चर्चा में क्यों?
हाल ही में, वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI) जारी किया गया है, जिसमें भारत लगातार दूसरे वर्ष शीर्ष 10 में बना हुआ है।
मुख्य बिंदु
- इस सूचकांक में 57 देशों और यूरोपीय संघ का जलवायु संरक्षण से सम्बंधित प्रयासों का मूल्यांकन किया गया है, जो वैश्विक स्तर पर समग्र रूप से 90% से भी अधिक हरित गैसों का उत्सर्जन करते हैं।
- इस वर्ष सी.सी.पी.आई. में भारत की 10वीं रैंक है। वर्ष 2019 में यह 9 थी। अतः इस वर्ष भारत की रैंक में 2019 की तुलना में एक स्थान की गिरावट आई है।
- चीन 33वीं रैंक के साथ ग्रीनहाउस गैसों (GHG) का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, जबकि अमेरिका इस सूची में सबसे निचले स्थान पर है।
- सूचकांक के अनुसार, कोई भी देश 2015 के पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को छोड़कर भारत को सभी संकेतों में उच्च रेटिंग प्राप्त हुई है।
- इस वर्ष के सूचकांक में केवल दो जी-20 देश यू.के. और भारत को उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है, जबकि 6 देश; अमेरिका (58), सऊदी अरब, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और रूस (52) सूचकांक में निम्न स्थानों पर हैं।
वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (Climate Change Performance Index- CCPI)
- सी.सी.पी.आई. देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन पर नज़र रखने हेतु एक स्वतंत्र निगरानी उपकरण है, जिसे वर्ष 2005 के बाद से वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाता है।
- इसे ग़ैर लाभकारी संस्थाएँ जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टिट्यूट तथा क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा विकसित किया गया है।