(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- जनसांख्यिकी और सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्पत्र-2: विषय- केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसँख्या के अति सम्वेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य निष्पादन)
संदर्भ
भारत की जनगणना प्रक्रिया दुनिया की सबसे बड़ी जनगणना प्रक्रिया है। वर्ष 2021 की जनगणना को भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पूर्व में की गई जनगणना से तुलना के साथ-साथ इसका पुनर्निर्धारण भी करना होगा। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण और जनगणना के नमूनों का उपयोग करने वाले सभी पक्षों को भी प्रभावित करेगी। हालाँकि, वर्तमान में कोविड-19 महामारी के कारण में जनगणना की प्रक्रिया में देरी से आवश्यक सुधारों को लागू करने में विलम्ब होने की सम्भावना है।
नई जनगणना
- वर्ष 1872 में शुरू हुई जनगणना प्रक्रिया में समय के साथ कई परिवर्तन हुए और नई पद्धति का उपयोग किया गया और अब यह डिजिटल स्तर तक पहुँच गई है। वर्ष 2021 की जनगणना कागज़ रहित होगी और जनसंख्या के आँकड़ों का संग्रहण और वर्गीकरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया डिजिटल होगी यह पूरी प्रक्रिया मोबाइल एप के माध्यम से की जाएगी।
- जनगणना किसी भी देश के भविष्य के विकास की योजना बनाने का आधार होती है 2021 की जनगणना देश की 16वीं और स्वतंत्र भारत की 8वीं जनगणना होगी।
- जनगणना की यह नई पद्धति भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन का ही एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
- जनगणना के कार्य में लगाए गए कर्मचारियों को अलग-अलग भाषाओँ में जानकारियाँ उपलब्ध कराने के लिये जनगणना निगरानी और प्रबंधन पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी।
नई जनगणना पद्धति के लाभ
- जनगणना की इस नई पद्धति में डाटा की गुणवत्ता और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकेगी।
- आम लोगों के लिये जनसांख्यिकी आँकड़े उपलब्ध कराने के लिये ऑनलाइन सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके आलावा एक कोड डायरेक्टरी की व्यवस्था भी की जाएगी ताकि विस्तार से दी गई जानकारियों को कूटबद्ध कर आँकडों के प्रसंस्करण के कार्य में समय की बचत हो सके।
- मंत्रालयों से जुड़ीं जानकारियांयाँ उनके अनुरोध पर पढ़ने योग्य भाषा में तथा कार्यवाही योग्य प्रारूप में उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
- जनगणना से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को गुणवत्ता परक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इसके लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रशिक्षक तैयार करने के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर की प्रशिक्षण संस्थाओं की सेवाएँ ली जाएँगी
- जनगणना के कार्यों में लगे कर्मचारियों की मानदेय राशि सार्वजानिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पी.एफ.एम.एस.) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के माध्यम से उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी।
- जनसंख्या से जुड़े आँकड़े मंत्रालयों, विभागों, अनुसंधान संगठनों, राज्य सरकारों, हितधारकों तथा उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराए जाएंगे।
जनगणना का महत्त्व
- जनगणना की सहायता से संसाधनों का आवंटन संविधान की प्रतिबद्धताओं के अनुरूप, निर्वाचन क्षेत्र और परिसीमन के आधार पर किया जाता है, जिनका उपयोग सरकार नीति-निर्माण में करती है साथ ही जनगणना, सर्वेक्षणों के नमूनों हेतु एक आधार का कार्य करती है।
- जनजातियों के निर्धारण के लिये जनसँख्या के आँकड़े सशक्त माध्यम बनते हैं। इस प्रक्रिया से पूरे देश में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोज़गार सृजन करने में आसानी होती है।
जनगणना से सम्बंधित मुद्दे
- तकनीकी नवाचारों के बावजूद पिछले चार दशकों में आँकड़ों की गुणवत्ता में कमी आई है। परिसीमन में उपयोग किये गए जनगणना के डाटा पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। साथ ही, कोविड-19 के दौर में आंतरिक प्रवासन से सम्बंधित डाटा की गुणवत्ता काफी ख़राब है।
- स्वतंत्र भारत में अपनाए गए वर्ष 1948 के स्थायी जनगणना कानून में समय के साथ बदलाव नहीं किया गया है। निरंतर समस्याओं और कमियों के बावजूद वर्ष 1990 के जनगणना नियमों में भी कोई संशोधन नहीं किया गया।
- डाटा संग्रहण की प्रक्रिया में शामिल प्रशिक्षित कर्मचारियों का अभाव है, जिससे डाटा प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी में सुधार नहीं हो पाता है
आगे की राह
- जनगणना प्रक्रिया में आधे से अधिक प्रश्न घरेलू सुविधाओं तथा परिसम्पत्तियों से सम्बंधित हैं इन्हें कम किया जा सकता है नमूना सर्वेक्षण और प्रशासनिक आँकड़ों के माध्यम से जानकारी को अधिक उचित रूप में एकत्रित किया जा सकता है, जिससे जनगणना की प्रक्रिया को सुगमता से पूरा किया जा सकता है।
- जनगणना प्रक्रिया को सरल एवं निष्पक्ष बनाने से चुनावी रिकॉर्ड की बेहतर जाँच तथा कल्याणकारी नीतियों का लाभ उचित लाभार्थियों को मिल सकेगा।
- जनगणना अभ्यास से सम्बंधित सुधारों को लागू करने से संवैधानिक, नीतिगत और सांख्यिकी दायित्त्वों की पूर्ति हो सकेगी तथा नई डिजिटल चुनौतियों से से निपटने में भी सहायता मिल सकेगी।