New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

संकट काल में बजट का स्वरुप

(प्रारंभिक परीक्षा- आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, सरकारी बजट)

आगामी बजट की चुनौतियाँ

  • राजकोषीय घाटा- अगला बजट 01 फ़रवरी, 2021 को पेश किया जायेगा। महामारी ने विकास और संवृद्धि को बुरी तरह से प्रभावित किया है। राजकोषीय घाटा राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम द्वारा निर्धारित लक्ष्य को पार कर सकता है।
  • बेरोजगारी में वृद्धि- इसके अतिरिक्त इस बार के बजट में अधिक खर्च करना थोड़ा मुश्किल कार्य है। भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र के अनुसार, ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में वृद्धि होती जा रही है और स्वास्थ्य व बुनियादी ढाँचा में बजट को बढ़ाया जा रहा है।

पॉल क्रूगमैन का सिद्धांत

  • सरकारी खर्च लाभकारी- नोबल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने बजट बनाने के नियमों को निर्धारित किया है। पहला नियम है कि सरकार की मदद करने की शक्ति पर संदेह नहीं करना चाहिये क्योंकि सरकारी खर्च बेहद फायदेमंद हो सकता है।
  • उदाहरणस्वरुप ‘किफायती देखभाल अधिनियम’ ने स्वास्थ्य बीमा न लेने वाले अमेरिकियों की संख्या में कमी के साथ लोगों को सुरक्षा का अहसास दिलाया है।
  • क़र्ज़ : एक विकल्प- दूसरा नियम कहता है कि क़र्ज़ से परेशान होने या उसमें उलझने की आवश्यकता नहीं है। पारंपरिक ज्ञानके विपरीत अर्थशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि ऋण एक बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि अब ब्याज दरें कम हैं और कर्ज उतारने का बोझ अपेक्षाकृत कम है।
  • मुद्रास्फीति के साथ संतुलन- तीसरे नियम के अनुसार मुद्रास्फीति के बारे में अत्यधिक चिंता नहीं करनी चाहिये। बेलगाम और अति मुद्रास्फीति के बिना कम बेरोजगारी दर और बड़े बजट घाटे के साथ भी किसी अर्थव्यवस्था को अच्छे से चलाया जा सकता है।

भारतीय संदर्भ और सुझाव

  • स्वास्थ्य जी.डी.पी. में वृद्धि- भारत की जी.डी.पी. ₹200 लाख करोड़ अनुमानित है, जिसकी पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचा होना चाहिये। भारत में प्रति 10,000 भारतीयों पर केवल पाँच बिस्तर उपलब्ध हैं और मानव विकास रिपोर्ट, 2020 में बिस्तर की उपलब्धता के हिसाब से भारत 155वें स्थान पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को स्वास्थ्य देखभाल खर्च को जी.डी.पी. के 5% से बढ़ा कर 2.5% तक करना चाहिये।
  • बुनियादी ढाँचे पर खर्च- राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन का लक्ष्य विभिन्न परियोजनाओं में वर्ष 2025 तक ₹111 लाख करोड़ का निवेश करना है। साथ ही, एक विकास वित्त संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव अभी भी हाशिये पर है। बुनियादी ढाँचे पर खर्च का आर्थिक उत्पादन पर एक बड़ा गुणक प्रभाव हो सकता है।
  • शहरी रोज़गार पर ध्यान- मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोज़गार गारंटी योजना की शुरूआत का भी सुझाव है, जो प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण से कहीं बेहतर होगा।
  • कर में कमी और विनिवेश- ईंधन की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बावजूद ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गई है। वस्तु और सेवा कर राजस्व का एक बड़ा स्रोत रहा है। इसके बावजूद जी.एस.टी. टैरिफ को कम किये जाने की आवश्यकता है। हालाँकि, सुपर-रिच पर उपकर या अधिभार लगाया जा सकता है।
  • साथ ही, विनिवेश में तेज़ी लेन के साथ-साथ वर्ष 2024 तक औसत टैरिफ को मौजूदा 14% के स्तर से 10% पर लाया जाना चाहिये।

निष्कर्ष

कॉरपोरेट कर की दरों को कम करना, कंपनियों और व्यक्तियों दोनों के लिये एक निश्चित मौद्रिक सीमा तक कर की दर को चुनने का विकल्प, राजस्व का बलिदान किये बिना ‘विवाद से विश्वास योजना’ की शुरूआत और मुद्रास्फीति में तेजी के बिना राजकोषीय प्रोत्साहन बजट निर्माण के लिये सही दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR