चर्चा में क्यों
हाल ही में, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (Environment Protection Act : EPA) के प्रावधानों में परिवर्तन का प्रस्ताव रखा है।
ई.पी.ए. के प्रस्तावित प्रावधान
- नए प्रावधानों के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों को केवल जुर्माना देने की आवश्यकता होगी। हालांकि, यह उन उल्लंघनों पर लागू नहीं होगा जो गंभीर चोट या जीवन की हानि का कारण बनते हैं।
- नए नियमों के तहत कारावास के बदले प्रस्तावित जुर्माना वर्तमान में लगाए गए जुर्माने से 5-500 गुना अधिक है।
- दंड के रूप में एकत्र की गई धनराशि पर्यावरण संरक्षण कोष में जमा की जाएगी। अधिनियम के उल्लंघन के मामले में आर्थिक दंड ₹5 लाख से ₹5 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।
- ई.पी.ए. के प्रस्तावित प्रावधानों के तहत एक निर्णय अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो पर्यावरण के उल्लंघन के मामलों में दंड का निर्णय करेगा।
- कारावास की शर्तों को हटाने से संबंधित प्रावधान वायु प्रदूषण अधिनियम तथा जल प्रदूषण अधिनियम पर भी लागू होते हैं।
ई.पी.ए. के मौजूदा प्रावधान
- अधिनियम के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वालों को पाँच वर्ष तक की कैद या ₹1 लाख तक का जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
- यदि दोष सिद्ध होने के पश्चात् भी उल्लंघन जारी रहता है तब प्रतिदिन ₹ 5,000 तक का अतिरिक्त जुर्माना तथा कैद की अवधि 5 वर्ष से बढ़ाकर 7 वर्ष करने का प्रावधान है।
पर्यावरण उल्लंघन के मामले
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अनुसार भारतीय न्यायालयों ने पर्यावरण उल्लंघन के मामलों के बैकलॉग को निपटाने में लगभग 9-33 वर्ष का समय लगाया है।
- वर्ष 2018 की शुरुआत से, लगभग 45,000 मामले लंबित थे और उस वर्ष अन्य 35,000 मामले जोड़े गए थे। सात पर्यावरण कानूनों में से पाँच में 90% से अधिक मामले लंबित थे।