्थन देने से न केवल बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह लैंगिक समानता को भी प्रोत्साहित करता है।

स्तनपान के लाभ

  • स्वास्थ्य लाभ : स्तनपान से माँ व बच्चों दोनों को लाभ होता है क्योंकि यह बच्चों को आवश्यक पोषण व सुरक्षा प्रदान करता है। माताओं में यह वजन घटाने और स्तन कैंसर व डिम्बग्रंथि कैंसर (Ovarian Cancer) जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करता है तथा प्राकृतिक गर्भनिरोधक के रूप में कार्य करता है।
    • पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 45% मौतें कुपोषण के कारण होती हैं।
  • आर्थिक लाभ : स्तनपान से परिवार एवं समाज दोनों को आर्थिक लाभ होता है। स्तनपान से दूध खरीदने की लागत कम होती है, जिससे आर्थिक बोझ कम होता है। स्तनपान से शिशुओं का स्वास्थ्य भी अधिक होता है। 
    • स्तनपान न कराने से होने वाला आर्थिक नुकसान लगभग 257-341 बिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक होता है। 
    • वैश्विक पोषण लक्ष्य 2025 को पूरा करने के लिए प्रति नवजात शिशु 4.70 अमेरिकी डॉलर का निवेश आवश्यक है।
  • पर्यावरणीय लाभ : स्तनपान, पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है क्योंकि इसमें पैकेजिंग, प्रसंस्करण एवं परिवहन की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।
  • संज्ञानात्मक विकास : स्तनपान की अवधि के प्रभाव पर एक अध्ययन से पता चलता है कि लंबे समय तक केवल स्तनपान कराने से IQ (बुद्धिलब्धि) में सुधार होता है।

स्तनपान के कम प्रचलन के लिए जिम्मेदार कारक 

महिलाओं को घर, समुदाय या कार्यस्थल सहित सभी स्तरों पर स्तनपान कराने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसके निम्नलिखित कारण है : 

  • लैंगिक असमानताएँ
  • स्तनदूध के विकल्पों का अत्यधिक विपणन व प्रसार 
  • महिला आहार एवं स्वास्थ्य पर कम निवेश 
  • स्तनपान सुरक्षा पर नीतियों की कमी 
  • सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंड
    • स्तनपान कराने वाली महिलाएं वैश्विक स्तर पर वार्षिक लगभग 35.6 बिलियन लीटर दूध रिलीज़ करती हैं किंतु सांस्कृतिक बाधाओं व संरचनात्मक बाधाओं के कारण वर्तमान में 38.2% दूध नष्ट हो जाता है।
    • शहरीकरण की बढ़ती प्रवृति के कारण महिलाओं में स्तनपान को लेकर शर्मिंदगी की भावना और शारीरिक बनावट को लेकर चिंताएँ विकसित हो रही हैं।   
  • फॉर्मूला दूध का आकर्षक प्रचार
    • फॉर्मूला आधारित दूध के रणनीतिक एवं प्रेरक विज्ञापन महिलाओं के आत्मविश्वास और स्तनपान में विश्वास को कम करते हैं। फॉर्मूला दूध के प्रति महिलाओं का सकारात्मक दृष्टिकोण विपणन से संबंधित है। 

लैंगिक समानता पर प्रभाव

  • कामकाजी माताओं का समर्थन : स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए कार्यस्थल पर उचित व्यवस्था करने (जैसे- स्तनपान कक्ष एवं लचीली कार्य अवधि) से महिलाओं को कार्य एवं मातृत्व के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
  • पिता की भागीदारी : स्तनपान के प्रति समर्थन से पिता भी बच्चों की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं। यह पारिवारिक जिम्मेदारियों को समान रूप से बांटने में मदद करता है। 
    • स्तनपान एवं मातृत्व अवकाश के प्रावधानों को प्रभावित करने वाले कारकों पर भारत के एक गुणात्मक अध्ययन के अनुसार स्तनपान का समर्थन करने में पिता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। 
  • सामाजिक मान्यताएँ : स्तनपान को सामान्य एवं स्वाभाविक मानने से समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में सहायक है।

स्तनपान से संबंधित विभिन्न देशों एवं संगठनों की पहल

  • ऑस्ट्रेलिया द्वारा विकसित ‘दि मदर्स मिल्क टूल’ (The Mothers' Milk Tool) महिलाओं के अवैतनिक देखभाल कार्य के माध्यम से समाज के लिए स्तनपान के आर्थिक मूल्य को दर्शाता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ एवं कई स्वास्थ्य मंत्रालयों व नागरिक समाज भागीदारों द्वारा समर्थित विश्व स्तनपान सप्ताह प्रतिवर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। 
    • वर्ष 2024 में इसका विषय ‘अंतर को कम करना : सभी के लिए स्तनपान समर्थन’ है।  
    • यह सतत विकास लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन), 3 (अच्छा स्वास्थ्य एवं कल्याण), 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), 5 (असमानताओं में कमी), और 11 (सतत शहर व समुदाय) को प्राप्त करने के लिए 'अस्तित्व, स्वास्थ्य एवं कल्याण' के विषयगत क्षेत्र के साथ संरेखित असमानताओं को कम करने के लिए स्तनपान के लिए समर्थन का आह्वान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के वर्ष 2000 के अभिसमय के अनुसार, ‘एक महिला को अपने बच्चे को स्तनपान कराने के लिए एक या एक से अधिक दैनिक अवकाश या कार्य अवधि में दैनिक कमी का अधिकार प्रदान किया जाएगा’।
  • ‘स्तन-दूध के विकल्पों का विपणन : अंतर्राष्ट्रीय संहिता का राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयन स्थिति रिपोर्ट, 2024' के अनुसार 194 देशों में से 146 के पास स्तन-दूध के विकल्पों के विपणन की अंतर्राष्ट्रीय संहिता का समर्थन करने के लिए कानूनी उपाय हैं।
  • यूनिसेफ के अनुसार, निम्न-मध्यम-आय एवं उच्च-आय वाले देशों में स्तनपान की दर अलग-अलग हैं। यह दर स्वाभाविक रूप से उन देशों में अधिक हैं जिनके पास स्तनपान के लिए सुरक्षा, समर्थन व बढ़ावा देने के लिए नीतियां एवं कार्यक्रम हैं 
  • नॉर्वे में माता-पिता को 49 सप्ताह का पैतृक अवकाश मिलता है। साथ ही, स्तनपान कराने वाली माताओं को 30 मिनट के दो स्तनपान अवकाश भी मिलते हैं। 

स्तनपान से संबंधित भारत सरकार की पहल

  • भारत के मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में वर्ष 2017 में संशोधन किया गया, जिसमें 26 सप्ताह का भुगतान सहित मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाता है।
  • माँ (Mothers Absolute Affection : MAA) : यह 5 अगस्त, 2016 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक गहन कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य स्तनपान को बढ़ावा देने पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करना है। 
  • वात्सल्य-मातृ अमृत कोष (Vatsalya-Maatri Amrit Kosh) : इसके तहत नॉर्वे सरकार की मदद से नेशनल ह्यूमन मिल्क बैंक तथा स्तनपान परामर्श केंद्र की स्थापना की गई है।

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए सुझाव 

  • शिक्षा एवं जागरूकता : स्तनपान के लाभों के बारे में जागरूकता का प्रसार आवश्यक है। इसके लिए सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर कार्य करना होगा।
  • नीतियां एवं कानून : स्तनपान को समर्थन देने के लिए सरकार को नीतियां व कानून का निर्माण करना चाहिए, जो कामकाजी माताओं के अधिकारों की रक्षा कर सके और उन्हें आवश्यक संसाधन प्रदान कर सके।
    • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 830 मिलियन कामकाजी महिलाओं को पर्याप्त मातृत्व सुरक्षा नहीं प्राप्त होती है।
  • सामाजिक समर्थन : महिलाओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करने और उनका समर्थन करने के लिए एक सहायक वातावरण बनाने के साथ-साथ परिवार एवं समुदाय का समर्थन भी महत्वपूर्ण है। 
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