New
The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

भारत-अफ्रीका संबंधों के बदलते आयाम

(प्रारंभिक परीक्षा : IAFS, अफ्रीकी संघ, G20, ISA)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ  

नौ वर्ष के बाद वर्ष 2024 के अंत में भारत एवं अफ्रीकी संघ के मध्य चौथा भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन (India-Africa Forum Summit : IAFS) आयोजित किया जाएगा। वर्तमान में भारत का ध्यान अफ्रीका के साथ राजनयिक विस्तार करने, आर्थिक एवं रक्षा संबंधों को गहरा करने पर केंद्रित है।

IAFS के बारे में 

  • IAFS भारत एवं अफ्रीकी संघ के तहत अफ्रीकी महाद्वीप के सभी 55 देशों के बीच प्रमुख जनीतिक संस्थागत तंत्र है। यह अफ्रीकी-भारतीय संबंधों का आधिकारिक मंच भी है।
  • अभी तक केवल तीन बार ही IAFS का आयोजन किया गया है :
    • पहला शिखर सम्मेलन अप्रैल 2008 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
    • दूसरा शिखर सम्मेलन इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में और तीसरा नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। 
      • वर्ष 2015 में आयोजित अंतिम IAFS में 40 राष्ट्राध्यक्षों सहित सभी 55 अफ़्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, जो भारत में अफ्रीकी नेताओं की सबसे बड़ी सभा थी।
  • वर्ष 2024 के अंत में प्रस्तावित चौथे शिखर सम्मेलन में कई राष्ट्राध्यक्षों के भाग लेने की संभावना है जो संभवतः अदीस अबाबा में आयोजित किया जाएगा।
  • हालांकि, चौथा शिखर सम्मेलन वर्ष 2020 में आयोजित होना था किंतु कोविड-19 के कारण इसमें देरी हुई।

भारत-अफ्रीका संबंधों में मार्गदर्शक सिद्धांत

  • वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युगांडा की संसद में एक भाषण के दौरान अफ्रीकी देशों के साथ संबंधों के लिए भारत के 10 ‘मार्गदर्शक सिद्धांतों’ का अनावरण किया था, जो कि निम्नलिखित है :
  1. अफ्रीका भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है।  
  2. भारत की विकास साझेदारी अफ्रीकी प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होगी।  
  3. अफ्रीका एवं भारत के बीच व्यापार व निवेश को बढ़ावा देना।  
  4. अफ्रीका महाद्वीप में भारत की डिजिटल क्रांति का निर्यात करना।  
  5. कृषि में सहयोग करना। 
  6. जलवायु परिवर्तन को संबोधित करना।  
  7. आतंकवाद एवं उग्रवाद का मुकाबला करना।  
  8. समुद्री सुरक्षा।  
  9. अफ्रीका में वैश्विक भागीदारी को बढ़ावा देना और वैश्विक संस्थानों में सुधार करना।
  10. वैश्विक संस्थानों में अफ्रीका के लिए अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना।

अफ्रीकी संघ के बारे में

  • अफ्रीकी संघ, अफ़्रीका महाद्वीप में स्थित 55 सदस्य देशों का एक महाद्वीपीय संघ है। 
  • इसकी स्थापना 26 मई, 2001 को अदीस अबाबा में की गयी थी और 9 जुलाई, 2002 को दक्षिण अफ्रीका के डरबन में इसे लॉन्च किया गया था। 
  • वर्तमान में लगभग 1.4 अरब लोगों के साथ इसकी अर्थव्यवस्था लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
  • वर्ष 2050 तक अफ़्रीका की कुल जनसंख्या 2.5 अरब या दुनिया की कुल जनसंख्या का लगभग 25% तक पहुँचने का अनुमान है।

भारत-अफ्रीका संबंधों के बदलते आयाम 

  • भारत एवं अफ्रीका दोनों एक बहुध्रुवीय विश्व के लिए प्रयासरत हैं। भारत-अफ्रीका संबंध समकालीन विविधता का प्रतिनिधित्व करता है और व्यापक सहयोग पर निर्भर है। भारत विश्व की शक्ति संरचना को संतुलित करने के लिए अफ्रीका के उत्थान को आवश्यक मानता है।
  • हाल के वर्षों में भारत ने अफ्रीकी देशों तक अपनी राजनयिक पहुंच बढ़ाने की कोशिश की है। इसके अतिरिक्त भारत ने अफ्रीकी संघ को G-20 की स्थायी सदस्यता के लिए भी प्रयास किया। 
    • अफ्रीकी संघ को G-20 की स्थायी सदस्यता वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता में G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदान की गयी थी।
  • भारत द्वारा स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक संगठन अफ्रीका महाद्वीप में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं और सौर ऊर्जा क्षमता का निर्माण कर रहे हैं।

राजनयिक पहुँच में विस्तार 

  • विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने वर्ष 2018 से पूरे अफ्रीका महाद्वीप में 17 नए राजनयिक मिशन खोले हैं।
  • 17 नए मिशन बुर्किना फासो, कैमरून, केप वर्डे, चाड, कांगो गणराज्य, जिबूती, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, गिनी, लाइबेरिया, मॉरिटानिया, रवांडा, साओ टोम एवं प्रिंसिपे, सिएरा लियोन, सोमालिया, इस्वातिनी (स्वाज़ीलैंड) व टोगो में शुरू किये गए हैं।
  • वर्तमान भारतीय विदेश मंत्री ने वर्ष 2019 से 2024 के बीच कम-से-कम 13 अफ्रीकी देशों का दौरा किया है।

आर्थिक संबंध  

  • भारत एवं अफ़्रीकी देशों के बीच आर्थिक संबंध वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया और वित्तीय वर्ष 2023-24 में फरवरी तक यह 75 अरब डॉलर को पार कर गया है, जो भारत के कुल विदेश व्यापार का लगभग दसवां हिस्सा है।
  • भारत के एक्ज़िम बैंक (एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया) ने 15 फरवरी, 2024 तक 197 परियोजनाओं के लिए अफ्रीकी देशों को 11.2 बिलियन डॉलर क्रेडिट लाइन का विस्तार किया है।
  • हाल के वर्षों में भारत ने जर्मनी एवं फ्रांस जैसे अन्य भागीदार देशों के साथ अफ्रीका में त्रिपक्षीय विकास परियोजनाओं में भी भागीदारी की है।
  • अफ्रीका भारतीय निर्माताओं के लिए कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल एवं हल्की मशीनरी सहित कई अप्रत्याशित बाजार प्रदान करता है।

रक्षा संबंध  

  • भारत ने इथियोपिया, मोज़ाम्बिक, आइवरी कोस्ट एवं जिबूती में नए रक्षा प्रतिनिधि (डिफेंस अटैची) की नियुक्ति के साथ अफ्रीका में अपनी रक्षा कूटनीति का भी विस्तार कर रहा है।
  • रक्षा संबंधों का यह विस्तार भारत द्वारा अफ्रीकी देशों को हथियार और सैन्य विमान निर्यात करने की योजना के अनुरूप है, जिनमें से कई अफ्रीकी देशों ने पहले ही हथियार खरीदना शुरू कर दिया है।
  • भारत सरकार वर्ष 2025 तक 5 अरब डॉलर मूल्य के रक्षा उपकरणों के निर्यात के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अफ्रीका की ओर भी देख रही है।

चीन से प्रतिस्पर्द्धा 

  • एड डाटा अनुसंधान प्रयोगशाला के अनुसार, वर्ष 2000 से 2021 के बीच चीन ने अफ्रीकी देशों को लगभग 326 बिलियन डॉलर का ऋण एवं अनुदान दिया है।
  • विगत 21 वर्षों में चीन की फंडिंग ने लगभग हर अफ्रीकी देश में 7,985 परियोजनाओं में मदद की है।
  • चीन के कुल निवेश में ऊर्जा एवं परिवहन क्षेत्रों का हिस्सा लगभग आधा (लगभग 153 बिलियन डॉलर) था। 
  • जिबूती में चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा है, जो चीन द्वारा धीरे-धीरे पूरे महाद्वीप में रणनीतिक संबंध की बढ़त को दिखता है। 
  • ऋण एवं अनुदान के अलावा चीन वर्ष 2000 से हर तीन वर्ष पर चीन-अफ्रीका सहयोग मंच (FOCAC) की मेजबानी भी करता रहा है।
  • हालांकि, भारत का गतिशील निजी क्षेत्र, प्रौद्योगिकी एवं फार्मास्यूटिकल्स पर ध्यान, सॉफ्ट पावर दृष्टिकोण और स्पष्ट कूटनीतिक रणनीति अपेक्षाकृत छोटे पैमाने के बावजूद एक आकर्षक प्रतिस्पर्द्धी रणनीति है।
  • भारत अफ्रीका को चीन से अलग समावेश एवं पारदर्शिता पर आधारित एक अलग विकास मॉडल पेश करता है।

भविष्य की राह 

  • वर्तमान परिस्थितियाँ भारत-अफ्रीका संबंधों में एक नए अध्याय की मांग करती हैं। समकालीन जरूरतों, मुख्यत: खाद्य सुरक्षा एवं ऋण स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। 
  • वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अंतर्निहित पूर्वाग्रहों के कारण अफ्रीकी देशों को दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक उधार लागत का सामना करना पड़ता है। 
  • इसलिए, वैश्विक वित्तीय प्रणाली में सुधार और अफ्रीका के ऋण बोझ को संबोधित करना एक प्रमुख लक्ष्य है जिस पर भारत एवं अफ्रीका दोनों को कार्य करने का प्रयास करना चाहिए।
  • भारत के इंडिया स्टैक जैसे डिजिटल बुनियादी ढाँचे को पूरे अफ्रीका में स्थापित किया जाना चाहिए, यह कदम अफ्रीकी शासन में पारदर्शिता एवं समावेशन में भारी सुधार ला सकता है।
  • भारत सैन्य एवं आर्थिक क्षेत्रों में चीन के लिए एक आकर्षक विकल्प पेश करने का प्रयास कर रहा है किंतु भारत को चीन प्रभाव से अपनी अफ़्रीका रणनीति तैयार करने से बचना चाहिए क्योंकि भारत के अफ्रीका से ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध चीन से कहीं अधिक मजबूत हैं।

निष्कर्ष 

बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-अफ्रीका संबंध ऐतिहासिक कारकों से समसामयिक वास्तविकताओं पर आधारित रिश्तों की ओर बढ़ रहे हैं। एक वैश्विक शक्ति के रूप में भारत का उदय अफ्रीका के साथ उसके संबंधों की सफलता से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। इसीलिए यह अति आवश्यक है कि चौथे IAFS को G-20 शिखर सम्मेलन में प्राप्त लाभों पर आधारित होना चाहिए और भविष्य के लिए समावेशी एजेंडा तैयार करना चाहिए। 

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X