आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में ‘बन्नी’ उत्सव (Banni Festival) का आयोजन किया गया।
बन्नी उत्सव के बारे में
- बन्नी उत्सव को ‘कर्रेला समारम’ (Karrela Samaram) के नाम से भी जाना जाता है। यह सैकड़ों वर्षों से आयोजित की जाने वाली एक पारंपरिक युद्धकला है।
- यह उत्सव भगवान शिव द्वारा मणि एवं मल्लासुर नामक राक्षसों पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- यह उत्सव भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दो गट्टुओं (पहाड़ियों) ‘देवरगट्टू’ और ‘राक्षस गट्टू’ के बीच हुआ।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने भैरव का रूप धारण कर देवरगट्टू पर तपस्या कर रहे ऋषियों को परेशान करने के कारण मणि एवं मल्लासुर नामक राक्षसों का वध किया था।
- बाद में देवरगट्टू में एक मंदिर का निर्माण किया गया जहाँ भगवान भैरव मुख्य देवता हैं।
- आँध्रप्रदेश के तीन गाँवों नरेनिकी, नेरानिकी थांडा एवं कोथापेट के लोग इस मंदिर के संरक्षक हैं।
- विजयदशमी के दिन ग्रामीणों द्वारा देवता को जुलूस के रूप में दूसरे गट्टू तक ले जाया जाता है और फिर देवरगट्टू लौट आते हैं।
- लौटते समय कई गाँवों के लोग देवता को अपने गाँव लाने की कोशिश में उनसे लड़ाई करते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद होती है कि इससे समृद्धि मिलेगी।
- इस संघर्ष में खून का गिरना शुभ संकेत माना जाता है।