बजट के बारे में
- संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, बजट को सरकार का वार्षिक वित्तीय विवरण कहा जाता है। हालांकि, संविधान में ‘बजट’ शब्द का उल्लेख नहीं किया गया है।
- यह एक वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण होता है।
- केंद्रीय बजट को राजस्व बजट (सरकार के कर और गैर-कर राजस्व प्राप्तियों और व्यय सहित) और पूंजीगत बजट (सरकार की पूंजीगत प्राप्तियों और भुगतानों सहित) में वर्गीकृत किया जाता है।
बजट की तैयारी
- वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग, बजट तैयार करने के लिए जिम्मेदार नोडल निकाय है।
- बजट मुख्य रूप से विभिन्न विभागों/मंत्रालयों और अपने अधीनस्थ आकलन प्राधिकरणों से प्राप्त व्यय और प्राप्तियों के विस्तृत अनुमान के आधार पर तैयार किया जाता है।
- बजट नकद आधार पर तैयार किया जाता है (यानी एक वित्तीय वर्ष के दौरान उचित मंजूरी के तहत वास्तव में जो भी प्राप्त या भुगतान होने की उम्मीद है)।
बजट का प्रस्तुतिकरण
- प्रत्येक वित्तीय वर्ष में राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण प्रस्तुत करवाते हैं।
- संसद में बजट केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दो भागों में प्रस्तुत किया जाता है, भाग ए और बी।
- भाग ए: यह बजट का व्यापक आर्थिक हिस्सा है, जिसमें सरकार की विभिन्न योजनाओं और प्राथमिकताओं की घोषणा की जाती है, और विभिन्न क्षेत्रों को धन का आवंटन किया जाता है।
- भाग बी: यह वित्त विधेयक से संबंधित होता है, जिसमें आयकर संशोधन और अप्रत्यक्ष कर जैसे कराधान प्रस्ताव शामिल होते हैं।
प्रमुख बजट दस्तावेज
- वित्त मंत्री के बजट भाषण के अलावा, निम्नलिखित दस्तावेज संसद में प्रस्तुत किए जाते हैं :
- वार्षिक वित्तीय विवरण (अनुच्छेद 112 के तहत)
- अनुदान की मांगें (अनुच्छेद 113 के तहत)
- वित्त विधेयक (अनुच्छेद 110 के तहत)
- एफआरबीएम अधिनियम के तहत अनिवार्य राजकोषीय नीति वक्तव्य-
- मैक्रो-इकोनॉमिक फ्रेमवर्क स्टेटमेंट।
- मध्यम अवधि की राजकोषीय नीति एवं रणनीति वक्तव्य।
बजट प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है:-
- प्रथम चरण में संसद में बजट पेश किया जाता है। (राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से वित्त मंत्री द्वारा)
- दोनों सदनों में बजट पर सामान्य चर्चा होती है।
- स्थायी समितियाँ अलग-अलग मंत्रियों की अनुदान मांगों की जाँच करती हैं।
- लोकसभा में अनुदान मांगों पर विस्तृत चर्चा और मतदान होता है।
- अंतिम चरण में विनियोग और वित्त विधेयक पारित किया जाता है।
अंतरिम बजट
- चूंकि 2024 चुनावी वर्ष था, इसलिए इस सामान्य बजट से पहले इस वर्ष फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया गया था।
- यह एक अल्पकालिक वित्तीय योजना होती है जो चुनावों तक सरकारी खर्चों को कवर करती है।
- सामान्य बजट के विपरीत, जिसमें राजस्व, व्यय, आवंटन और नीति वक्तव्यों सहित सरकारी वित्त के हर पहलू को शामिल किया जाता है, अंतरिम बजट केवल नई सरकार के गठन तक सरकार के अनुमानित राजस्व और व्यय को रेखांकित करता है।
- अंतरिम बजट के हिस्से के रूप में, संसद एक वोट-ऑन-अकाउंट पारित करती है।
- वोट ऑन अकाउंट: संविधान के अनुच्छेद 116 के अनुसार, वोट ऑन अकाउंट तत्काल व्यय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत के समेकित कोष से सरकार को अग्रिम भुगतान का प्रतिनिधित्व करता है।
वित्त मंत्री के बजट भाषण में अंतरिम बजट की चर्चा
- अंतरिम बजट में 4 मुख्य समूहों 'गरीब', 'महिलाएं', 'युवा' और 'अन्नदाता' पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
- अन्नदाता के लिए एक महीना पहले सभी मुख्य फसलों के लिए उच्चतर न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा करके लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत मार्जिन देने का वायदा पूरा किया गया है।
- प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा।
|
बजट 2024-25 की प्रमुख विशेषताएं
- 23 जुलाई 2024 को संसद में प्रस्तुत, यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सातवां बजट है, इससे पहले उन्होंने एक अंतरिम बजट और पांच पूर्णकालिक बजट पेश किए हैं।
- इस बजट में चार मुख्य वर्गों ‘महिला, अन्नदाता, गरीब एवं युवा’ पर मुख्य ध्यान केन्द्रित किया गया है।
- बजट में ‘रोजगार, कौशल प्रशिक्षण, एमएसएमई एवं मध्यम वर्ग’ को मुख्य विषयों के रूप में चुना गया है।
बजट भाग-1
बजट की प्राथमिकताएं
वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट में सभी के लिए भरपूर अवसर का सृजन करने के लिए निम्नलिखित 9 प्राथमिकताओं के संबंध में सतत प्रयासों की परिकल्पना की गई है।
- कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता
- रोजगार और कौशल प्रशिक्षण
- समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय
- विनिर्माण और सेवाएं
- शहरी विकास
- ऊर्जा सुरक्षा
- अवसंरचना
- नवाचार, अनुसंधान और विकास
- अगली पीढ़ी के सुधार
प्राथमिकता 1: कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता
- परिवर्तनकारी कृषि अनुसंधान
- सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु के अनुकूल किस्मों के विकास पर जोर देने के लिए कृषि अनुसंधान व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करेगी।
- किसानों की खेतीबाड़ी के लिए 32 कृषि और बागवानी फसलों की नई 109 उच्च पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएंगी।
- अगले दो वर्षों में पूरे देश में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि के लिए सहायता दी जाएगी जिसमें प्रमाण-पत्र और ब्रांडिंग व्यवस्था भी शामिल होगी।
- इसका कार्यान्वयन वैज्ञानिक संस्थाओं और इच्छुक ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाएगा। 10,000 आवश्यकता आधारित जैव-आदान संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- दलहनों और तिलहनों में आत्मनिर्भर बनने के लिए, इन फसलों के उत्पादन, भंडारण और विपणन को सुदृढ़ बनाएंगे।
- सब्जी उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला
- प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों के नजदीक बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।
- उपज के संग्रहण, भंडारण और विपणन सहित सब्जी आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए किसान-उत्पादक संगठनों, सहकारी समितियों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देंगे।
- कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना
-
-
- सरकार, 3 वर्षों में किसानों और उनकी जमीन को शामिल करने के उद्देश्य से राज्यों के साथ मिलकर कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को लागू करने में सहायता करेगी।
- इस वर्ष, डीपीआई का उपयोग करते हुए 400 जिलो में खरीफ का डिजिटल फसल सर्वेक्षण किया जाएगा।
- 6 करोड़ किसानों और उनकी जमीन के ब्यौरे को किसान और जमीन की रजिस्ट्री में दर्ज किया जाएगा।
प्राथमिकता 2: रोजगार और कौशल प्रशिक्षण
- रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन
- सरकार प्रधान मंत्री पैकेज के भाग के रूप में ‘रोजगार संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए निम्नलिखित 3 योजनाओं को लागू करेगी। ये ईपीएफओ (EPFO) में नामांकन तथा पहली बार रोजगार पाने वालों को अभिचिह्नित करने तथा कर्मचारियों और नियोक्ताओं को सहायता प्रदान करने पर आधारित होंगे।
- योजना क: पहली बार रोजगार पाने वाले
-
-
- इस योजना में सभी औपचारिक क्षेत्रों में कामगारों के रूप में शामिल होने वाले सभी नवनियुक्त व्यक्तियों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा।
- ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार रोजगार पाने वाले कर्मचारियों को एक महीने के वेतन का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण तीन किस्तों में किया जाएगा, जो अधिकतम 15,000 होगा।
- इस योजना के अंतर्गत पात्रता सीमा 1 लाख का मासिक वेतन होगा। इस योजना से 2.10 करोड़ युवाओं के लाभान्वित होने की आशा है।
-
- योजना खः विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन
-
-
- इस योजना में विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहन दिया जाएगा जो पहली बार रोजगार पाने वालों के रोजगार से जुड़ा है।
- सीधे कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को विनिर्दिष्ट पैमाने पर रोजगार के पहले चार वर्षों में ईपीएफओ में उनके अंशदान के संबंध में प्रोत्साहन दिया जाएगा।
- इस योजना से पहली बार रोजगार पाने वाले 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं के लाभान्वित होने की आशा है।
-
- योजना गः नियोक्ताओं को सहायता
-
-
- नियोक्ताओं पर केंद्रित इस योजना में सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार को शामिल किया जाएगा।
- 1 लाख रुपए प्रतिमाह के वेतन के भीतर सभी अतिरिक्त रोजगारों की गणना की जाएगी।
- सरकार, प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के संबंध में नियोक्ताओं के ईपीएफओ अंशदान के लिए उन्हें 2 वर्षों तक 3,000 प्रतिमाह की प्रतिपूर्ति करेगी।
- इस योजना से 50 लाख व्यक्तियों को अतिरिक्त रोजगार प्रोत्साहन मिलने की आशा है।
- कामगारों में महिलाओं की भागीदारी
- उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिला हॉस्टलों और शिशु गृहों की स्थापना करके कामगारों में महिलाओं की अधिक भागीदारी को सुविधाजनक बनाएं जाएंगे।
- इसके अतिरिक्त, इस साझेदारी में महिला विशिष्ट कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने और महिला स्व-सहायता समूह उद्यमियों के लिए बाजार तक पहुँच को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे।
- कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम
- 5 वर्षों की अवधि में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- परिणाम उन्मुख दृष्टिकोण के साथ हब और स्पोक व्यवस्था में 1,000 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों का उन्नयन किया जाएगा।
- हब और स्पोक मॉडल एक प्रणाली है जो मार्गों के एक नेटवर्क को सरल बनाती है। यह यात्रियों और माल ढुलाई दोनों के लिए वाणिज्यिक विमानन में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
- उद्योग की कौशल संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम की विषय-वस्तु और फ्रेमवर्क तैयार की जाएंगी और नई उभरती जरूरतों के लिए नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे।
- कौशल प्रशिक्षण ऋण
- सरकार संवर्धित निधि की गारंटी के साथ 7.5 लाख तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मॉडल कौशल ऋण योजना को संशोधित किया जाएगा।
- इस उपाय से प्रतिवर्ष 25,000 छात्रों को सहायता मिलने की आशा है।
- शिक्षा ऋण
- सरकार की योजनाओं और नीतियों के अधीन किसी लाभ के लिए पात्र नहीं होने वाले युवाओं की सहायता करने के लिए, घरेलू संस्थानों में उच्चतर शिक्षा के लिए 10 लाख तक के ऋण हेतु एक वित्तीय सहायता की घोषणा की गई है।
- इस उद्देश्य के लिए प्रति वर्ष 1 लाख विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से ऋण राशि के 3 प्रतिशत वार्षिक ब्याज छूट के लिए ई-वाउचर दिए जाएंगे।
- इसके अलावा, 5 राज्यों में जन समर्थ आधारित किसान क्रेडिट कार्ड जारी कराए जाएंगे।
- झींगा उत्पादन और निर्यात
- झींगा ब्रूङ-स्टॉक्स के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग केंद्रों का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
- झींगा खेती, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए नाबार्ड के माध्यम से वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति
- सरकार सहकारी क्षेत्र के प्रणालीगत, व्यवस्थित और चहुँ मुखी विकास के लिए राष्ट्रीय सहकारी नीति लाएगी।
- इस नीति का लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में तेजी लाना और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन करना होगा।
- इस वर्ष कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है।
प्राथमिकता 3: समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय
- परिपूर्णता दृष्टिकोण
- समग्र रूप से सामाजिक न्याय प्राप्त करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रमों सहित विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सभी पात्र लोगों को शामिल करने के लिए परिपूर्णता दृष्टिकोण को अपनाया जाएगा, ताकि उनकी क्षमताओं में सुधार करके उनका सशक्तीकरण किया जा सके।
- शिल्पकारों, कारीगरों, स्व-सहायता समूहों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, महिला उद्यमियों और स्ट्रीट वेडरों के आर्थिक कार्यकलापों में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधान मंत्री विश्वकर्मा, प्रधान मंत्री स्वनिधि, राष्ट्रीय आजीविका मिशनों और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लायी जाएगी।
- पूर्वोदय योजना
- देश के पूर्वी भाग के राज्य प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध हैं और इन राज्यों की सांस्कृतिक परम्पराएं सुदृढ़ हैं।
- बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करते हुए देश के पूर्वी क्षेत्र के चहुँमुखी विकास के लिए पूर्वोदय नामक योजना तैयार की जाएगी।
- इस योजना में मानव संसाधन विकास, अवसंरचना और आर्थिक अवसरों का सृजन शामिल किया जाएगा, ताकि यह क्षेत्र विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अग्रणी भूमिका निभाए।
- अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा
- इस गलियारे के संबंध में, गया में औद्योगिक केंद्र के विकास में सहायता प्रदान करेंगे।
- इस गलियारे से पूर्वोत्तर क्षेत्र के औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- गया का यह औद्योगिक केन्द्र सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण भारतीय प्राचीन केंद्रों को आधुनिक अर्थव्यवस्था के भविष्य के केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए एक अच्छा मॉडल बनेगा।
- इस मॉडल से हमारी विकास यात्रा में “विकास भी विरासत भी” प्रतिबिम्बित होगा।
- बिहार में निवेश
- 26,000 करोड़ की लागत से पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे, बोधगया, राजगीर, वैशाली और दरभंगा सड़क संपर्क परियोजनाओं के विकास और बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन वाला एक अतिरिक्त पुल बनाने के लिए भी सहायता दी जाएगी।
- 21,400 करोड़ की लागत से विद्युत परियोजनाएं आरंभ की जाएंगी जिसमें पिरपैंती में 2400 मेगावाट के एक नए विद्युत संयंत्र की स्थापना करना भी शामिल है।
- बिहार में नए हवाई अड्डों, मेडिकल कॉलेजों और खेलकूद अवसंरचना का निर्माण भी किया जाएगा।
- आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम
- सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए समन्वित प्रयास किए हैं।
- चालू वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ और आगामी वर्षों में अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था की जाएगी।
- सरकार पोलावरम सिंचाई परियोजना, जो आंध्र प्रदेश और यहां के किसानों की जीवन-रेखा है, का वित्तपोषण करके इसे जल्दी पूरा करने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत, औद्योगिकी विकास को बढ़ावा देने के लिए, विशाखापत्तनम–चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद–बेंगलुरू औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में पानी, बिजली, रेलवे और सड़कों जैसी आवश्यक अवसंरचनाओं के लिए निधियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
- इस अधिनियम में यथा उल्लिखित रायलसीमा, प्रकाशम और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के लिए भी अनुदान प्रदान किए जाएंगे।
- पीएम आवास योजना
- प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत, देश में ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में तीन करोड़ अतिरिक्त मकानों की घोषणा की गई है, जिसके लिए आवश्यक आबंटन किए जा रहे हैं।
- महिला-संचालित विकास
- महिला-संचालित विकास को बढ़ावा देने के लिए, इस बजट में महिलाओं और बालिकाओं को लाभ देने वाली योजनाओं हेतु 3 लाख करोड़ से अधिक के आबंटन की व्यवस्था की गई है।
- यह आर्थिक विकास में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत है।
- प्रधान मंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान
- जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए, केंद्र सरकार जनजातीय-बहुल गांवों और आकांक्षी जिलों में सभी जनजातीय परिवारों का पूर्ण कवरेज करते हुए प्रधान मंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान की शुरूआत करेंगी।
- इसमें 63,000 गांव शामिल होंगे, जिससे 5 करोड़ जनजातीय लोगों को लाभ मिलेगा।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में बैंक शाखाएं
- बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारतीय डाक भुगतान बैंक की 100 से अधिक शाखाएं स्थापित की जाएंगी।
- इस वर्ष, बजट में ग्रामीण अवसंरचना सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ का प्रावधान रखा गया है।
प्राथमिकता 4: विनिर्माण और सेवाएं
- एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सहायता
- इस बजट में एमएसएमई और विनिर्माण, विशेषकर श्रम-प्रधान विनिर्माण की ओर विशेष ध्यान दिया गया है।
- विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना
- सम्पार्श्विक अथवा तृतीय पक्ष गारंटी के बिना मशीनरी और उपकरण की खरीद के लिए एमएसएमई को आवधिक ऋण की सुविधा देने के लिए एक ऋण गारंटी योजना प्रारंभ की जाएगी।
- यह योजना ऐसे एमएसएमई के ऋण जोखिमों की पूलिंग के आधार पर संचालित होगी।
- प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ तक का गारंटी कवर देने के लिए एक पृथक स्व-वित्त गारंटी निधि बनाई जाएगी, जबकि ऋण की राशि इससे अधिक हो सकती है।
- एमएसएमई ऋण के लिए नया आकलन मॉडल
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऋण के लिए एमएसएमई के आकलन हेतु बाहरी आकलन के भरोसे रहने की बजाए अपनी इन-हाउस क्षमता का निर्माण करेंगे।
- वे एमएसएमई के डिजिटल फुटप्रिंटों के अंकों के आधार पर एक नया ऋण आकलन मॉडल विकसित करने अथवा विकसित करवाने में अग्रणी भूमिका भी निभाएंगे।
- संकट की अवधि के दौरान एमएसएमई को ऋण सहायता
- एमएसएमई को उनके संकट की अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था की घोषणा हुई है।
- सरकार द्वारा संवर्धित निधि से गारंटी द्वारा ऋण उपलब्धता में सहायता की जाएगी।
- मुद्रा ऋण
- मुद्रा ऋणों की सीमा को उन उद्यमियों के लिए मौजूदा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दिया जाएगा जिन्होंने ‘तरुण’ श्रेणी के अंतर्गत ऋण लिया है और पहले के ऋणों को सफलतापूर्वक चुका दिया है।
- ट्रेड्स में अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए और अधिक संभावना
- एमएसएमई को उनकी व्यापार प्राप्तियों को नगद के रूप में बदलकर उनकी कार्य पूंजी को अनलॉक करने की सुविधा देने के लिए, खरीददारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ से घटाकर 250 करोड़ करने का प्रस्ताव किया गया है।
- यह उपाय 22 CPSEs तथा 7000 कंपनियों को इस प्लेटफॉर्म पर ले आएगा।
- मध्यम उद्यमों को भी आपूर्तिकर्ता के दायरे में शामिल किया जाएगा।
- एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी की शाखाएं
- सिडबी 3 वर्षों के भीतर सभी प्रमुख एमएसएमई क्लस्टरों को सेवाएं देने हेतु अपनी पहुँच बढ़ाने के लिए नई शाखाएं खोलेगी और उन्हें सीधे ऋण देगी।
- फूड इरेडिएशन(Food Irradiation), गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयां
- एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- NABL (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) मान्यता वाली 100 खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र
- एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
- एक निर्बाध विनियामक और लॉजिस्टिक फ्रेमवर्क के अंतर्गत, ये केंद्र एक छत के नीचे व्यापार और निर्यात संबंधी सेवाओं की सुविधा प्रदान करेंगे।
- शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप
- प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत 5वीं योजना के रूप में, सरकार 500 शीर्ष कंपनियों में 5 वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने के लिए एक व्यापक योजना की शुरूआत करेगी।
- उन्हें रियल-लाइफ व्यवसाय वातावरण, विभिन्न व्यवसायों और रोजगार के अवसरों के लिए 12 महीनों का अनुभव मिलेगा।
- इस योजना में 5,000 प्रतिमाह का इंटर्नशिप भत्ता और 6,000 की एकबारगी सहायता दी जाएगी।
- कंपनियों से प्रशिक्षण लागत और इंटर्नशिप लागत का 10 प्रतिशत अपनी सीएसआर निधियों से वहन करने की अपेक्षा की जाएगी।
- औद्योगिक पार्क
- सरकार नगर आयोजना से संबंधित योजनाओं का बेहतर उपयोग करके राज्यों और निजी क्षेत्र की साझेदारी से 100 शहरों में या उसके आस-पास संपूर्ण अवसंरचना के साथ निवेश हेतु तैयार “प्लग एंड प्ले” औद्योगिक पार्कों को विकसित करने में सहायता करेगी।
- राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत बारह औद्योगिक पार्कों को मंजूरी दी जाएगी।
- किराए का आवास
- औद्योगिक कामगारों के लिए VGF सहायता और एंकर उद्योगों की प्रतिबद्धता के साथ पीपीपी मोड में डोरमेट्री जैसे आवास वाले किराए के मकानों की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- पोत-परिवहन उद्योग
- भारतीय पोत-परिवहन उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ाने तथा अधिक रोजगार सृजित करने के लिए स्वामित्व, पट्टे और फ्लैगिंग सुधारों को लागू किया जाएगा।
- महत्वपूर्ण खनिज मिशन
- सरकार महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन, रिसाइक्लिंग और विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज आस्तियों का अधिग्रहण करने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन स्थापित करेगी।
- इसके अधिदेश में प्रौद्योगिकी विकास, कुशल कार्यबल, विस्तारित उत्पादक दायित्व फ्रेमवर्क, तथा उपयुक्त वित्तीय तंत्र शामिल होंगे।
- खनिजों का अपतटीय खनन
- सरकार पहले से किये गए खोज के आधार पर खनन के लिए अपतटीय ब्लॉकों के पहले भाग की नीलामी शुरू करेगी।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना अनुप्रयोग
- सेवा क्षेत्र की ओर बढ़ते हुए, निजी क्षेत्र द्वारा उत्पादकता लाभों, व्यवसाय अवसरों तथा नवाचार के लिए आबादी के पैमाने पर डीपीआई अनुप्रयोग विकसित करने का प्रस्ताव लाया गया है।
- इनकी योजना ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, विधि और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई, सेवा सुपुर्दगी और शहरी अभिशासन के क्षेत्रों में बनाई गई है।
- आईबीसी इको-सिस्टम के लिए एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म
- दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के अंतर्गत परिणामों को बेहतर बनाने तथा निरंतरता, पारदर्शिता, समयोचित प्रसंस्करण तथा बेहतर पर्यवेक्षण हेतु सभी हितधारकों के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म तैयार किया जाएगा।
- एलएलपी का स्वैच्छिक क्लोजर
- एलएलपी के स्वैच्छिक क्लोजर हेतु सेंटर फॉर प्रोसेसिंग एक्सिलेरेटेड कॉरपोरेट एक्जिट (सी-पेस) की सेवाएं प्रदान की जाएंगी ताकि क्लोजर के समय को कम किया जा सके।
- राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण
- आईबीसी ने 1000 से अधिक कंपनियों का समाधान किया है, जिसके परिणामस्वरूप ऋणदाताओं को 3.3 लाख करोड़ से अधिक की प्रत्यक्ष वसूली हुई है।
- इसके अलावा, 10 लाख करोड़ से अधिक वाले 28,000 मामलों को स्वीकार होने से पहले ही निपटा दिया गया है।
- दिवाला समाधान में तेजी लाने के लिए आईबीसी में उपयुक्त बदलाव, अधिकरणों और अपीलीय अधिकरणों में सुधार किए जाएंगे और उनका सुदृढ़ीकरण किया जाएगा।
- ऋण वसूली
- ऋण वसूली अधिकरणों के सुधार और सुदृढ़ीकरण के लिए कदम उठाए जाएंगे।
- वसूली में तेजी के लिए अतिरिक्त अधिकरणों की स्थापना की जाएगी।
|