जीव वैज्ञानिकों ने महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में जलपिस्सू (Waterflea) की एक नई प्रजाति की खोज की गई है।
खोजी गई नई प्रजाति के बारे में
- परिचय : जल पिस्सू छोटे क्रस्टेशियन जीव होते हैं जो पानी में मौजूद शैवाल को खाते हैं। यह जीव आमतौर पर झीलों, नदियों व तालाबों में रहते हैं किंतु इनमें से कुछ ने अपने आप को जमीन पर पानी की पतली परतों में पनपने और विकसित करने के लिए अनुकूलित कर लिया है।
- खोज स्थल : यह प्रजाति महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में पुराने किलों की दीवारों और सीढ़ियों पर काई लगे गीले स्थानों पर देखी गई है।
- नामकरण : इस प्रजाति का नामकरण भारत के नाम पर ‘ब्रायोस्पिलस भरतिकस’ (Bryospilus bharaticus) किया गया है।
- यह ओरिएंटल क्षेत्र में वर्णित अपनी जीनस (वंश) की पहली प्रजाति है।
- विशेषताएं : शोध के मुताबिक यह काई पर मोटे, मलबे भरे पानी में रेंगने के लिए अपने एंटीना का सहारा लेती है। इन एंटीना में बड़े-बड़े कांटें होते हैं, जो इसे आगे बढ़ने में मदद करती हैं।
- खोजी हई इस प्रजाति ने अन्य जल पिस्सूओं के विपरीत अपने तैरने की क्षमता खो दी है। हालांकि यह तैरने की जगह काई जमा पानी की पतली परतों के माध्यम से रेंगती है।
- चूंकि यह जीव बेहद कम रोशनी में रहते हैं, इसलिए इनके पास मुख्य आंखें नहीं होती है। इसलिए इन्हें अपना भोजन खोजने के लिए रंगों को देखने की आवश्यकता नहीं होती।
- जोखिम : शोधकर्ताओं के अनुसार हड्डी रहित यह जीव अपने पर्यावरण में होने वाले बड़े बदलावों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं।
महत्व
- वैज्ञानिकों के अनुसार यह संभवतः गोंडवाना से जुड़ा एक पुरातन जीव है, जिसके करीबी अन्य प्रजातियाँ अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, न्यूजीलैंड और अब भारत जैसे स्थानों में मौजूद हैं।
- शोध के मुताबिक यह भारत में अब तक खोजे गए सबसे छोटे जीवों में से एक है।