चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ब्राउन कार्बन ‘टारबॉल’ (Brown Carbon ‘Tarballs’) हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने की गति को और तेज़ कर रहे हैं।
ब्राउन कार्बन 'टारबॉल' क्या हैं?
- टारबॉल प्रकाश अवशोषित करने वाले छोटे कार्बनयुक्त कण हैं, जो वर्तमान में हिमालयी क्षेत्रों में जमी बर्फ पर बड़ी मात्रा में जमा हो रहे हैं।
- ये टारबॉल मुख्यतः जीवाश्म ईंधनों के जलने के दौरान उत्सर्जित ब्राउन कार्बन से बने होते हैं।
- ध्यातव्य है कि जीवाश्म ईंधनों के जलने से ब्लैक कार्बन भी उत्सर्जित होता है और वह भी ब्राउन कार्बन के सामान ही प्रदूषक होता है।
- इन टारबॉल के औसत आकार क्रमशः 213 और 348 नैनोमीटर पाए गए हैं।
अध्ययन के मुख्य बिंदु
- पूर्व के अध्ययनों के अनुसार अभी तक ब्लैक कार्बन के ही हिमालयी वायुमंडल में प्रवेश करने की घटना सामने आई थी।
- नए अध्ययनों से पता चला है कि भारत-गंगा के मैदानी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गेहूं के अवशेषों को जलाने की वजह से उत्पन्न प्रदूषक विशेषकर ब्राउन कार्बन, मैदान से हिमालय की ओर चलने वाली हवाओं के द्वारा बड़ी मात्रा में हिमालयी क्षेत्रों में पहुँच रहा है।
- हिमालयी क्षेत्रों में टारबॉल का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है और यह ग्लेशियरों के पिघलने व वैश्विक तापन की गति को और ज़्यादा तेज़ कर रहा है।