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भारत में 6GHz से संबंधित चुनौतियां

प्रारंभिक परीक्षा

(विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: सूचना प्रौद्योगिकी; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ 

सोनी कंपनी की घोषणा के अनुसार, उसका नवीनतम गेमिंग कंसोल प्लेस्टेशन 5 प्रो, भारत सहित ऐसे कुछ देशों में उपलब्ध नहीं होगा जहाँ ‘WiFi 7’ में उपयोग किए जाने वाले 6GHz वायरलेस बैंड को अभी तक अधिकृत नहीं किया गया है। ‘गेमिंग कंसोल’ वीडियो गेम खेलने के लिए डिज़ाइन किया गया एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। 

WiFi बैंड का संक्षिप्त इतिहास

  • भारत एवं विश्व भर में मुख्यत: WiFi में दो प्रमुख आवृत्ति बैंड 2.4GHz व 5GHz का उपयोग किया जाता है।
    • 2.4GHz में सीमित डाटा बैंडविड्थ होता है, यह धीमी कवरेज के साथ एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है। 5GHz काफी तेज़ होता है किंतु कम दूरी को कवर करता है।
    • वर्ष 2002 से भारत में इन दोनों WiFi बैंड स्पेक्ट्रम की आवृत्तियों को उपयोग के लिए लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया।
  • वर्ष 2020 में WiFi 6 तकनीक की शुरुआत की गई।
    • यह तकनीक 2.4GHz और 5GHz दोनों आवृत्तियों का एक साथ उपयोग करती है जिससे अधिक दक्षता व बेहतर गति मिलती है।
  • वर्ष 2021 में WiFi 6E तकनीक शुरू की गई, जिसने दुनिया को इस तकनीक को अनुमति देने वाले एवं अनुमति नहीं देने वाले दो गुटों में विभाजित कर दिया है।

6 GHz स्पेक्ट्रम के बारे में

  • 6 GHz स्पेक्ट्रम 5,925 मेगाहर्ट्ज और 7,125 मेगाहर्ट्ज के बीच स्पेक्ट्रम के बैंड पर निर्भर होता है। 6 GHz बैंड की सैद्धांतिक अधिकतम गति 9.6Gbps तक हो सकती है।
  • 6GHz स्पेक्ट्रम मौजूदा 2.4GHz और 5GHz बैंड की तुलना में कम दूरी पर तेज़ वायरलेस कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • वर्ष 2021 तक जापान, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, ताइवान, संयुक्त अरब अमीरात, यू.के. एवं अमेरिका सहित दुनिया भर के कई नियामक प्राधिकरणों ने WiFi के लिए स्पेक्ट्रम के तीसरे बैंड 6GHz को लाइसेंस मुक्त करना शुरू कर दिया।
  • हालाँकि, भारत एवं चीन जैसे कई देशों ने अभी तक WiFi के लिए 6GHz स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी है।
  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) दुनिया भर में दूरसंचार, वाई-फाई, सैटेलाइट एवं उपयोग के अन्य मामलों के लिए वायरलेस आवृत्तियों को एक समान रखने की कोशिश करता है किंतु कई देश अभी तक 6GHz बैंड के मानक पर सहमत नहीं हुए हैं।

भारत में 6GHz बैंड की स्थिति

  • वर्तमान में भारत में 6GHz स्पेक्ट्रम के अनन्य अधिकार सैटेलाइट उपयोग के लिए केवल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पास है।
  • भारत के दूरसंचार विभाग (DoT) ने 6GHz स्पेक्ट्रम के आवंटन में देरी की है जो भारतीय दूरसंचार ऑपरेटरों और प्रौद्योगिकी कंपनियों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
  • दूरसंचार कंपनियों का पक्ष : ये कंपनियां केवल 5G एवं 6G दूरसंचार उपयोग के लिए 6GHz स्पेक्ट्रम का आवंटन की मांग कर रही है।
    • दूरसंचार कंपनियों का दावा है कि बिना नीलामी के वाई-फाई के लिए 6GHz स्पेक्ट्रम आवंटित करने से राष्ट्रीय खजाने को भारी वित्तीय नुकसान हो सकता है।
    • 6GHz बैंड दूरसंचार क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकमात्र मिड-बैंड स्पेक्ट्रम रेंज है जहां प्रति दूरसंचार सेवा प्रदाता 300-400 मेगाहर्ट्ज की निरंतर बैंडविड्थ संभव है, जो वर्ष 2030 की ओर तेजी से विकसित हो रही मांगों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • टेक कंपनियों का पक्ष : ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के अंतर्गत आने वाली टेक कंपनियों गूगल, मेटा, अमेज़ॅन आदि ने केवल WiFi के उपयोग के लिए 6GHz स्पेक्ट्रम का अमेरिका की तरह आवंटन की मांग की है।
    • टेक फर्म्स का तर्क है कि अगर पूरे 6 गीगाहर्ट्ज बैंड को लाइसेंस मुक्त नहीं किया जाता है तो भारत वैश्विक नीति में अलग-थलग पड़ सकता है, घरेलू विनिर्माण में बाधा आ सकती है और डिजिटल आर्थिक विकास धीमा हो सकता है।
    • इसके अलावा यदि 6GHz बैंड को दूरसंचार सेवाओं के लिए आवंटित किया जाता है तो इससे गैर-विश्वसनीय स्रोतों से आयात बढ़ सकता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
  • इसरो का पक्ष : 6GHz स्पेक्ट्रम आवंटन से इसरो के उपग्रह संचालन में संभावित हस्तक्षेप की चिंता है।
    • विशेषज्ञों का सुझाव है कि 6GHz मोबाइल सेवाएँ उपग्रहों में हस्तक्षेप कर सकती हैं किंतु वाई-फाई की कम शक्ति के कारण ऐसी समस्या नहीं होती है।
    • इसरो ने दूरसंचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का विरोध किया है।

आगे की राह 

  • दूरसंचार विभाग का अंतिम निर्णय संभवतः अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार एवं उपग्रह सेवाओं के बीच सह-अस्तित्व अध्ययनों के परिणाम पर निर्भर करेगा।
  • विश्व रेडियो संचार सम्मेलन 2024 में भारत और कुछ अन्य देशों को 6GHz स्पेक्ट्रम के बारे में निर्णय लेने के लिए वर्ष 2027 तक का समय प्राप्त है।
  • सरकार ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का अनुसरण कर सकती है, जिन्होंने आधे स्पेक्ट्रम को लाइसेंस मुक्त कर सभी के लिए उपलब्ध करा दिया है, जबकि बाकी आधे के प्रयोग पर विचार कर रही है।
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