प्रारंभिक परीक्षा - CE20 क्रायोजेनिक इंजन, चंद्रयान-3 मिशन मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र:3 - अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास |
संदर्भ
- हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में स्वदेशी CE20 क्रायोजेनिक इंजन का उड़ान स्वीकृति हॉट टेस्ट ( flight acceptance hot test) का सफल परीक्षण किया गया।
- CE20 क्रायोजेनिक इंजन का हाई एल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी में 25 सेकंड की नियोजित अवधि के लिए स्वीकृति हॉट टेस्ट किया गया, परीक्षण के दौरान सभी प्रणोदन पैरामीटर संतोषजनक पाए गए।
- यह इंजन चंद्रयान-3 मिशन के लिए LVM3 लॉन्च व्हीकल के क्रायोजेनिक अपर स्टेज को सक्षम बनाएगा।
CE20 क्रायोजेनिक इंजन
- CE20 क्रायोजेनिक इंजन, लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) के लिए इसरो द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित इंजन है।
- CE-20 इंजन के शामिल होने से अतिरिक्त प्रणोदक लोडिंग के साथ LVM3 की पेलोड क्षमता 450 किलोग्राम तक बढ़ जाएगी, क्योंकि यह इंजन अधिक थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है, और अंतरिक्ष में बहुत अधिक पेलोड द्रव्यमान उठा सकता है।
- CE20 इंजन में प्रमुख संशोधनों में, 3D-मुद्रित LOX (लिक्विड ऑक्सीजन) और LH2 (लिक्विड हाइड्रोजन) टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग और थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व (TCV) शामिल है।
- क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग रॉकेट लॉन्च के ऊपरी चरण में किया जाता है, क्योंकि वे लॉन्चर वाहन को अधिकतम थ्रस्ट प्रदान करते है।
क्रायोजेनिक इंजन
- क्रायोजेनिक इंजन एक रॉकेट इंजन है, जो क्रायोजेनिक ईंधन या ऑक्सीडाइज़र का उपयोग करता है , अर्थात इसके ईंधन या ऑक्सीडाइज़र (या दोनों) गैसों को तरलीकृत किया जाता है, और बहुत कम तापमान पर संग्रहीत किया जाता है।
- इसमे प्रणोदक के रूप में तरल गैसों का उपयोग किये जाने के कारण, क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन को तरल प्रणोदक रॉकेट इंजन भी कहा जाता है।
- पारंपरिक ठोस और तरल प्रणोदक रॉकेट इंजनों की तुलना में, यह इंजन जलाए गए प्रत्येक किलोग्राम ईंधन के लिए अधिक थ्रस्ट प्रदान करते है।
- यह इंजन, क्रायोजेनिक प्रणोदक का उपयोग करता है, अर्थात ईंधन के रूप में -265 डिग्री सेल्सियस पर तरल हाइड्रोजन और ऑक्सीकारक के रूप में -240 डिग्री सेल्सियस पर तरल ऑक्सीजन का प्रयोग करता है।
- क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन के प्रमुख घटक हैं - दहन कक्ष (थ्रस्ट चैंबर), पायरोटेक्निक इनिशिएटर, फ्यूल इंजेक्टर, फ्यूल क्रायोपंप, ऑक्सीडाइजर क्रायोपंप, गैस टर्बाइन, क्रायो वाल्व, रेगुलेटर, फ्यूल टैंक और रॉकेट इंजन नोजल।
- अभी तक सिर्फ, छह देशों ने अपने क्रायोजेनिक इंजन विकसित किए हैं - अमेरिका, फ्रांस/यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, रूस, चीन, जापान और भारत।
क्रायोजेनिक तकनीक का भारत के लिए महत्व
- क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग, इसरो द्वारा अपने जीएसएलवी कार्यक्रम के लिए किया जाता है, यह भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों की प्रगति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
- इससे ईंधन के प्रति इकाई द्रव्यमान में उच्च ऊर्जा निकलती है, जो इसे अंतरिक्ष मिशनों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाती है।
- क्रायोजेनिक तकनीक, ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग करती है, और पानी को उप-उत्पाद के रूप में छोड़ती है, यह इसकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, क्योंकि इसके उपयोग से कोई प्रदूषण नहीं होता है।
प्रक्षेपण यान एलवीएम3 (LVM3) या जीएसएलवी-एमके3
- LVM3 रॉकेट, को भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण यान माना जाता है, इसे पहले GSLV-Mk3 के नाम से जाना जाता था।
- LVM3, इसरो द्वारा विकसित, तीन चरणों वाला भारी लिफ्ट प्रक्षेपण यान है।
- LVM3 में शामिल हैं -
- ठोस ईंधन जलाने में मदद करने वाली दो ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटरें।
- एक कोर-स्टेज तरल बूस्टर, जो तरल ईंधन के संयोजन को जलाता है।
- C25 क्रायोजेनिक ऊपरी चरण, जो तरल ऑक्सीजन के साथ तरल हाइड्रोजन को जलाने में मदद करता है।
- LVM3 रॉकेट को 4 टन वर्ग के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) और लगभग 8 टन के उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में ले जाने के लिए विकसित किया गया है।
चंद्रयान-3 मिशन
- चंद्रयान-3, भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन है
- यह चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की क्षमता प्रदर्शित करता है।
- चंद्रयान -3 मिशन के तीन प्रमुख मॉड्यूल हैं - प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर।
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