मध्य प्रदेश सरकार ने अपने सभी बाघ अभयारण्यों के बफर ज़ोन के समग्र विकास के लिए ‘बाघ अभयारण्य बफर ज़ोन विकास योजना’ को मंज़ूरी दी है।
बफर ज़ोन विकास योजना के बारे में
- क्या है बफर ज़ोन : बाघ अभयारण्यों के अंतर्गत बफर ज़ोन, बाघों के मुख्य निवास स्थान (कोर एरिया) के चारों ओर का वह क्षेत्र होता है जो उनके सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए संवेदनशील होता है। हालाँकि, इस क्षेत्र में मानव गतिविधियाँ कुछ सीमा तक संचालित हो सकती हैं।
- उद्देश्य : इस योजना का उद्देश्य बाघों एवं अन्य वन्यजीवों के संरक्षण, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना है।
- कुल बजट : ₹145 करोड़
- अवधि : वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक
योजना के मुख्य घटक
- चेन-लिंक फेंसिंग : पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ रोकने के लिए
- घास के मैदानों का विकास : शाकाहारी वन्यजीवों के लिए चरागाह सुनिश्चित करना
- जल स्रोतों का निर्माण : वन्यजीवों की जल जरूरतों को पूरा करना
- वन्यजीव संरक्षण एवं अग्नि सुरक्षा उपाय : जंगलों में आग की रोकथाम एवं सुरक्षा
- वन्यजीवों की स्वास्थ्य निगरानी व उपचार : बीमारियों की रोकथाम एवं उपचार सेवाएँ
- स्थानीय समुदायों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण : इको-टूरिज्म, गाइडिंग, हस्तशिल्प, आदि के लिए
योजना का संभावित प्रभाव
- पर्यावरणीय लाभ : जैव विविधता में वृद्धि, पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्बहाली एवं वन्यजीवों की सुरक्षित आवाजाही
- सामाजिक-आर्थिक लाभ : स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर, पर्यटन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल और समुदाय आधारित संरक्षण मॉडल को बढ़ावा
क्या आप जानते हैं?
- मध्य प्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में यहाँ की बाघों की संख्या 785 है जोकि वर्ष 2018 में 526 थी। यहाँ कुल 9 टाइगर रिजर्व हैं। माधव राष्ट्रीय उद्यान को नवीनतम (नौवां) टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया है।
- मध्य प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व : कान्हा टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, नौरादेही टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, संजय दुबरी टाइगर रिजर्व एवं रातापनी टाइगर रिजर्व
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