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खनन क्षेत्रों में बचाव अभियानों की चुनौतियाँ एवं निदान

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

हाल ही में, असम के दीमा हसाओ जिले में रैट होल माइनिंग वाली कोयला खदान में पानी भर जाने से कुछ मजदूर फंस गए। कई राज्य स्तरीय एवं केंद्रीय एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान के बावजूद कई मजदूरों की मौत हो गयी।

भारत में खनन क्षेत्र में बचाव अभियानों की चुनौतियाँ 

  • खतरनाक एवं अस्थिर कार्य वातावरण : खदानें, विशेषकर कोयला खदानें और गहरी भूमिगत संचालित खदानें विभिन्न खतरों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। ऐसी खदानों में दुर्घटना होने पर श्रमिकों एवं बचाव दल के सदस्यों, दोनों को खतरा हो सकता है।
  • पर्याप्त सुरक्षा उपकरणों का अभाव : कई खनन गतिविधियों में, विशेषकर छोटी एवं अनियमित खदानों में आवश्यक सुरक्षा उपकरणों (जैसे- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, उचित वेंटिलेशन सिस्टम एवं बचाव उपकरण) का अभाव होता है। 
  • दुर्घटना स्थल तक सीमित पहुंच : दूरदराज के क्षेत्रों या पुरानी खनन स्थलों पर संकरी सुरंगों, पानी से भरी खदानों और उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण बचाव दलों के लिए प्रभावित इलाकों में बचाव कार्य मुश्किल हो जाता है।
  • विलंबित प्रतिक्रिया समय : अपर्याप्त बुनियादी ढांचा वाले क्षेत्रों और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी वाले खनन स्थलों पर बचाव अभियान शुरू करने में देरी की संभावना होती है।
  • बचाव कर्मियों के लिए अपर्याप्त प्रशिक्षण : कई खनन कंपनियों के पास बचाव कार्यों के लिए कुशल एवं प्रशिक्षित कर्मियों की कमी होती है।
  • हितधारकों के बीच समन्वय का अभाव : खनन कंपनियों, सरकारी एजेंसियों एवं स्थानीय आपातकालीन सेवाओं सहित विभिन्न हितधारकों के बीच उचित समन्वय का अभाव से बचाव कार्य में समस्या हो सकती है। 
  • विषाक्त गैसों के संपर्क में आना : भूमिगत खदानों में मीथेन या कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों का संचय होने एवं उनके संपर्क में आने का खतरा रहता है। 
  • आपातकालीन तैयारी योजनाओं का अभाव : कई मामलों में, विशेषकर छोटी खदानों में व्यापक आपातकालीन तैयारी योजनाएँ नहीं होती हैं। इससे आपदा आने पर भ्रम एवं अक्षमता उत्पन्न होती है।
  • पर्यावरणीय खतरे : खदानों के अंदर एवं आसपास की पर्यावरणीय परिस्थितियाँ चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए, मानसून या मौसमी बाढ़ खदानों तक पहुँच को बाधित कर सकती है, जबकि कुछ खनन स्थल पर धूल या गर्मी श्रमिकों एवं बचावकर्मियों दोनों को अधिक ख़तरे में डाल सकती है।
  • विनियामक एवं कानूनी चुनौतियाँ : भारत में कई खनन क्षेत्रों विशेषकर, छोटे, अनियमित या अवैध खनन कार्यों में सुरक्षा नियमों के क्रियान्वयन का अभाव होता है। 

भारत में पूर्व में घटित कुछ प्रमुख खनन आपदाएँ

  • न्यूटन चिकली कोलियरी आपदा (1954) : भारत के छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में खदान में पानी भरने से 63 लोगों की मौत हो गई थी।  
  • धनबाद कोयला खदान दुर्घटना (झारखंड राज्य का हजारीबाग जिला, 1965) : खदान में संभवतः भूमिगत गैस संचय के कारण विस्फोट में लगभग 275 लोगों की मौत हो गई थी। 
  • चासनाला खनन आपदा (1975) : धनबाद जिले के पास चासनाला में एक कोयला खदान में विस्फोट के बाद बाढ़ आ गई और करीब 375 मजदूरों की मौत हो गई थी। 
  • मेघालय खनन दुर्घटना (2018) : मेघालय के कसन में रैट होल माइनिंग पद्धति वाली एक खदान में लितीन नदी के पानी भर जाने से कई श्रमिक हताहत हुए।

रैट होल माइनिंग तकनीक

  • यह मुख्यत: कोयला खनन की एक आदिम एवं खतरनाक पद्धति है जिसका उपयोग कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में किया जाता है। 
  • इसमें छोटी, संकरी खड़ी सुरंगें या रैट होल बनाया जाता है जहाँ खनिक कोयला निकालने के लिए मैन्युअल रूप से प्रवेश करते हैं।

कोयला खदान सुरक्षा के लिए वैधानिक ढांचा

  • खान अधिनियम, 1952 (इसे व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति (OSHW) संहिता, 2020 द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा)
  • खान नियम, 1955
  • कोयला खान विनियम, 2017
  • खान बचाव नियम, 1985
  • विद्युत अधिनियम, 2003
  • केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सुरक्षा एवं आपूर्ति से संबंधित उपाय) विनियम, 2023
  • खान व्यावसायिक प्रशिक्षण नियम, 1966
  • खान क्रेच नियम, 1966
  • भारतीय विस्फोटक अधिनियम, 1884
  • विस्फोटक नियम, 2008
  • भारतीय बॉयलर अधिनियम, 1923
  • खान मातृत्व लाभ अधिनियम एवं नियम, 1963
  • कर्मचारी मुआवजा अधिनियम, 2010
  • कारखाना अधिनियम, 1948 अध्याय III एवं IV

कोल इंडिया के सुरक्षा एवं बचाव प्रभाग की प्रमुख गतिविधियाँ 

  • खदानों का निरीक्षण करना और सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए अनुवर्ती कार्रवाई करना
  • दुर्घटनाओं की जांच करना और उसका डाटाबेस बनाए रखना
  • सुरक्षा ऑडिट, प्रशिक्षण एवं खदान बचाव तैयारियों की निगरानी करना
  • सुरक्षा दिशा-निर्देश और तकनीकी परिपत्र विकसित करना तथा उन्हें लागू करना
  • सुरक्षा जागरूकता और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा बुलेटिन प्रकाशित करना
  • संबद्ध संसदीय प्रश्नों का उत्तर देना और सुरक्षा एजेंसियों के साथ संपर्क बनाए रखना

खान सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए किए जा रहे उपाय

  • सुरक्षा प्रबंधन योजनाएँ (SMPs) : साइट-विशिष्ट SMPs तैयार किया गया है। इसकी नियमित रूप से समीक्षा की जाती है और आंतरिक सुरक्षा संगठन (ISO) द्वारा निगरानी की जाती है।
  • प्रमुख जोखिम प्रबंधन योजनाएँ (PHMPs) : आपात स्थितियों के लिए ट्रिगर एक्शन रिस्पांस प्लान (TARP) के साथ खदान आपदाओं को रोकने के लिए PHMPs तैयार की गईं हैं।
  • मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs) : खनन कार्यों के लिए साइट-विशिष्ट, जोखिम-आधारित SOPs तैयार और अपडेट की गई।
  • सुरक्षा ऑडिट : वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सुरक्षा ऑडिट पूरा किया गया और CSIS पोर्टल पर अपलोड किया गया है।
  • विशेष सुरक्षा अभियान एवं टूलबॉक्स वार्ता : जागरूकता व जोखिम आकलन में सुधार के लिए कार्यशालाएँ और सुरक्षा वार्ताएँ आयोजित की गईं हैं।
  • अन्य सुरक्षा पहल : नियमित योग्यता आकलन, मानसून योजनाएँ और सुरक्षा प्रशिक्षण के लिए वीडियो क्लिप का उपयोग किया जा रहा है।

उपरोक्त विशिष्ट कार्यों के अलावा, सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए निम्नलिखित उपाय जारी हैं-

  • मास प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी, सरफेस माइनर्स और हाईवॉल माइनिंग जैसी उन्नत तकनीकों को अपनाना
  • रॉक मास रेटिंग और मशीनीकृत रूफ बोल्टिंग के साथ स्ट्रेटा मैनेजमेंट को लागू करना
  • गैस डिटेक्टर्स, वायु गुणवत्ता प्रणालियों और धूल के नमूनों के माध्यम से खदान के वातावरण की निगरानी करना
  • पंपिंग सुविधाओं और तटबंधों के साथ जल खतरे के प्रबंधन को मजबूत करना
  • खान-विशिष्ट यातायात नियमों, ऑपरेटर प्रशिक्षण और ठेकेदार संवेदीकरण के साथ दुर्घटनाओं को रोकना

कोयला मंत्रालय द्वारा जारी खनन योजना दिशानिर्देश, 2024 

  • लचीलापन एवं संशोधन : खनन योजनाओं में छोटे-मोटे बदलावों के लिए लचीलापन बढ़ाया गया है जबकि बड़े बदलावों के लिए कोयला नियंत्रक संगठन (CCO) से मंजूरी लेनी होगी।
  • सुरक्षा एवं प्रौद्योगिकी : अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट सहित विस्फोट मुक्त कोयला खनन प्रौद्योगिकियों और व्यापक सुरक्षा प्रबंधन योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • पर्यावरणीय उपाय : अनुपालन रिपोर्ट के लिए अनिवार्य ड्रोन सर्वेक्षण के साथ-साथ फ्लाई ऐश भरने और रेत रखने के प्रोटोकॉल को एकीकृत किया जाएगा।
  • कुशल संचालन : हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी (HEMM) का मानकीकरण और कोयला निकासी के लिए कन्वेयर बेल्ट या रेलवे को उपयोग किया जाएगा।

सुझाव 

  • उन्नत प्रशिक्षण : सभी खदान बचाव दलों के लिए नियमित एवं व्यापक बचाव प्रशिक्षण अनिवार्य करना
  • आधुनिक उपकरण : बचाव दलों को ड्रोन, रिमोट-नियंत्रित रोबोट और उन्नत श्वास तंत्र जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करने की आवश्यकता 
  • संचार प्रणालियाँ : बचाव कार्य के दौरान बेहतर समन्वय के लिए खदानों में विश्वसनीय संचार प्रणालियाँ, जैसे- दो-तरफ़ा रेडियो और भूमिगत ट्रैकिंग प्रणालियाँ सुनिश्चित करना
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल : सभी खनन कार्यों के लिए मानकीकृत सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएँ स्थापित करना और उन्हें कठोरता से लागू करना
  • नियमित निरीक्षण : संभावित खतरों की पहचान और सुरक्षा उपायों में सुधार के लिए लगातार सुरक्षा ऑडिट व जोखिम आकलन करना 
  • स्वास्थ्य निगरानी : बचाव कर्मियों की नियमित स्वास्थ्य जांच और फिटनेस आकलन करना
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