(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव) |
संदर्भ
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) ने प्रत्येक माह की 12 तारीख को शाम 5:30 बजे खुदरा मुद्रास्फीति से संबंधित उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index : CPI) एवं औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production : IIP) आँकड़ों को जारी करने के समय में बदलाव करते हुए इसे शाम 4 बजे जारी करने की घोषणा की है।
पूर्व में आँकड़े जारी करने का समय
- जून 2013 तक CPI एवं IIP आँकड़े हर महीने की 12 तारीख को सुबह 11-11:30 बजे के आसपास जारी किए जाते थे।
- CPI आँकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्त्वपूर्ण संकेतक हैं जो विशेष रूप से विदेशी मुद्रा एवं सरकारी बॉन्ड बाजारों में ट्रेडिंग को प्रभावित कर सकते हैं।
- इस वर्ष आँकड़ों के आधिकारिक रिलीज़ से पहले लीक होने की कुछ रिपोर्ट्स आई थीं। इसके कारण मंत्रालय को विशेष रूप से CPI आँकड़े जारी करने के समय को बाज़ार के समय के बाद रखने के लिए कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए थे।
- इस अभ्यावेदन के बाद MoSPI ने जुलाई 2013 से CPI एवं IIP आँकड़ो के रिलीज़ का समय बदलकर शाम 5:30 बजे कर दिया क्योंकि विदेशी मुद्रा बाजार व सरकारी बॉन्ड बाजार शाम 5 बजे बंद हो जाते हैं।
- CPI से संबंधित आँकड़ें हमेशा मासिक आधार पर जारी किए जाते रहे हैं।
- थोक मुद्रास्फीति (Wholesale Inflation) के आँकड़े दिसंबर 2012 तक साप्ताहिक आधार पर जारी किए जाते थे। वर्तमान में इसे हर महीने की 14 तारीख को दोपहर के आसपास जारी किया जाता है।
नवीनतम संशोधन की आवश्यकता
- MoSPI के अनुसार आँकड़े जारी करने के समय में संशोधन CPI एवं IIP डाटा तक पहुँच के लिए अधिक समय प्रदान करने के लिए किया जा रहा है।
- नया समय भारत में प्रमुख वित्तीय बाजारों के बंद होने के समय के साथ संरेखित है।
- हालाँकि, मुद्रास्फीति के आँकड़ों के प्रति संवेदनशील सरकारी बांड बाजार एवं विदेशी मुद्रा वायदा बाजार जैसे कुछ वित्तीय बाजार शाम 5 बजे तक खुले रहते हैं।
- CPI एवं IIP देश में ग्रामीण, शहरी व संयुक्त क्षेत्रों और औद्योगिक विकास में मुद्रास्फीति के रुझान को दर्शाकर आर्थिक नीति तथा वित्तीय बाजारों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- समय का यह समायोजन आँकड़ों के प्रसार में पारदर्शिता और आँकड़ों तक पहुँच के लिए MoSPI की प्रतिबद्धता का भी पालन करता है।
CPI एवं IIP आँकड़ों का महत्त्व
CPI आँकड़े
- CPI उन वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों के सामान्य स्तर में समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को मापता है जिन्हें परिवार उपभोग के लिए खरीदते हैं।
- इसका उपयोग मुद्रास्फीति के एक व्यापक आर्थिक संकेतक के रूप में और सरकारों तथा केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण एवं मूल्य स्थिरता की निगरानी के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है।
- इसका उपयोग राष्ट्रीय खातों में अपस्फीति के रूप में भी किया जाता है।
- मुद्रास्फीति वह दर है जिस पर चयनित वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतों में एक निश्चित समयावधि में वृद्धि होती है। इसका सबसे प्रसिद्ध संकेतक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) है जिसकी गणना CPI में साल-दर-साल परिवर्तन को मापकर की जाती है।
- वर्तमान में CPI (संयुक्त) खुदरा मुद्रास्फीति के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण संकेतक है। वर्ष 2015 से इसके आधार वर्ष में परिवर्तन करते हुए इसे वर्ष 2010 के स्थान पर वर्ष 2012 कर दिया गया था।
IIP आँकड़े
- IIP आँकड़े किसी अर्थव्यवस्था में औद्योगिक उत्पादन में होने वाले परिवर्तनों की मात्रा को मापता है जो देश में औद्योगिक गतिविधि के सामान्य स्तर को दर्शाता है।
- वर्तमान में इसका आधार वर्ष 2011-12 है।
- यह तीन क्षेत्रों ‘खनन, विनिर्माण एवं विद्युत’ और विभिन्न उपयोग-आधारित श्रेणियों, जैसे- आधारभूत वस्तुएँ, पूंजीगत वस्तुएँ, मध्यवर्ती वस्तुएँ, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएँ व उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं के औद्योगिक विकास को कवर करता है।
- वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण एवं राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी जारी होने तक IIP को औद्योगिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण अल्पकालिक संकेतक के रूप में देखा जाता है।