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बूंदी : एक विस्मृत राजपूत राजधानी का स्थापत्य विरासत

(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -1 : भारतीय इतिहास, विरासत और संस्कृति)

चर्चा में क्यों?

पर्यटन मंत्रालय की पहल ‘देखो अपना देश’ के अंतर्गत ‘बूंदी : आर्किटेक्चरल हेरिटेज ऑफ ए फॉरगोटेन राजपूत कैपिटल’ शीर्षक से वेबिनार शृंखला का आयोजन किया गया, जो बूंदी (राजस्थान) पर केंद्रित है।

बूंदी : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • मध्यकाल में बूंदी नामक क्षेत्र हाडा राजपूत शासकों की राजधानी थी। विदित है कि दक्षिण-पूर्वी राजस्थान को हाड़ौती क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, बूंदी यहीं स्थित है।
  • प्राचीन समय में बूंदी के आसपास का क्षेत्र प्रत्यक्ष रूप से विभिन्न स्थानीय जनजातियों का आवास था, जिनमें परिहार व मीणा प्रमुख थे।
  • सन् 1242 में जैता मीणा से इसको प्राप्त करने के बाद इस क्षेत्र पर राव देव ने शासन किया और इसके आसपास के क्षेत्र का नाम बदलकर हरवती या हरोटी रख दिया।
  • इसके बाद अगली दो शताब्दियों तक बूंदी के हाडा, मेवाड़ के सिसोदिया के जागीरदार बनकर रहे और वर्ष 1569 तक राव की उपाधि से शासित हुए। तत्पश्चात् रणथम्भौर किले के आत्मसमर्पण और अधीनता के बाद सम्राट अकबर ने राव सुरजन सिंह को राव राजा की उपाधि प्रदान की।
  • सन् 1632 में, राव राजा छत्रसाल शासक बने, जो सन् 1658 में सामूगढ़ के युद्ध में मारे गए। ये बूंदी के सबसे बहादुर, राजसी और न्यायप्रिय शासक थे, जो अपने दादा राव रतन सिंह के बाद बूंदी के राजा बने थे। उन्होंने केशोरायपट्टन में केशवाराव का मंदिर और बूंदी में छत्र महल का निर्माण करवाया था।

मुगल काल के बाद की स्थिति

  • सन् 1804 में राव राजा बिशन सिंह द्वारा होलकर के खिलाफ पराजय में कर्नल मोनसन (Colonel Monson) को दी गई सहायता का बदला लेने के लिये मराठा और पिंडारी लगातार इस राज्य को तहस नहस करते रहे।
  • परिणामस्वरुप बिशन सिंह ने 10 फरवरी, 1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ एक सहायक संधि की और उसके संरक्षण में आ गए। इन्होंने ही बूंदी के बाहरी इलाके में सुख निवास के सुख/आनंद महल का निर्माण कराया था।
  • हाडा राजवंश के सम्मानित शासक महाराव राजा राम सिंह ने आर्थिक व प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की और संस्कृत-शिक्षण के लिये स्कूल स्थापित किये। उन्हें राजपूत भद्र पुरुष के एक भव्य उदाहरण और ‘रूढ़िवादी राजपूताना में सबसे रूढ़िवादी राजकुमार’ के रूप में वर्णित किया गया।
  • बूंदी के अंतिम शासक ने 7 अप्रैल, 1949 को भारतीय संघ में प्रवेश किया।

महत्त्वपूर्ण व अनोखे पहलू

  • हाडा राजपूत में शाही रानी, ​​दीवान और दाई माँ की भूमिका बूंदी के शाही प्रशासनिक और राजनीतिक मामलों में बहुत महत्त्वपूर्ण हुआ करती थी क्योंकि काफी कम आयु के शासक भी बूंदी के सिंहासन पर विराजमान होते रहते थे।
  • बूंदी शहर का विस्तार तारागढ़ पहाड़ी से बाहर की ओर हुआ और बाद में तारागढ़ महल बूंदी का एक महत्त्वपूर्ण स्थल बन गया।
  • घरों के बाहरी हिस्से पर रंग के उपयोग ने बूंदी को एक अद्वितीय चमक और जीवंतता से भर दिया। जोधपुर को छोड़कर भारत में शायद ही ऐसा कहीं और दिखाई दे। बूंदी की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ के अधिकांश भवनों में झरोखे होते हैं।
  • बूंदी को ‘सीढ़ीदार बावड़ी के शहर’ (City of Stepwells), ‘ब्लू सिटी’ और ‘छोटी काशी’ (अधिक मंदिरों की उपस्थिति के कारण) के रूप में भी जाना जाता है।

वास्तुकला

  • बूंदी में दरवाज़ों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है :

a) तारागढ़ का प्रवेश द्वार (सबसे पुराना दरवाज़ा)

b) प्राचीर शहर (Walled City) के चार दरवाज़े

c) शहर की बाहरी प्राचीर का दरवाज़ा

d) प्राचीर शहर की मुख्य सड़क का दरवाज़ा

e) छोटे दरवाज़ों का गठन

जल स्थापत्यकला

  • यहाँ की जलीय वास्तुकला मध्ययुगीन भारतीय शहरों में अवस्थापना के स्तर पर जल संचयन विधियों के सबसे अच्छे उदाहरण के साथ ही जल वास्तुकला के भी बेहतरीन उदाहरण हैं।
  • प्राचीर शहर के बाहर बावड़ियों और कुंडों का स्थान भी सामाजिक सोच-विचारों से ही प्रभावित था।

बूंदी की वास्तुकला विरासत

  • बूंदी की वास्तुकला विरासत को छह भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
    • गढ़ (किला), जैसे- तारागढ़।
    • गढ़ महल (रॉयल पैलेस/ शाही महल), जैसे- भज महल, छत्र महल, उम्मेद महल।
    • बावड़ी (Step Well : सीढ़ीदार बावड़ी), जैसे- खोज दरवाजा की बावड़ी, भावलदी (Bhawaldi) बावड़ी।
    • कुंड (Stepped Tank : सीढ़ीदार तालाब), जैसे- धाभाई जी का कुंड, नागर कुंड और सागर कुंड, रानी कुंड।
    • सागर महल (Lake Palace), जैसे- मोती महल, सुख महल, शिकार बुर्ज।
    • छतरी (Cenotaph), जैसे- चौरासी।
  • तारागढ़ किले का निर्माण सन् 1354 में राव राजा बैर सिंह ने एक पहाड़ी पर करवाया था। किले के केंद्र में भीम बुर्ज़ स्थित है, जिस पर कभी गर्भ गुंजम नामक विशेष तोप लगाई जाती थी।
  • मंडपों की घुमावदार छतों, मंदिर के स्तंभों व हाथियों की अधिकता और कमल की आकृति के साथ यह महल राजपूत शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • सुख महल- एक छोटा और दो मंजिला महल, जो अतीत के शासकों के लिये ग्रीष्मकालीन शरण स्थल था। जैतसागर झील के तट पर स्थित इस महल का निर्माण राव राजा विष्णु सिंह ने सन् 1773 में करवाया था।
  • रानी की बावड़ी- बूंदी में 50 से अधिक सीढ़ीदार बावड़ियाँ हैं और इसीलिये इसको बावड़ियों के शहर के रूप में जाना जाता है। रानीजी की बावड़ी सन् 1699 में रानी नाथावती जी द्वारा निर्मित है, जो राव राजा अनिरुद्ध सिंह की छोटी रानी थी। इसे ‘क्वीन्स स्टेपवेल’ के रूप में भी जाना जाता है। यह बहु-मंजिली बावड़ी गजराज की उत्कृष्ट नक्काशी का एक नमूना है।
  • 84 स्तम्भों वाली छतरी- बूंदी के महाराजा राव अनिरुद्ध द्वारा इसका निर्माण उनकी धाईमाँ देवा की याद में करवाया गया था। इसमें हिरण, हाथी और अप्सराओं के चित्रों से नक्काशी की गई है।

देखो अपना देश वेबिनार

  • ‘देखो अपना देश’ वेबिनार शृंखला ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।
  • इस शृंखला को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ तकनीकी साझेदारी में प्रस्तुत किया गया है। उल्लेखनीय है कि अक्तूबर के अंत में होने वाले वेबिनार का शीर्षक ‘क्रूज़ इन गंगा’ है।

प्री फैक्ट :

  • पर्यटन मंत्रालय की पहल ‘देखो अपना देश’ के अंतर्गत ‘बूंदी : आर्किटेक्चरल हेरिटेज़ ऑफ ए फॉरगोटेन राजपूत कैपिटल’ शीर्षक से वेबिनार शृंखला का आयोजन किया गया, जो ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के तहत भारत की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है।
  • मध्यकाल में बूंदी नामक क्षेत्र हाडा राजपूत शासकों की राजधानी थी। बाद में रणथम्भौर किले के आत्मसमर्पण और अधीनता के बाद सम्राट अकबर ने राव सुरजन सिंह को राव राजा की उपाधि प्रदान की।
  • सन् 1632 में, राव राजा छत्रसाल शासक बने, जो सन् 1658 में सामूगढ़ के युद्ध में मारे गए। उन्होंने केशोरायपटन में केशवाराव का मंदिर और बूंदी में छत्र महल का निर्माण कराया।
  • बिशन सिंह ने 10 फरवरी, 1818 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साथ सहायक संधि की थी। इन्होंने सुख निवास के सुख/आनंद महल का निर्माण कराया था।
  • हाडा राजवंश के सम्मानित शासक महाराव राजा राम सिंह ने आर्थिक व प्रशासनिक सुधारों की शुरुआत की। उन्हें राजपूत भद्र पुरुष के एक भव्य उदाहरण और ‘रूढ़िवादी राजपूताना में सबसे रूढ़िवादी राजकुमार’ के रूप में वर्णित किया गया।
  • बूंदी को ‘सीढ़ीदार बावड़ी के शहर’ (City of Stepwalls), ‘ब्लू सिटी’ और ‘छोटी काशी’ (अधिक मंदिरों की उपस्थिति के कारण) के रूप में भी जाना जाता है।
  • तारागढ़ किले का निर्माण 1354 में राव राजा बैर सिंह ने एक पहाड़ी पर करवाया था। किले के केंद्र में भीम बुर्ज़ स्थित है।
  • सुख महल- जैतसागर झील के तट पर स्थित इस दो मंजिला महल का निर्माण राव राजा विष्णु सिंह ने सन् 1773 में करवाया था।
  • रानी की बावड़ी- रानीजी की बावड़ी सन् 1699 में रानी नाथावती जी द्वारा निर्मित है, जो राव राजा अनिरुद्ध सिंह की छोटी रानी थी।
  • 84 स्तम्भों वाली छतरी- बूंदी के महाराजा राव अनिरुद्ध द्वारा इसका निर्माण उनकी धाईमाँ देवा की याद में करवाया गया था।
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