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नवीकरणीय ऊर्जा की चुनौतियाँ

संदर्भ

भारत को 2070 तक शुद्ध शून्य जी.एच.जी. उत्सर्जन हासिल करना है, जिसके लिए बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव की आवश्यकता है, लेकिन विकासात्मक या स्थिरता परिणामों के समक्ष चुनौतियाँ भी विद्यमान हैं।

क्या है नवीकरणीय ऊर्जा 

नवीकरणीय ऊर्जा उन स्रोतों या प्रक्रियाओं से आती है जिनकी लगातार पूर्ति होती रहती है। ऊर्जा के इन स्रोतों में सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा और जलविद्युत ऊर्जा शामिल हैं। 

भारत की स्थिति

  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत ने 2023-24 में रिकॉर्ड 18.48 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ी है, जो एक साल पहले के 15.27 गीगावॉट से 21% अधिक है। 
    • हालाँकि, विशेषज्ञों के अनुसार, 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए अगले छह वर्षों में सालाना कम से कम 50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है।
    • आंकड़ों के अनुसार, भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 143.64 गीगावॉट है। 
  • 2023-24 में 12.78 गीगावॉट की सौर स्थापनाओं से 15.27 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि हुई, इसके बाद 2.27 गीगावॉट पवन ऊर्जा हुई।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के बीच, कुल सौर स्थापित क्षमता 81.81 गीगावॉट पर चार्ट में सबसे ऊपर है, इसके बाद लगभग 46 गीगावॉट पवन ऊर्जा, 9.43 गीगावॉट बायोमास सह-उत्पादन और 5 गीगावॉट लघु पनबिजली (प्रत्येक 25 मेगावाट क्षमता तक) है।
  • राज्यों में, गुजरात और राजस्थान में लगभग 27 गीगावॉट की सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता है, इसके बाद तमिलनाडु में लगभग 22 गीगावॉट, कर्नाटक में लगभग 21 गीगावॉट और महाराष्ट्र में लगभग 17 गीगावॉट है।

चुनौतियाँ

  • सोलर पार्कों के लिए भूमि की अनुपलब्धता:  सौर पार्क भारत की शमन रणनीति का एक प्रमुख स्तंभ है। सौर पार्कों के तहत 214 वर्ग किमी. भूमि है, लेकिन कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि भारत को अपने नेट ज़ीरो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 50,000-75,000 वर्ग किमी. की आवश्यकता हो सकती है, जो तमिलनाडु के आकार का लगभग आधा है।
  • स्थानीय स्तर पर विविधता और आर्थिक असमानता : स्थानीय स्तर पर, भारत के दो सबसे बड़े सौर पार्कों - राजस्थान के भादला और कर्नाटक के पावागाड़ा के पास के गाँवों के किसान अलग-अलग अनुभव बताते हैं। 
    • भादला में, किसानों ने ओरांस नामक पवित्र भूमि खो दी है और चरवाहों को घटती चरागाह भूमि का सामना करना पड़ रहा है। 
    • दूसरी ओर, पावागाड़ा में कई किसान सौर पार्कों के लिए भूमि पट्टे पर देने से मिलने वाली स्थिर वार्षिक आय से संतुष्ट थे। यह भूमि सूखाग्रस्त थी और इससे महत्वपूर्ण कृषि आय नहीं होती थी। फिर भी, जल सुरक्षा के मुद्दे और बड़े एवं छोटे भूमि मालिकों के बीच आर्थिक असमानता इस क्षेत्र के लिए चुनौतियाँ हैं।
  • सौर पार्कों की प्राकृतिक संसाधनों के साथ प्रतिस्पर्धा 
  • सौर पैनलों की नियमित सफाई के लिए पानी की आवश्यकता 
  • कृषि और संबंधित आजीविका के साथ प्रतिस्पर्धा 
  • बड़े पैमाने पर सौर पार्कों के निर्माण से जैव-विविधता को नुकसान 
    • उदाहरण के लिए, रेगिस्तान जैसी खुली प्राकृतिक प्रणालियाँ आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करती हैं, लेकिन नुकसान होने पर पारिस्थितिक क्षति का कारण बनेंगी और जलवायु परिवर्तन में भी योगदान देंगी। 
  • पवन ऊर्जा का पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव

सुझाव 

  • बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए निजी स्वामित्व मॉडल अपनाना 
  • कानूनी और नियामक तंत्र को संशोधित और मजबूत करना 
  • बंजर भूमि वर्गीकरण में महत्वपूर्ण बदलाव करना 
  • अनुसंधान को प्रोत्साहित करना और 'एग्रीवोल्टिक्स' के साथ प्रयोग करना
    • एग्रीवोल्टाइक्स सौर ऊर्जा को कृषि के साथ जोड़ता है, ऊर्जा बनाता है और पैनलों के नीचे और बीच में फसलों, चरागाहों और देशी आवासों के लिए जगह प्रदान करता है। 
  • कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना 

निष्कर्ष 

भारत दूसरी हरित क्रांति के शिखर पर हैं। भारत के पास इस क्रांति के अनपेक्षित परिणामों का अनुमान लगाने और स्थिरता, जलवायु परिवर्तन शमन एवं विकास संबंधी परिणामों के बीच तालमेल को अधिकतम करने के लिए अपनी तकनीकी, आर्थिक व संस्थागत संरचनाओं को संरेखित करने का अवसर है।

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