प्रारम्भिक परीक्षा - सतत भूमि-प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 - पर्यावरण संरक्षण |
सन्दर्भ
- हाल ही में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) में सतत भूमि-प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र (CoE-SLM) की स्थापना की गई।
सतत भूमि-प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र
- CoE-SLM की स्थापना की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री द्वारा यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) की 14वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (COP-14) के दौरान की गयी थी।
- CoE-SLM का उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देकर सतत भू-प्रबंधन के तरीकों से भू-क्षरण की समस्या को दूर करना है।
- CoE-SLM ने अपने कार्यों के मार्गदर्शन के लिए कुछ विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
- इनमें भूमि क्षरण का आंकलन, स्थायी भूमि प्रबंधन पर दक्षता उन्नयन के साथ सतत विकास लक्ष्य, UNCCD द्वारा निर्धारित भूमि आधारित संकेतकों का मूल्यांकन, निगरानी और रिपोर्टिंग को मजबूत करना शामिल है।
- CoE-SLM के उद्देश्य –
- भूमि ह्रास तटस्थता (LDN) लक्ष्य निर्धारित करना।
- सूखा जोखिम हेतु प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना।
- भूमि अधिकारों के सुशासन को बढ़ावा देना।
- ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन तथा जैव विविधता की हानि पर भूमि क्षरण के प्रभावों का आकलन करना।
भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद
- भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक स्वायत्त संस्थान है।
- यह राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान के क्षेत्र में शीर्ष संस्थान है जो वानिकी क्षेत्र में आवश्यकता के अनुसार अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार को बढ़ावा देता है।
- संस्थान का लक्ष्य पारिस्थितिकी सुरक्षा, बेहतर उत्पादकता, आजीविका में वृद्धि एवं वानिकी अनुसंधान और शिक्षा के माध्यम से वन संसाधनों के सतत् उपयोग हेतु वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकियों को उद्यत करना, उनको आगे बढ़ाना और उनका प्रसार करना है।
- इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
- देश में वन संसाधनों के वैज्ञानिक और सतत् प्रबंधन के लिए वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार को संचालित करना, बढ़ावा देना एवं समन्वय करना।
- सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ परिषद में वानिकी अनुसंधान कार्यक्रमों को श्रेणीबद्ध करना।
- वानिकी मामलों में राष्ट्रीय महत्व और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के विषयक निर्णय लेने में सहायता करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को वैज्ञानिक सलाह और नीतिगत सहायता प्रदान करना।
- वानिकी, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक ज्ञान कोष के रूप में कार्य करना और विभिन्न हितधारकों को ऐसे ज्ञान को प्रसारित करना।
- वन संरक्षण, वनीकरण, कृषि वानिकी और संबद्धित गतिविधियों हेतु राज्यों, वन आधारित उद्योगों, वृक्ष उत्पादकों, किसानों एवं अन्य को तकनीकी सहायता व सहयोग प्रदान करना।
- सतत् संसाधन उपयोग, आजीविका और आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त वन आधारित प्रौद्योगिकियों, प्रक्रियाओं और उत्पादों का विकास करना।
- वैज्ञानिक ज्ञान और उपयुक्त वन-आधारित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के माध्यम से वन आश्रित समुदायों को आजीविका सहायता प्रदान करना।
- वानिकी क्षेत्र के लिए तकनीकी रूप से योग्य मानव संसाधन विकसित करना।
- देश में वानिकी शिक्षा को बढ़ावा देना एवं एक समान पाठ्यक्रम के विकास सहित तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से गुणवत्ता में सुधार के लिए विश्वविद्यालयों को सुविधा प्रदान करना।
- पर्यावरण और वन क्षेत्रों में परामर्श और क्षमता विकास सेवाएं प्रदान करना।
- वानिकी और संबद्ध विषयों के लिए राष्ट्रीय वन पुस्तकालय और सूचना केंद्र का विकास और रखरखाव करना।
- पर्यावरण और वन विस्तार कार्यक्रमों को विकसित करना और मास मीडिया और ऑडियो-विजुअल एड्स के माध्यम से इसे बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों के तकनीकी पहलुओं पर सरकार का सहयोग और सलाह देना।
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