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वृद्ध होती आबादी की देखभाल

संदर्भ 

बाज़ार के अनुमान के अनुसार घरेलू देखभाल उद्योग सालाना 15-19% की पर्याप्त दर से बढ़ेगा। 

भारत में वृद्ध जनसंख्या

  • 60 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2011 में 100 मिलियन थी जिसके वर्ष 2036 तक दोगुनी से अधिक होकर 230 मिलियन होने की संभावना है।
  • यह कुल जनसंख्या का लगभग 15 % होगी। 
  • वर्ष 2050 तक इसके बढ़कर 319 मिलियन होने का अनुमान है, जो कुल जनसंख्या का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है।
  • घटती प्रजनन दर और बढ़ती जीवन अवधि इस परिवर्तन को प्रेरित कर रही है। 
  • भारत में औसत परिवार का आकार वर्ष 2011 में 5.94 से घटकर वर्ष 2021 में 3.54 हो गया है। 

होमकेयर की स्थिति 

  • छोटे परिवार और वृद्ध लोगों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल प्रणाली में परिवर्तन की मांग करते हैं। 
  • घर पर वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल एक बढ़ती चिंता का विषय है क्योंकि यह सामाजिक एवं स्वास्थ्य देखभाल के  मध्य विचलन करता है। 
  • बदलती पारिवारिक संरचना घर में वृद्ध लोगों की देखभाल में बाहरी सहायता का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
  • घर पर प्रदान की जाने वाली सेवाओं का दायरा दैनिक जीवन की गतिविधियों में सहायता से लेकर नियमित नर्सिंग देखभाल के साथ-साथ विशेष देखभाल तक विस्तारित हो गया है।

होमकेयर का बढ़ता बाज़ार

  • वर्तमान में होमकेयर निजी लाभ के क्षेत्र हैं जो इन सेवाओं का बड़ा हिस्सा प्रदान करता है। 
  • बाजार का अनुमान है कि घरेलू देखभाल उद्योग सालाना 15-19 % की दर से बढ़ेगा जो वर्ष 2021 में लगभग 6-7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2027 तक 21 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।

होमकेयर की कमियाँ 

  • अच्छी तरह से परिभाषित  एवं मानकीकृत न होना 
  • प्रशिक्षण   एवं सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण का अभाव
  • परिवारों द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत
  • उपयोगकर्ताओं  के लिए विशिष्ट शिकायत निवारण तंत्र की कमी 
  •  अत्यधिक लागत 

होमकेयर के लिए नीतिगत हस्तक्षेप

  • घर को देखभाल प्रदान करने की जगह और देखभाल करने वालों के लिए कार्यस्थल के रूप में पहचान
    • इसका उपयोगकर्ताओं और प्रदाताओं दोनों के अधिकारों एवं सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। 
  • भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) कुछ स्थितियों में घर पर अस्पताल में भर्ती होने को मान्यता देता है।
  • अस्पताल या वृद्धाश्रम जैसी संस्था की तुलना में घर पर देखभाल एक अलग प्रणाली है। 
    • इसमें सेवा शर्तें और उपचार प्रोटोकॉल घरेलू वातावरण के अनुरूप होने चाहिए।
  • प्रशिक्षित देखभालकर्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उनके व्यावसायिक प्रशिक्षण, नामकरण, भूमिका और कैरियर की प्रगति को सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता है। 

आगे की राह 

  • घर-आधारित देखभाल पर एक व्यापक नीति का निर्माण किया जाना चाहिए। 
    • जिसमें ऐसी सेवाओं के प्रदाताओं की रजिस्ट्री, पारदर्शिता  एवं जवाबदेही सुनिश्चित करना, शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना और बीमा कवरेज जैसे पहलू शामिल किए जाने चाहिए।
  • नीति को इस तथ्य का भी संज्ञान लेना चाहिए कि भारत में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों की तुलना में अधिक है। 
    • वर्ष 2026 तक वृद्ध लोगों का लिंगानुपात 1060 तक बढ़ने का अनुमान है। 
    • सामान्यत: भारत में महिलाएं अपने पतियों से आयु में छोटी होती हैं, इसलिए वे अपने बाद के वर्ष विधवाओं के रूप में व्यतीत करती हैं। 
    • नीति को विशेष रूप से अधिक कमजोर और आश्रित वृद्ध एकल महिलाओं को ध्यान में रखना चाहिए ताकि वे सम्मानजनक  एवं स्वतंत्र जीवन जी सकें।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW), सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MSJE) और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) की इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका है। 
    • उनके बीच बेहतर सहयोग से आवश्यक सुधारों को आगे बढ़ाया जा सकता है। 
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक, 2019, वृद्ध लोगों के लिए घर-आधारित देखभाल को विनियमित करने का प्रयास करता है। 
    • इसमें घरेलू देखभाल सेवाएं प्रदान करने वाले संस्थानों के पंजीकरण और उनके लिए न्यूनतम मानक निर्धारित करने का प्रस्ताव है। 
    • हालाँकि वर्ष 2019 में संसद में पेश होने के बाद से इसे पारित नहीं किया गया है।

निष्कर्ष 

  • भारत की युवा आबादी को भविष्य के लिए तैयार बनाने पर  बल स्वागतयोग्य है, लेकिन इसे समान रूप से महत्वपूर्ण समूह पर हावी नहीं होना चाहिए। 
  • वृद्ध लोगों की देखभाल की व्यवस्था समाज की नैतिक जिम्मेदारी है जिसके तहत वृद्धों द्वारा समाज में उनके जीवन भर के शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक निवेश का सम्मान करें।
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