हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार ने भांग (cannabis/hemp) की खेती के लिए एक पायलट परियोजना को मंजूरी दी है।
यह कदम भांग के कृषि, औषधीय और औद्योगिक मूल्य की बढ़ती वैश्विक मान्यता के बीच उठाया गया है।
नोडल संस्थान : चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय और डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी विश्वविद्यालय
नोडल एजेंसी :राज्य कृषि विभाग
भांग के बारे में
वैज्ञानिक नाम :कैनाबिस सैटिवा (Cannabis sativa)
जगत (किंगडम): प्लांटे (Plantae)
कुल (फैमिली) :कैनाबेसी (Cannabaceae)
वंश (जीनस): कैनबिस (Cannabis)
मुख्य साइकोएक्टिव यौगिक : भांग में 100 से ज़्यादा कैनाबिनोइड्स (cannabinoids) मौजूद होते हैं, जिनमें Δ-9 टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) और कैनाबिडियोल (CBD) शामिल हैं।
THC साइकोएक्टिव है, जबकि CBD नॉन-साइकोएक्टिव है।
मारिजुआना (मैक्सिकन शब्द): भांग के पत्तों या कच्चे पौधे के पदार्थ के लिए सामान्य शब्द।
हशीश : परागण रहित मादा भांग के पौधे।
कैनाबिस तेल (हशीश तेल): यह कैनाबिनोइड्स का एक सांद्रण है जो कच्चे पौधे की सामग्री या राल (resin) द्वारा प्राप्त किया जाता है।
स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव : संज्ञानात्मक हानि, कैनाबिस निर्भरता सिंड्रोम, दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य क्षति, श्वसन संबंधी समस्याएं और गर्भावस्था के जोखिम आदि।
चिकित्सीय उपयोग: कैंसर तथा एड्स रोगियों में मतली और उल्टी के लिए प्रभावी, एक दशक से अधिक समय से Δ-9 टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल या ड्रोनाबिनोल (THC) को अमेरिका में चिकित्सकों द्वारा उपचार में प्रयुक्त।
अन्य संभावित उपयोग :अस्थमा का उपचार, ग्लूकोमा, अवसादरोधी, भूख बढ़ाने वाली दवा और ऐंठनरोधी औषधि के रूप में।
भांग का प्रचलन
भांग को "ट्रिलियन-डॉलर की फसल" माना जाता है, जिसके 25,000 से अधिक उत्पाद वैश्विक स्तर पर फाइबर, बीज और औषधीय उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
इस उद्योग में यू.एस., कनाडा और चीन जैसे देश अग्रणी हैं।
इसका उपयोग नशे की सामग्री के रूप में व्यापक रूप (वैश्विक जनसंख्या का 2.5% लोग उपयोगकर्ता) से किया जाता है।
यह संख्या कोकीन या ओपियेट्स का उपयोग करने वालों से अधिक है।
वरतमान में विकसित देशों (उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया) में भांग के उपयोग में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है।
भारत में कानूनी स्थिति
भारत में भांग की खेती नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एन.डी.पी.एस.) अधिनियम, 1985 के तहत प्रतिबंधित है।
अफीम के विपरीत, भारत में इसकी कानूनी खेती को विनियमित करने के लिए कोई आधिकारिक नीति नहीं है।