प्रारंभिक परीक्षा
(समसामियक घटनाक्रम, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
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संदर्भ
22 से 24 अक्तूबर, 2024 तक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन रूस के कज़ान शहर में किया गया। इस सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यू.ए.ई. के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन सहित 20 से अधिक देशों के नेताओं ने भाग लिया।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, 2024 के बारे में
- संस्करण : यह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का 16वाँ संस्करण है।
- थीम : ‘न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को सुदृढ़ करना’ (Strengthening Multilateralism For Just Global Development And Security)
- आयोजन : 22 से 24 अक्तूबर, 2024 के मध्य रूस के कजान शहर में।
- प्रमुख सदस्य : 9 सदस्य देश (रूस, चीन, भारत, ईरान, मिश्र, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, इथियोपिया)
- अन्य भागीदार देश : कुल 13 देश (अल्जीरिया, बेलारूस, बोलीविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, तुर्की, युगांडा, उज्बेकिस्तान एवं वियतनाम)
- चर्चा के मुद्दे : बहुपक्षवाद को मजबूत करना, आतंकवाद का मुकाबला करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को दूर करना प्रमुख मुद्दे रहे।
- समापन : ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का समापन ‘कजान घोषणा’ के साथ हुआ।
- कजान घोषणा पत्र में वर्ष 2025 में ब्राजील को ब्रिक्स अध्यक्षता और XVII ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए ब्राजील को पूर्ण समर्थन दिया गया।
ब्रिक्स के बारे में
- परिचय : ब्रिक्स विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है। ब्रिक्स की परिकल्पना मूलतः गैर-पश्चिमी देशों के एक समूह के रूप में की गई थी, जो विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं के प्रतिकार के रूप में कार्य कर सकता है, जिन पर ग्लोबल नॉर्थ का प्रभुत्व है।
- अवधारणा : मूल रूप से वर्ष 2001 में BRIC शब्द ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ'नील द्वारा ब्राजील, रूस, भारत एवं चीन देशों के समूह के लिए प्रस्तुत किया गया था।
- प्रारंभिक चरण : पहली बार BRIC देशों (ब्राजील, रूस, भारत व चीन) के विदेश मंत्रियों ने सितंबर 2006 में संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के दौरान न्यूयॉर्क में बैठक की।
- प्रथम सम्मेलन : 16 जून, 2009 को BRIC समूह का पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन येकातेरिनबर्ग (रूस) में आयोजित किया गया।
- वर्ष 2012 में भारत द्वारा पहली बार ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की गई थी।
- नामकरण : वर्ष 2010 में दक्षिण अफ्रीका द्वारा इस समूह में शामिल होने के बाद से इसका नाम ब्रिक्स (BRICS) कर दिया गया।
- सदस्यता : कुल 9 देश (संस्थापक सदस्य : चीन, भारत, ब्राजील, रूस)
- दक्षिण अफ्रीका को वर्ष 2010 में इस समूह में शामिल किया गया।
- नए सदस्य : 1 जनवरी, 2024 से चार नए सदस्य मिश्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात एवं ईरान औपचारिक रूप से ब्रिक्स में शामिल हो गए हैं।
- NDB की स्थापना : वर्ष 2015 में ब्रिक्स समूह ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की।
- ब्रिक्स देशों का वैश्विक प्रभाव :
- वैश्विक आबादी के 43% भाग का प्रतिनिधित्व करता है।
- वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 35% का योगदान देता है।
- वैश्विक भूमि क्षेत्र के 32% हिस्से को कवर करता हैं।
- वैश्विक निर्यात में ब्रिक्स सदस्य देशों का हिस्सा 20% है।
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कजान घोषणा के प्रमुख बिंदु
(I) अधिक न्यायपूर्ण एवं लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना
- आपसी सम्मान व समझ, संप्रभु समानता, एकजुटता, लोकतंत्र, खुलेपन, समावेशिता, सहयोग एवं आम सहमति की ‘ब्रिक्स भावना’ के लिए प्रतिबद्धता।
- वैश्विक शासन सुधार पर G-20 कॉल टू एक्शन को स्वीकार किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार के लिए 2023 जोहान्सबर्ग II घोषणा को मान्यता।
- एज़ुल्विनी सर्वसम्मति व सिर्ते घोषणा में परिलक्षित अफ्रीकी देशों की वैध आकांक्षाओं को मान्यता।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के साथ नियम-आधारित, खुले, पारदर्शी, निष्पक्ष, पूर्वानुमेय, समावेशी, न्यायसंगत, गैर-भेदभावपूर्ण, आम सहमति-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए समर्थन।
- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क अभिसमय (UNFCCC) के क्योटो प्रोटोकॉल और इसके पेरिस समझौते का समर्थन करना।
- कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन सहित जैव विविधता संरक्षण के महत्व की पुष्टि की गई।
- भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण एवं सूखे की चुनौतियों का समाधान करने के लिए वित्तीय संसाधनों, मजबूत भागीदारी और एकीकृत नीतियों के तत्काल प्रावधान का आह्वान।
- एकतरफा आर्थिक प्रतिबंधों के उन्मूलन का आह्वान।
- नस्लवाद, नस्लीय भेदभाव, ज़ेनोफ़ोबिया और संबंधित असहिष्णुता के साथ-साथ धर्म, आस्था या विश्वास के आधार पर भेदभाव तथा दुनिया भर में उनके सभी समकालीन रूपों के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
(II)- वैश्विक व क्षेत्रीय स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए सहयोग बढ़ाना
- कूटनीति, मध्यस्थता, समावेशी वार्ता और समन्वित व सहयोगात्मक तरीके से परामर्श के माध्यम से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
- गाजा पट्टी में व्यापक व स्थायी युद्धविराम की तत्काल आवश्यकता पर बल।
- दक्षिण अफ्रीका द्वारा इजरायल के खिलाफ शुरू की गई कानूनी कार्यवाही में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अनंतिम उपायों को स्वीकार किया गया।
- संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन राज्य की पूर्ण सदस्यता के लिए समर्थन की पुनः पुष्टि और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों तथा अरब शांति पहल सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित द्वि-राज्य समाधान के दृष्टिकोण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता।
- बेरूत में हैंडहेल्ड संचार उपकरणों को विस्फोट करने के पूर्व नियोजित आतंकवादी कृत्य की निंदा।
- अफ्रीकी समस्याओं के लिए अफ्रीकी समाधान सिद्धांत को अफ्रीकी महाद्वीप पर संघर्ष समाधान के आधार का समर्थन किया गया।
- क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता को मजबूत करने के लिए अफगानिस्तान में तत्काल शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर बल।
- बाह्य अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता और बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ और इसके शस्त्रीकरण की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए समर्थन।
- अवैध वित्तीय प्रवाह, मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण, मादक पदार्थों की तस्करी, भ्रष्टाचार और अवैध और आतंकवादी उद्देश्यों के लिए क्रिप्टोकरेंसी सहित नई तकनीकों के दुरुपयोग पर रोक का समर्थन।
- डिजिटल प्लेटफार्मों पर कट्टरपंथ और संघर्षों को बढ़ावा देने वाले अभद्र भाषा के तेजी से प्रसार और प्रसार पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई।
- ‘ब्रिक्स सीमा पार भुगतान पहल’ (BCBPI) के अनुरूप स्थानीय मुद्राओं में निपटान को सक्षम करने को प्रोत्साहित करने पर बल।
- एक स्वतंत्र सीमा पार निपटान और डिपॉजिटरी बुनियादी ढांचे, ‘ब्रिक्स क्लियर’ की स्थापना की व्यवहार्यता पर चर्चा और अध्ययन करने के लिए सहमति।
- ब्रिक्स देशों के वित्तीय क्षेत्र के साइबर लचीलेपन को और मजबूत करने के लिए पहले सीमा पार ‘ब्रिक्स रैपिड इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी चैनल अभ्यास’ का समर्थन।
- ‘ब्रिक्स ग्रेन एक्सचेंज’ के भीतर अनाज (वस्तुओं) व्यापार मंच स्थापित करने और इसे अन्य कृषि क्षेत्रों में विस्तारित करने की रूसी पक्ष की पहल का स्वागत किया गया।
- नई औद्योगिक क्रांति के लिए भागीदारी (Part NIR) का BRICS में एक मार्गदर्शक मंच के रूप में कार्य का समर्थन।
- AI विषय पर परामर्श को प्रोत्साहन, जिसमें AI पर स्थापित ब्रिक्स इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूचर नेटवर्क्स (BIFN) अध्ययन समूह के माध्यम से परामर्श शामिल है।
- ब्रिक्स के विचारों, ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए ब्रिक्स जलवायु अनुसंधान मंच (BCRP) की स्थापना पर जोर।
- समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा और जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता पर बल।
- किम्बरली प्रक्रिया को एकमात्र वैश्विक अंतर-सरकारी प्रमाणन योजना के रूप में समर्थन।
- संक्रामक रोगों के जोखिमों को रोकने के लिए ब्रिक्स एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के विकास और ब्रिक्स टीबी अनुसंधान नेटवर्क के संचालन का समर्थन।
- परमाणु चिकित्सा पर ब्रिक्स कार्य समूह की स्थापना के निर्णय का स्वागत।
- ब्रिक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान नेटवर्क के शुभारंभ का समर्थन।
- 2023 स्कुकुजा घोषणा और 2024 कज़ान घोषणा में ब्रिक्स शिक्षा मंत्रियों द्वारा सहमत परामर्श प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ब्रिक्स डिजिटल शिक्षा सहयोग तंत्र की स्थापना का समर्थन।
- 18 अगस्त को ब्रिक्स भूगोलवेत्ता दिवस को वार्षिक व्यावसायिक अवकाश के रूप में स्थापित करने की पहल की सराहना।
- अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट्स एलायंस बनाने की भारत की पहल को मान्यता।
(III)- सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए लोगों के बीच आदान-प्रदान को मजबूत करना
- आपसी समझ, मित्रता और सहयोग बढ़ाने में ब्रिक्स देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान के महत्व पर जोर।
- कृषि, वित्त और निवेश, बुनियादी ढांचे, परिवहन और रसद, डिजिटल अर्थव्यवस्था, ऊर्जा विनिर्माण और सतत विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल की गतिविधियों का समर्थन।
- ब्रिक्स महिला व्यापार गठबंधन के प्रयासों की सराहना।
- ब्रिक्स थिंक टैंक नेटवर्क के शुभारंभ का स्वागत।
- सिविल ब्रिक्स परिषद की स्थापना का समर्थन।
ब्रिक्स सम्मेलन, 2024 के महत्वपूर्ण निहितार्थ
- भारत एवं चीन के मध्य 5 वर्ष बाद महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता
- 20 से अधिक देशों के नेताओं की भागीदारी
- 30 से अधिक देशों द्वारा ब्रिक्स समूह से जुड़ने का प्रस्ताव
- रूस-युक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर
- इजराइल एवं फिलिस्तीन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के द्वि-राज्य सिद्धांत का समर्थन
- वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली बनाने का प्रयास
- ग्लोबल साउथ एवं बहुपक्षवाद को समर्थन
भारतीय प्रधानमंत्री की रूस यात्रा के बारे में
भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित करने के साथ ही मेजबान राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ औपचारिक रूप से द्विपक्षीय वार्ता भी की।
भारत-रूस द्विपक्षीय वार्ता
- द्विपक्षीय वार्ता में यूक्रेन युद्ध, रक्षा संबंधों, रूसी सेना में सेवारत भारतीय नागरिकों व परमाणु ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई।
- पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन संकट को समाप्त करने के लिए ‘सभी संभव सहायता’ प्रदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया।
- इस वार्ता में कजान में भारत के महावाणिज्य दूतावास खोलने का फैसले किया गया है।
- पीएम मोदी की विगत 3 माह में रूस की यह दूसरी यात्रा है, जो दोनों देशों के मध्य करीबी समन्वय व गहरी मित्रता को दर्शाती है।
भारत-चीन द्विपक्षीय वार्ता
- इस वार्ता में दोनों देशों ने परिपक्वता एवं आपसी सम्मान प्रदर्शित करके ‘शांतिपूर्ण व स्थिर’ संबंधों की दिशा में काम करने पर सहमति जताई।
- वार्ता में सीमा संबंधी मतभेदों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति व स्थिरता को भंग न करने देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।
- यह बैठक पूर्वी लद्दाख में LAC पर दोनों देशों की सेनाओं द्वारा गश्त करने के मामले में एक समझौते की बड़ी सफलता मिलने के बाद हुई।
भारत-यूएई द्विपक्षीय वार्ता
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नाह्यान ने भारत व यू.ए.ई. के बीच द्विपक्षीय संबंधों को अधिक मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।
- वार्ता के दौरान, व्यापार, निवेश और सामरिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श हुआ।
- लाखों भारतीय प्रवासी से अरबों रुपए की विदेशी मुद्रा, बड़ी मात्रा में कच्चे तेल के आयात के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां पर निवेश की घोषणा करने वाला यूएई पहला प्रभावशाली मुस्लिम राष्ट्र है।
भारत-ईरान द्विपक्षीय वार्ता
- ईरानी राष्ट्रपति के साथ बैठक में पीएम मोदी ने चाबहार बंदरगाह, उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे व अफ़गानिस्तान की स्थिति पर चर्चा की।
- पीएम मोदी ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में बढ़ते संघर्ष पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत के आह्वान को दोहराया तथा बातचीत व कूटनीति की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत के लिए ब्रिक्स सम्मेलन, 2024 का महत्त्व
- वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण मंच : भारत ब्रिक्स के भीतर घनिष्ठ सहयोग को महत्व देता है, जो वैश्विक विकास एजेंडा, सुधारित बहुपक्षवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण, सांस्कृतिक व लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है।
- वैश्विक संतुलन : भारत ब्रिक्स को एक ऐसा मंच मानता है जो वैश्विक शक्ति संतुलन में विविधता व बहुलता को प्रोत्साहित करता है। ब्रिक्स की सदस्यता भारत की बहुपक्षवाद की नीति के अनुरूप है तथा वैश्विक दक्षिण को अधिक सशक्त आवाज देने का प्रयास है।
- वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली : भारत ब्रिक्स के ढाँचे के तहत आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए वैश्विक डॉलर केंद्रित व्यवस्था से अलग एक नई मुद्रा व्यवस्था या वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली बनाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
- रूस व चीन के बीच अब लगभग 95% व्यापार रूबल और युआन में होता है।
- समावेशिता व विस्तार : ब्रिक्स में नए सदस्यों को जोड़ने से इसकी समावेशिता और वैश्विक कल्याण के लक्ष्य को अधिक मजबूती मिली है, जिसे भारत एक सकारात्मक कदम मानता है।
- बहुपक्षीय संबंध : भारत ब्रिक्स को लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी व एशियाई देशों के साथ बहुपक्षीय संबंध बनाने के लिये एक मंच के रूप में देखता है।
- भारतीय मुद्दों को प्राथमिकता : आर्थिक सहयोग का विस्तार, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार समझौता, सतत विकास, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को दूर करने के लिए मिशन LiFE, समाज में हाशिए पर स्थित वर्गों के डिजिटल समावेशन, वित्तीय समावेशन की दिशा में काम करना आदि को सम्मेलन द्वारा प्रोत्साहन मिला है।
- भारतीय आवश्यकताओं की पूर्ति : ब्रिक्स की भारत के खाद्यान्न व ऊर्जा सुरक्षा संबंधी मुद्दों को संबोधित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
आगे की राह
- ब्रिक्स अब तक अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य नहीं कर पाया है, जिसका कारण सदस्यों के बीच आंतरिक मतभेद हैं। उदाहरण के लिए, भारत-चीन और रूस-चीन सीमा विवाद। इसीलिए भविष्य में समूह के सदस्यों के मध्य आपसी मतभेदों को दूर करना आवश्यक है।
- अपनी तात्कालिक प्राथमिकताओं के साथ-साथ ब्रिक्स सदस्यों को अपने लगातार बढ़ते एजेंडे और विषमताओं के कारण उभरी गहरी संरचनात्मक चुनौतियों का भी समाधान करना होगा। उन आकांक्षी देशों को भी संबोधित करना होगा जो ब्रिक्स में शामिल होना चाहते हैं और एक नई वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की शुरुआत का सफल प्रयास करना चाहिए।
- भारत के लिए सभी ब्रिक्स सदस्यों के साथ संबंधों को संतुलित करने और व्यापक भू-राजनीतिक तनावों को दूर करने की क्षमता इसकी बेहतरीन कूटनीति का प्रमाण है।