प्राथमिकता 5: शहरी विकास
- विकास केंद्रों के रूप में शहर
- राज्यों के साथ मिलकर, सरकार “विकास केंद्रों के रूप में शहरों” को विकसित करने की सुविधा उपलब्ध कराएगी।
- आर्थिक और आवागमन की योजना तथा नगर आयोजना स्कीमों का उपयोग करके शहरों के आस-पास के क्षेत्रों को सुव्यवस्थित तरीके से विकसित किया जाएगा।
- शहरों का रचनात्मक पुनर्विकास
- परिवर्तनकारी प्रभाव के साथ मौजूदा शहरों के रचनात्मक ब्राउनफील्ड पुनर्विकास के लिए, सरकार समर्थकारी नीतियों, बाजार आधारित तंत्र तथा विनियमन हेतु एक फ्रेमवर्क तैयार करेगी।
- आवागमन उन्मुखी विकास
- 30 लाख से अधिक जनसंख्या वाले 14 बड़े शहरों के लिए कार्यान्वयन और वित्तपोषण रणनीति के साथ आवागमन उन्मुखी विकास योजनाएं तैयार की जाएंगी।
- शहरी आवास
- प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 2.0 के अंतर्गत, 10 लाख करोड़ के निवेश से 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों की आवास जरूरतों का समाधान किया जाएगा।
- इसमें अगले 5 वर्षों में 2.2 लाख करोड़ की केंद्रीय सहायता शामिल होगी।
- किफायती दरों पर ऋण सुविधा के लिए ब्याज सब्सिडी के एक प्रावधान की परिकल्पना भी की गई है।
- जल आपूर्ति और स्वच्छता
- राज्य सरकारों तथा बहुपक्षीय विकास बैंकों की साझेदारी में परियोजनाओं के माध्यम से 100 बड़े शहरों के लिए जल आपूर्ति, सीवेज उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा वित्तीय रूप से व्यवहार्य परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
- इन परियोजनाओं में उपचारित जल का प्रयोग सिंचाई तथा आस-पास के क्षेत्रों में तालाबों को भरने के लिए भी परिकल्पना की जाएगी।
- स्ट्रीट मार्केट
- स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन परिवर्तन में पीएम स्वनिधि की सफलता के आधार पर, सरकार ने अगले पाँच वर्षों में प्रत्येक वर्ष चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक ‘हाट’ या स्ट्रीट फूड हब के विकास में सहायता के लिए एक योजना की परिकल्पना की है।
- स्टाम्प शुल्क
- सभी के लिए दरों को कम करने तथा महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों के लिए शुल्कों को और कम करने पर भी विचार करने हेतु उन राज्यों को प्रोत्साहित करेंगे जिन्होंने अधिक स्टाम्प शुल्क लगाना जारी रखा है।
- इस सुधार को शहरी विकास योजनाओं का अनिवार्य घटक बनाया जाएगा।
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प्राथमिकता 6: ऊर्जा सुरक्षा
- ऊर्जा परिवर्तन
- अंतरिम बजट में, उपलब्धता, पहुंच तथा किफायत के संदर्भ में ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ उच्च तथा अधिक संसाधन कुशल आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए रणनीति की घोषणा की गई थी।
- इस वर्ष समुचित ऊर्जा परिवर्तन पथ के संबंध में एक नीतिगत दस्तावेज तैयार किया जाएगा, जो रोजगार, विकास और पर्यावरण स्थायित्व की आवश्यकता के बीच संतुलन कायम करेगा।
- पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
- अंतरिम बजट में की गई घोषणा के अनुरूप, एक करोड़ घरों को प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्राप्त करने में सक्षम बनाने हेतु रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने के लिए पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का शुभारंभ किया गया है।
- इस योजना के अंतर्गत 1.28 करोड़ से अधिक पंजीकरण किए गए हैं और 14 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं।
- पम्प्ड स्टोरेज पॉलिसी
- विद्युत भंडारण तथा समग्र ऊर्जा मिश्रण में इसकी परिवर्तनशील और विरामी प्रकृति के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के बढ़ते हिस्से के निर्बाध एकीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की एक नीति लाई जाएगी।
- छोटे तथा मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों का अनुसंधान और विकास
- परमाणु ऊर्जा विकसित भारत के लिए ऊर्जा मिश्रण का अति महत्वपूर्ण हिस्सा होने की संभावना है।
- इस संबंध में, सरकार भारत स्मॉल रिएक्टर की स्थापना, भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के अनुसंधान और विकास तथा परमाणु ऊर्जा के लिए नई प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी।
- उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट
- अत्यंत बेहतर कार्य क्षमता वाले उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) थर्मल पावर प्लांट के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास का कार्य पूरा हो गया है।
- एनटीपीसी और बीएचईएल का एक संयुक्त उद्यम एयूएससी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके परिपूर्ण 800 मेगावाट का वाणिज्यिक संयंत्र स्थापित करेगा।
- ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों के लिए रोडमैप
- ‘हार्ड टू एबेट’ उद्योगों को ‘ऊर्जा दक्षता’ के लक्ष्य से ‘उत्सर्जन लक्ष्य’ की ओर ले जाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा।
- इन उद्योगों को वर्तमान के ‘परफॉर्म एचीव एंड ट्रेड’ पद्धति से ‘इंडियन कार्बन मार्केट’ पद्धति में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त विनियम बनाए जाएंगे।
- पारंपरिक सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को सहायता
- तांबा और सेरामिक क्लस्टर की 60 क्लस्टरों में पारंपरिक सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों की निवेश-ग्रेड ऊर्जा लेखा-परीक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
- इन्हें स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तित करने और ऊर्जा दक्षता उपायों को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
- इस योजना को अगले चरण में 100 अन्य क्लस्टरों में दोहराया जाएगा।
प्राथमिकताः 7 अवसंरचना
- केंद्र सरकार द्वारा अवसंरचना निवेश
- केंद्र सरकार द्वारा विगत वर्षों में अवसंरचना का निर्माण करने तथा इसे बेहतर बनाने के लिए किए गए पर्याप्त निवेश का अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
- सरकार, अन्य प्राथमिकताओं और राजकोषीय समेकन की आवश्यकताओं के अनुरूप, अगले 5 वर्षों में अवसंरचना के लिए सुदृढ़ राजकोषीय सहायता बनाए रखने का प्रयास करेगी।
- इस वर्ष, पूंजीगत व्यय के लिए 11,11,111 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह हमारी GDP का 3.4 प्रतिशत होगा।
- राज्य सरकारों द्वारा अवसंरचना निवेश
- सरकार, राज्यों को उनकी विकास प्राथमिकताओं के अनुसार, अवसंरचना के लिए उसी पैमाने की सहायता उपलब्ध कराने हेतु प्रोत्साहित करेंगे।
- राज्यों को उनके संसाधन आबंटन में सहायता करने के लिए इस वर्ष भी 1.5 लाख करोड़ के दीर्घावधि ब्याज रहित ऋण का प्रावधान किया गया है।
- अवसंरचना में निजी निवेश
- वीजीएफ तथा समर्थकारी नीतियों और विनियमनों के माध्यम से अवसंरचना में निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा। एक बाजार आधारित वित्तपोषण फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा।
- प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)
- जनसंख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पीएमजीएसवाई के लिए पात्र बने 25,000 ग्रामीण बसावटों के लिए बारहमासी सड़क संपर्क उपलब्ध कराने हेतु पीएमजीएसवाई का चरण IV आरंभ किया जाएगा।
- सिंचाई और बाढ़ उपशमन
- सरकार, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम और अन्य स्रोतों के माध्यम से, 11,500 करोड़ की अनुमानित लागत से कोसी-मेची अंतर्राज्यीय लिंक और बैराजों, नदी प्रदूषण न्यूनीकरण और सिंचाई परियोजनाओं सहित 20 अन्य चालू और नई स्कीमों जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी।
- इसके अलावा, कोसी से संबंधित बाढ़ उपशमन और सिंचाई परियोजनाओं का सर्वेक्षण और अन्वेषण भी किया जाएगा।
- असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं सिक्किम को बाढ़ प्रबंधन और उससे संबंधित परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
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- पर्यटन
- भारत को वैश्विक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयास रोजगार सृजन एवं निवेश को प्रेरित करेंगे और अन्य क्षेत्रों के लिए आर्थिक अवसर खोलेंगे।
- बिहार में गया स्थित विष्णुपद मंदिर और बोधगया में महाबोधि मंदिर का बहुत अधिक आध्यात्मिक महत्व है।
- उनको विश्वस्तरीय तीर्थ स्थल और पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित करने के लिए सफल काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर मॉडल के अनुरूप विष्णुपद मंदिर कॉरिडोर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के समग्र विकास के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
- राजगीर का हिन्दुओं, बौद्धों और जैनों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व है।
- जैन मंदिर परिसर में 20वें तीर्थंकर मुनिसुव्रत का मंदिर प्राचीन है।
- सप्तऋषि या सात गर्म जलधाराएं मिलकर एक गर्म जल ब्रह्मकुंड बनाते हैं जो पवित्र है।
- राजगीर के लिए एक समग्र विकास पहल शुरू की जाएगी।
- सरकार नालंदा विश्वविद्यालय का इसकी गौरवपूर्ण महत्ता के अनुरूप पुनरूत्थान करने के अलावा नालंदा को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने में सहायता प्रदान करेगी।
- ओडिशा का दर्शनीय सौंदर्य, मंदिर, स्मारक, शिल्प, वन्य जीव अभ्यारण्य, प्राकृतिक भू-दृश्य और प्राचीन समुद्री तट इसे एक श्रेष्ठ पर्यटन गंतव्य बनाते हैं।
- सरकार उनके विकास के लिए सहायता प्रदान करेगी।
प्राथमिकता 8: नवाचार, अनुसंधान और विकास
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- सरकार द्वारा मूलभूत अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान नेशनल रिसर्च फंड की शुरूआत की जाएगी।
- इसके अलावा, अंतरिम बजट में घोषणा के अनुरूप 1 लाख करोड़ के वित्तीय पूल से वाणिज्यिक स्तर पर निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए व्यवस्था स्थापित की जाएगी।
- अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था
- अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 5 गुणा बढ़ाने पर निरन्तर जोर देते हुए 1,000 करोड़ की उद्यम पूंजी निधि की व्यवस्था की जाएगी।
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प्राथमिकता 9: अगली पीढ़ी के सुधार
- आर्थिक नीति फ्रेमवर्क
- सरकार, आर्थिक विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण निरूपित करने हेतु एक आर्थिक नीति फ्रेमवर्क बनाएगी और रोजगार के अवसरों तथा सतत उच्च विकास के लिए अगली पीढ़ी के सुधारों का लक्ष्य तय किया जाएगा।
- सरकार उत्पादन कारकों की उत्पादकता में सुधार, और बाजारों और क्षेत्रों को अधिक कुशल बनाने हेतु सुधार शुरू करेगी और उसे प्रोत्साहित करेगी।
- इन सुधारों में उत्पादन के सभी कारकों, अर्थात भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमशीलता तथा सकल कारक उत्पादकता में सुधार और असमानता को कम करने में सहायक के रूप में प्रौद्योगिकी शामिल होंगे।
- प्रतिस्पर्धी संघीय व्यवस्था को बढ़ावा देने तथा सुधारों के त्वरित कार्यान्वयन हेतु राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए, 50 वर्षीय ब्याज-मुक्त ऋण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चिह्नित करने का प्रस्ताव किया गया है।
- राज्यों के साथ काम करते हुए, निम्नलिखित सुधार शुरू किये जाएंगे :-
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- राज्य सरकारों द्वारा भूमि संबंधी सुधार
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में भूमि संबंधी सुधारों और कार्यों में भूमि प्रशासन, आयोजना और प्रबंधन, तथा शहरी आयोजना, उपयोग और निर्माण उप-विधि शामिल होंगे।
- ग्रामीण भूमि संबंधी कार्य
- ग्रामीण भूमि संबंधी कार्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे
- सभी भू-खण्डों के लिए अनन्य भूखंड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) अथवा भू-आधार निर्धारित करना,
- संवर्गीय मानचित्रों का डिजिटलीकरण,
- वर्तमान स्वामित्व के अनुसार मानचित्र उप-प्रभागों का सर्वेक्षण,
- भू-रजिस्ट्री की स्थापना, और
- कृषक रजिस्ट्री से जोड़ना। इन कार्यों से ऋण प्रवाह और अन्य कृषि सेवाएं भी सुगम होंगी।
- शहरी भूमि संबंधी कार्य
- शहरी क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों को जीआईएस मैपिंग के साथ अंकीकृत किया जाएगा।
- संपत्ति अभिलेख प्रशासन, अद्यतनीकरण और कर प्रशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली बनाई जाएगी।
- इससे शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति में सुधार की सुविधा उपलब्ध होगी।
- श्रम संबंधी सुधार
- श्रमिकों के लिए सेवाएं
- सरकार श्रमिकों के लिए कई सेवाओं के प्रावधान की सुविधा देगी, इनमें रोजगार और कौशल प्रशिक्षण से संबंधित सेवाएं शामिल होंगी।
- ई-श्रम पोर्टल का अन्य पोर्टलों के साथ समग्र एकीकरण करने से ऐसा वन-स्टॉप समाधान सुगम होगा।
- श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल
- उद्योग और व्यापार के लिए अनुपालन की आसानी बढ़ाने हेतु श्रम सुविधा और समाधान पोर्टल को नवीकृत किया जाएगा।
- पूंजी और उद्यमशीलता संबंधी सुधार
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- वित्तीय क्षेत्र विजन और कार्यनीति
- अर्थव्यवस्था की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए, सरकार इस क्षेत्र को आकार, क्षमता और कौशल के संदर्भ में तैयार करने हेतु एक वित्तीय क्षेत्र विजन और कार्यनीति दस्तावेज लाएगी।
- यह अगले 5 वर्ष के लिए कार्यसूची निर्धारित करेगा और सरकार, विनियामकों, वित्तीय संस्थाओं और बाजार भागीदारों के कार्य को मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
- जलवायु वित्त के लिए टैक्सोनॉमी
- सरकार, जलवायु अनुकूलन और उपशमन के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने हेतु जलवायु वित्त के लिए एक टैक्सोनॉमी विकसित करेगी।
- इससे देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और हरित परिवर्तन में मदद मिलेगी।
- परिवर्तनीय पूंजी कंपनी संरचना
- सरकार विमानों और पोतों के पट्टों के वित्तपोषण और निजी इक्विटी की सामूहिक निधियों के लिए एक कुशल और लचीली पद्धति वाली ‘परिवर्तनीय पूंजी कंपनी’ की संरचना हेतु अपेक्षित विधायी अनुमोदन प्राप्त करेगी।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और ओवरसीज निवेश
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और ओवरसीज निवेश के लिए नियमों और विनियमों को सरल किया जाएगा ताकि
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की सुविधा हो,
- प्राथमिकताओं पर आधारित निवेश हो सके और
- ओवरसीज निवेशों के लिए मुद्रा के रूप में भारतीय रूपए के उपयोग के लिए अवसरों को बढ़ावा मिले।
- एनपीएस वात्सल्य
- माता-पिता और अभिभावकों द्वारा अवयस्क बच्चों के लिए अंशदान हेतु एनपीएस-वात्सल्य योजना शुरू की जाएगी।
- वयस्कता की आयु होने पर, इस योजना को सहज रूप से एक सामान्य एनपीएस खाते में बदला जा सकेगा।
- प्रौद्योगिकी का प्रयोग
- डिजिटल अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश और निजी क्षेत्र द्वारा नवाचारों से सभी नागरिकों, विशेषकर आम जनता की बाजार संसाधनों, शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवाओं तक पहुँच में सुधार करने में मदद मिली है।
- सरकार अर्थव्यवस्था के डिजीटलीकरण की दिशा में प्रौद्योगिकी के अंगीकरण में तेजी लाएगी।
- व्यवसाय करने की आसानी
- ‘व्यवसाय करने की आसानी’ को बढ़ाने के लिए, जन विश्वास विधेयक 2.0 पर पहले से ही काम किया जा रहा है।
- इसके अलावा, राज्यों को अपने व्यवसाय सुधार कार्य योजना के कार्यान्वयन और डिजिटाइजेशन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- डाटा और सांख्यिकी
- डाटा संचालन, संग्रहण, प्रसंस्करण में सुधार तथा डाटा और सांख्यिकी के प्रबंधन के लिए डिजिटल भारत मिशन के अंतर्गत स्थापित डाटाबेस सहित विभिन्न क्षेत्रीय डाटाबेस का प्रयोग प्रौद्योगिकी टूल्स के सक्रिय उपयोग से किया जाएगा।
- नई पेंशन योजना (एनपीएस)
- एनपीएस की समीक्षा के लिए गठित समिति ने अपने काम में पर्याप्त प्रगति की है।
- एक ऐसा समाधान निकाला जाएगा जिससे प्रासंगिक मुद्दों का समाधान होगा और साथ ही आम जनता के हितों की सुरक्षा के लिए राजकोषीय दूरदर्शिता भी बनाए रखा जाएगा।
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