New
IAS Foundation Course (Pre. + Mains) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM | Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM | Call: 9555124124

हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर उन्मुख ब्रिटेन

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: विषय-द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

  • ब्रिटिश विदेश रक्षा नीति के हाल के एक दस्तावेज़ के अनुसार, चीन के वैश्विक प्रभुत्व को कम करने के लिये अब ब्रिटेन भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिये प्रयासरत है।
  • यह अनुमान भी लगाया जा रहा है कि वैश्विक स्तर पर क्वाड की भूमिका बढ़ने के कारण कई देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाह रहे हैं।

प्रमुख बिंदु

  • इस दस्तावेज़ को शीत युद्ध के बाद ब्रिटेन की विदेश और रक्षा नीति की सबसे बड़ी समीक्षा माना जा रहा है।
  • यह दस्तावेज़ वैश्विक सुरक्षा से जुड़े खतरों का सामना करने के लिये ब्रिटेन के परमाणु हथियारों में एक नियोजित वृद्धि की बात करता है। साथ ही, यह रूस को शीर्ष क्षेत्रीय खतरे के रूप में चिह्नित करते हुए अमेरिका के साथ मज़बूत संबंधों के महत्त्व को भी रेखांकित करता है।
  • इसके अनुसार, ब्रिटिश सरकार को विश्व के नए भू-राजनीतिक केंद्र ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र’ में एक ब्रिटिश हवाई अड्डा भी स्थापित करना चाहिये।
  • यह दस्तावेज़ ब्रिटिश प्रधानमंत्री द्वारा क्षेत्रीय सहयोग और मुक्त व्यापार के क्षेत्र में संभावित कदमों की पड़ताल भी करता है।

चीन के बारे में क्या कहता है यह दस्तावेज़?

  • दस्तावेज़ के अनुसार, यद्यपि चीन और यू.के. दोनों को द्विपक्षीय व्यापार और निवेश से लाभ होता है, लेकिन चीन, ब्रिटेन की आर्थिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा भी है।
  • विश्व की 6वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावज़ूद ब्रिटेन, आर्थिक और सैन्य रूप से चीन से बहुत पीछे है।
  • पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश हांगकांग के प्रति चीन के रुख के कारण भी ब्रिटेन और चीन के संबंधों में कड़वाहट आई है।

भारत के संबंध में दस्तावेज़

  • दस्तावेज़ के अनुसार भारत यू.के. के लिये एक अनिवार्य साझेदार है।
  • भारत का ‘कुशल श्रम व तकनीकी क्षेत्र’ एवं बड़ा बाज़ार ब्रिटेन के लिये अत्यंत लाभदायक है, विशेषकर तब जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हुआ है।
  • भारत विश्व का सबसे तेज़ी से उभरता दूरसंचार बाज़ार भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिमाह लगभग 20 मिलियन लोग दूरसंचार सेवाओं से जुड़ते हैं।
  • ‘केबल.को.यू.के.’ (cable.co.uk) के अनुसार भारत में प्रति जी.बी. डाटा की कीमत 0.09$ है, जो विश्व में सबसे सस्ता है। भारत अब 5G की ओर भी तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, अतः दूरसंचार बाज़ार में चीन को पीछे छोड़ने के लिये ब्रिटेन को भारत के सहयोग की आवश्यकता भी होगी।

पूर्व में ब्रिटेन का भारत के प्रति दृष्टिकोण

  • कुछ दिनों पूर्व ब्रिटेन के थिंक-टैंक 'रॉयल ​​इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स' ने अपनी रिपोर्ट में भारत को चीन, सऊदी अरब और तुर्की के साथ ‘डिफिकल्ट फोर देशों’ (Difficult Four Countries) के रूप में सूचीबद्ध किया था।
  • इस रिपोर्ट में यू.के. के कम होते प्रभाव की बात की गई थी। साथ ही, रिपोर्ट में कहा गया था कि यू.के. सरकार को भारत से आर्थिक या कूटनीतिक किसी भी प्रकार का फायदा होने की संभावना नहीं है।
  • यद्यपि रिपोर्ट में इस तथ्य को स्वीकार किया गया था कि भारत इस दशक में कभी भी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और रक्षा बजट वाला देश बन सकता है।
  • रिपोर्ट में प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की लोकतांत्रिक देशों का ‘क्‍लब डी 10’ बनाने की पहल की भी आलोचना की गई थी और भारत द्वारा पश्चिमी कैंप में शामिल होने से बचने की बात पर विशेष ज़ोर दिया गया था।
  • तंज़ कसते हुए कहा गया था कि भारत ने शीत युद्ध के समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्‍व किया और वर्ष 2017 में औपचारिक रूप से चीन और रूस के नेतृत्‍व वाले ‘शंघाई सहयोग संगठन’ में शामिल हो गया।
  • इसके अलावा, भारत के आश्चर्यजनक कूटनीतिक व्‍यवहार पर निशाना साधते हुए कहा गया था कि चीन के साथ सीमा पर हुई झड़पों के बावजूद भारत उन देशों के समूह में शामिल नहीं हुआ, जिन्होंने शि‍नजियांग में मानवाधिकार उल्‍लंघन को लेकर जुलाई 2019 में संयुक्त राष्ट्र के भीतर चीन की आलोचना की थी। भारत ने हांगकांग में नए सुरक्षा कानून के पारित होने की आलोचना भी नहीं की।
  • ध्यातव्य है कि ब्रिटिश औपनिवेशिक शासनकाल की विरासत लगातार दोनों देशों के रिश्‍तों में रुकावट बनती रही है। इसके मुकाबले अमेरिका भारत का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार बन गया है। 

भारत-ब्रिटिश संबंधों के सकारात्मक पहलू

  • भारत और यू.के. के मध्य पर्याप्त सांस्कृतिक जुड़ाव भी रहा है। ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग पंद्रह लाख लोग रहते हैं।
  • कोविड-19 से पूर्व प्रतिवर्ष भारत से ब्रिटेन जाने वाले पर्यटकों की संख्या पाँच लाख थी और ब्रिटेन से भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या इसकी लगभग दोगुनी थी।
  • साथ ही, परास्नातक के बाद रोज़गार के प्रतिबंधात्मक अवसरों के बावजूद ब्रिटेन में लगभग 30,000 भारतीय छात्र अध्ययन करते हैं। ब्रिटेन, भारत में शीर्ष निवेशकों में से एक है और भारत, ब्रिटेन में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक व प्रमुख रोज़गार प्रदाता है।

व्यापार में बाधा

  • ब्रेक्ज़िट के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार में बाधा उत्पन्न होने की संभावना है क्योंकि दोनों देशों का निर्यात मुख्य रूप से सेवा-उन्मुख है।
  • पेशेवरों के लिये मुक्त आवाजाही के जवाब में ब्रिटेन अप्रवासियों के लिये अपनी नई प्वाइंट-बेस्ड सिस्टम का उपयोग करेगा, जबकि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से हटने के बाद भारत किसी भी नए व्यापार समझौते पर बातचीत करने को लेकर सतर्क है और निर्यात के स्रोत तथा मूल्यवर्धन के प्रतिशत से संबंधित पहलुओं पर अधिक से अधिक ज़ोर दे रहा है।
  • ब्रिटेन के साथ भविष्य में व्यापारिक समझौते में संभवतः फार्मास्यूटिकल्स, वित्तीय प्रौद्योगिकी, रसायन, रक्षा उत्पादन, पेट्रोलियम और खाद्य उत्पादों जैसे कुछ क्षेत्रों पर समझौता किया जा सकता है।

आगे की राह

  • ब्रिटेन के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र और भारत इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ब्रेक्ज़िट के बाद इसे उच्च विकास दर वाले एशियाई देशों से वाणिज्यिक व व्यापारिक संबंध मज़बूत करना आवश्यक हो गया है।
  • भारत वर्ष 2007 से यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते की कोशिश कर रहा है, जिसमें मुख्य बाधा ब्रिटेन द्वारा ही पैदा की गई थी। अतः यह संभावना है कि भविष्य में भारत यूरोपीय संघ से व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ने के सापेक्ष ब्रिटेन के साथ सहयोग के क्षेत्रों में विस्तार भी कर पाएगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR