हाल ही में, जॉर्जिया के गुडौरी शहर में एक रेस्तरां में कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता (Carbon Monoxide Poisoning) से 11 भारतीयों की मौत हो गई।
कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता के बारे में
- परिचय : कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) विषाक्तता एक जानलेवा स्थिति है। यह तब होती है जब कोई व्यक्ति कार्बन मोनोऑक्साइड के धुएं वाले वातावरण में सांस लेता है।
- CO एक रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन गैस है जो लकड़ी, गैसोलीन या प्राकृतिक गैस जैसे ईंधन को जलाने पर उत्पन्न होती है।
- प्रभाव : साँस में CO के होने पर शरीर को ऑक्सीजन का ठीक से उपयोग करने में समस्या आती है जो मस्तिष्क, हृदय एवं अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
- यदि कोई व्यक्ति दीर्घकाल तक विषाक्तता के संपर्क में रहता है तो इससे तंत्रिका संबंधी क्षति, कोमा या मौत हो सकती है।
- उच्च जोखिम वाले व्यक्ति : शिशु एवं बच्चे, गर्भवती महिलाएँ, वृद्ध, वयस्क, हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोग और धूम्रपान करने वाले व्यक्ति।
- लक्षणः सिरदर्द, चक्कर आना, कमज़ोरी, मतली और उल्टी, दिल की धड़कन तेज़ होना, सांस की तकलीफ़, दौरे, सीने में दर्द, भटकाव व चेतना का नुकसान।
- उपचार : CO विषाक्तता के लिए उपचार शुद्ध ऑक्सीजन में साँस लेना है।
- यह शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड के निर्माण को संतुलित करता है।
- इसे ‘हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी’ ((Hyperbaric oxygen therapy)) कहा जाता है। इसमें एक निश्चित समय के लिए एक कक्ष में शुद्ध ऑक्सीजन को साँस में लेना शामिल है।
- कक्ष में हवा का दबाव सामान्य से 2 से 3 गुना अधिक होता है।
- यह रक्त में कार्बन मोनोऑक्साइड को ऑक्सीजन से बदलने में मदद करता है।
- यह हृदय और मस्तिष्क के ऊतकों को कार्बन मोनोऑक्साइड क्षति से बचाने में मदद करता है।