(प्रारंभिक परीक्षा: विषय- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन: प्रश्नपत्र-2 : महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश)
संदर्भ
हाल ही में, ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअली बैठक संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने की। ब्रिक्स की 15वीं वर्षगाँठ के अवसर पर संपन्न इस बैठक में मंत्रियों ने राजनयिक और शांतिपूर्ण तरीकों से आतंकवाद और ईरान परमाणु समझौते के मुद्दे का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के अपने संकल्प के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण एवं सुधार पर बल दिया।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर बल
21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने और करोड़ो लोगों की आकाँक्षाओं को प्रतिबिंबित करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र के प्रधान अंगों; अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओ में सुधार पर बल दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना में सुधार
- कोविड-19 महामारी के बाद अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना को मज़बूत करने के उद्देश्य से मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक निर्णय लेने और मानदंड निर्धारण प्रक्रियाओं में उभरते बाज़ारों और विकासशील देशों की भागीदारी को व्यापक और सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की।
- बैठक में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की कोटा की 15वीं सामान्य समीक्षा के अंतर्गत कोटा एवं प्रशासनिक सुधारों की विफलता पर निराशा व्यक्त की गई तथा 16वीं सामान्य समीक्षा को 15 दिसंबर, 2023 तक समय पर एवं सफलतापूर्वक पूर्ण करने का आह्वान किया।
- इसके अतिरिक्त, मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक में भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिये खुली एवं योग्यता आधारित प्रक्रिया के पालन का सुझाव दिया।
व्यापार एवं विकास
- बैठक में कोविड-19 महामारी से निपटने के मद्देनज़र मंत्रियों ने दवाओं, टीकों, आवश्यक स्वास्थ्य उत्पादों एवं प्रोद्योगिकी के वितरण के संबंध में बहुपक्षवाद की आवश्यकता पर बल दिया।
- बैठक के इस संकल्प को भारत एवं दक्षिण अफ्रीका के संबंध में विश्व व्यापार संगठन में कोविड-19 टीकों एवं दवाओं के उत्पादन को नियंत्रित करने वाले पेटेंट की छूट के प्रस्ताव के संदर्भ में समझा जा सकता है।
- मंत्रियों ने कोविड-19 के टीके सभी को उपलब्ध कराने के लिये सभी प्रासंगिक उपायों का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसमें कोविड-19 वैक्सीन के संबंध में विश्व व्यापार संगठन में बौद्धिक संपदा अधिकार छूट पर चल रहे विचार का समर्थन करना शामिल है।
- कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में सुधार के लिये त्वरित आर्थिक परिवर्तन को महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में देखा जा रहा है। इस संदर्भ में मंत्रियों ने विश्व व्यापार संगठन के संबंध में एक पारदर्शी, नियम आधारित, मुक्त, समावेशी, और गैर भेदभावपूर्ण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिये अपने समर्थन की पुष्टि की।
- विश्व व्यापार संगठन द्वारा मुक्त एवं भेदभाव रहित व्यापार के लिये विशेष उपाय किये गए हैं। अतः बैठक में संगठन के सदस्य देशों को एकतरफा एवं संरक्षणवादी उपायों से बचने की सलाह दी गई, क्योंकि यह विश्व व्यापार संगठन की भावना एवं नियमों के विपरीत है।
- इसके साथ ही बैठक में सभी अपीलीय निकाय के सदस्यों की शीघ्र नियुक्ति एवं संगठन की विवाद निपटान प्रणाली के सामान्य कामकाज की पुनर्बहाली सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया।
वैश्विक स्वास्थ्य
- मंत्रियों ने वर्तमान वैश्विक चुनौतियों, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी, के समय में देशों के मध्य सहयोग को बढ़ाने का महत्त्वपूर्ण अवसर माना।
- इसके साथ ही मंत्रियों ने कोविड-19 महामारी एवं अन्य वर्तमान तथा भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की नीतिगत प्रक्रियाओं में सुधार पर भी बल दिया।
अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा
बैठक में शस्त्र नियंत्रण, निरस्त्रीकरण, अप्रसार संधियों एवं समझौतों को सुदृढ़ करने और वैश्विक स्थिरता तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिये निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया गया।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग एवं अन्य वैश्विक संगठन
- मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र और G-20 सहित सभी प्रासंगिक बहुपक्षीय मंचों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनो में सहयोग और समन्वय के माध्यम से बहुपक्षीय प्रणाली को मज़बूत करने और उसमें सुधार करने पर भी बल दिया।
- बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प का उल्लेख करते हुए सुरक्षा परिषद् में सुधार का आह्वान किया गया।
- इसके अतिरिक्त, इसमें महासभा के पुनरुद्धार पर भी बल दिया गया ताकि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार इसकी भूमिका एवं अधिकारों में वृद्धि की जा सके। साथ ही, इसमें आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् को सुदृढ़ करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की गई
ब्रिक्स संगठन
- ब्रिक्स पाँच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका का समूह है। ये देश लगभग 42% वैश्विक जनसँख्या, लगभग 23% वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद, 30% भू-भाग तथा लगभग 18% वैश्विक व्यापार का प्रतिधित्व करते हैं।
- ‘ब्रिक’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 2001 गोल्डमैन सैस नामक अंतर्राष्ट्रीय फर्म के प्रमुख अर्थशास्त्री जिम ओ नील ने तत्कालीन उभरती अर्थव्यवस्थाओ के संदर्भ में किया गया था। उस समय इसमें ब्राजील, रूस, भारत एवं चीन (BRIC) को शामिल किया गया था।
- इन चार देशों (ब्राज़ील, रूस, भारत एवं चीन) ने वर्ष 2006 से एक समूह के रूप में मिलना प्रारंभ किया तथा वर्ष 2009 से इसकी नियमित वार्षिक बैठकें हो रही हैं। इस समूह में वर्ष 2010 में साऊथ अफ्रीका के प्रवेश के बाद यह ब्रिक्स (BRICS) के नाम से जाना जाने लगा।
- अभी तक ब्रिक्स के कुल 12 सम्मलेन हो चुके हैं। इसका 12वां सम्मलेन रूस की अध्यक्षता में कोविड-19 महामारी के कारण वर्चुअली रूप से आयोजित किया गया था।
- 13वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की मेज़बानी भारत को सौंपी गई है। वर्ष 2012 एवं 2016 के बाद भारत की अध्यक्षता में आयोजित होने वाला यह ब्रिक्स का तीसरा शिखर सम्मलेन होगा।