हांगकांग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (HKUST) के नेतृत्व में एक शोध दल ने कार्बोक्सीसोम की क्रियाविधि का पता लगाया है।
कार्बोक्सीसोम के बारे में
- ये सायनोबैक्टीरिया, नॉलगैसबैक्टीरिया, नाइट्रोसो- और नाइट्रोबैक्टीरिया सहित कई ऑटोट्रॉफ़िक बैक्टीरिया में पाई जाने वाली इंट्रासेल्युलर संरचनाएं हैं।
- ये संरचनाएं प्रोटीनयुक्त होती हैं जिनमें जीवों में कार्बन डाइऑक्साइड स्थिरीकरण के एंजाइम होते हैं।
कार्बोक्सीसोम के कार्य
- ये कार्बन स्थिरीकरण करते हैं, जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है जिसका उपयोग कोशिका द्वारा विकास एवं ऊर्जा के लिए किया जा सकता है।
- ये लगभग 80 से 140 नैनोमीटर व्यास वाले पॉलीहेड्रल प्रोटीन कोष्ठ से बने होते हैं। इन कोष्ठकों में अत्यधिक सांद्र राइबुलोज बिस्फोस्फेट कार्बोक्सिलेज/ऑक्सीजिनेज (RuBisCo) एंजाइम पाया जाता है।
- ये एंजाइम बाइकार्बोनेट के कार्बन डाइऑक्साइड का त्वरित रूपांतरण करके साइटोप्लाज्म के अंदर संभव से अधिक तेज़ एवं अधिक कुशल कार्बन डाइऑक्साइड स्थरीकरण करते हैं।
उपयोगिता
- इस सफलता से वैज्ञानिकों को संरचनाओं को पुन: डिज़ाइन करने और पुन: उपयोग करने में मदद मिल सकती है ताकि पौधों को सूरज की रोशनी को अधिक ऊर्जा में परिवर्तित करने में सक्षम बनाया जा सके।
- इससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण दक्षता को बेहतर किया जा सकता है। इससे संभावित रूप से वैश्विक खाद्य आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है और ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सकता है।