हाल ही में, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय समुदाय के कल्याण हेतु आर्ट ऑफ़ लिविंग के साथ साझेदारी में दो उत्कृष्टता केंद्रों (Centers of Excellence) का शुभारम्भ किया।
पहला उत्कृष्टता केंद्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में गौ-आधारित कृषि तकनीकों के अनुरूप प्राकृतिक खेती के लिये जनजातीय किसानों को प्रशिक्षण देने से सम्बंधित है।
दूसरा उत्कृष्टता केंद्र पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने से सम्बंधित है। इसके अंतर्गत झारखंड के 5 ज़िलों के 30 ग्राम पंचायतों और 150 गांवों को कवर किया गया है।
यह मॉडल जनजातीय युवकों को स्वयंसेवकों के रूप में व्यक्तित्व विकास का प्रशिक्षण देकर, उनके बीच सामाजिक जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न करने और इस तरह से जनजातीय नेतृत्व तैयार करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
लाभ व महत्त्व
आदिवासी लोग प्रकृति की रक्षा और पर्यावरण को बचाने के लिये पूरी तरह से समर्पित होते हैं। इस प्रयास से इस मुहीम को और बल मिलेगा।
इसके अंतर्गत किसानों को जैविक प्रमाणन दिलाने में सहायता प्रदान की जाएगी और जनजातीय किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये विपणन के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।
आदिवासी पंचायती राज संस्थानों (पी.आर.आई.) को मज़बूत करने से उन्हें संवैधानिक अधिकारों के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलेगी, जो निर्णय लेने और अपने समुदाय के विकास से सम्बंधित मामलों में पी.आर.आई. को सशक्त करेगा।
इससे पी.आर.आई. के चुने हुए प्रतिनिधियों के बीच विभिन्न जनजातीय नियमों, अधिनियमों, और उनके लिये उपलब्ध कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने व जनजातीय लोगों को इन योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।