संदर्भ
- रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष का भारत पर तात्कालिक चुनौती युद्धरत क्षेत्र में फंसे हजारों भारतीय छात्रों की सुरक्षा थी, वहीं दूसरी ओर इस संघर्ष का भारत पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ना भी स्वाभाविक है।
- रूस पर लगाए जाने वाले आर्थिक प्रतिबंधों के कारण भारत की रक्षा आपूर्ति पर विपरीत असर पड़ सकता है। विदित है कि भारत अपनी रक्षा आवश्यकताओं के 50% से अधिक की पूर्ति हेतु रूस पर निर्भर है।
भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस का प्रभुत्व
- स्वतंत्रता के तुरंत पश्चात् भारत अपने हथियारों की आपूर्ति के लिये लगभग पूरी तरह से पश्चिमी देशों पर निर्भर था। किंतु यह निर्भरता 1970 के दशक से कम हो गई, जब भारत ने कई हथियार प्रणालियों के आयात के लिये सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) से समझौता किया।
- रूस ने भारत को अतिसंवेदनशील व महत्त्वपूर्ण हथियार प्रदान किये हैं। इसमें परमाणु पनडुब्बी, विमान वाहक पोत, युद्ध टैंक, बंदूकें, लड़ाकू जेट विमान और मिसाइलें शामिल हैं।
- वर्तमान में भारत ने अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिये अन्य देशों से भी समझौते करने की तरफ ध्यान दिया है, इसके बावजूद रूसी मूल के हथियारों का हिस्सा अभी भी व्यापक बना हुआ है। एक अनुमान के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों में रूसी मूल की रक्षा सामग्रियों की हिस्सेदारी 85% तक है।
- रूस के लिये भारत सबसे बड़ा आयातक देश है तो वहीं भारत के लिये रूस सबसे बड़ा निर्यातक देश है। वर्ष 2000 से 2020 के बीच भारत के हथियारों के आयात का 66.5% हिस्सा रूस से प्राप्त किया गया। इस अवधि के दौरान भारत द्वारा हथियारों के आयात पर खर्च किये गए 53.85 बिलियन डॉलर में से 35.82 बिलियन डॉलर रूस को प्रदान किये गए। इसी अवधि के दौरान अमेरिका से 4.4 बिलियन डॉलर का आयात किया गया, जबकि इज़रायल से 4.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा सामग्री आयात की गई।
- विदित है कि वर्ष 2016-20 के बीच भारतीय हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी घटकर लगभग 50% रहने के बावजूद यह भारत का सबसे बड़ा एकल आयातक देश बना हुआ है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चात् रूस विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, वर्ष 2016-20 के दौरान वैश्विक हथियारों के व्यापार में अमेरिका की हिस्सेदारी 37% जबकि रूस की हिस्सेदारी 20% है।
भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस के हथियार
- भारत को पहली पनडुब्बी वर्ष 1967 में सोवियत संघ से प्राप्त हुई थी। फॉक्सट्रॉट क्लास (Foxtrot Class) की इस पनडुब्बी को आई.एन.एस. कलवरी के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास कुल 16 पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ हैं, जिसमें से आठ सोवियत मूल की किलो क्लास (Kilo Class) की हैं।
- वर्ष 2013 से भारतीय नौसेना में एकमात्र विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ शामिल है, जो सोवियत संघ द्वारा निर्मित कीव-श्रेणी (Kiev-class) का पोत है।
- भारत के मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत ब्रह्मोस एक प्रमुख मिसाइल है, जिसे रूस और भारत ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। विदित है कि भारत जल्द ही ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात भी शुरू करेगा।
- भारत के लड़ाकू विमानों में शामिल सुखोई और मिग जेट को रूस से प्राप्त किया गया है। इसके अलावा, भारतीय सेना का मुख्य युद्धक टैंक बल मुख्यरूप से रूस के T-72M1 (66%) और T-90S (30%) से बना है।
- भारतीय नौसेना के 10 गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक में से चार रूस के काशीन श्रेणी (Kashin Class) से संबंधित हैं। साथ ही, भारत के 17 युद्धपोतों में से 6 रूसी तलवार श्रेणी (Talwar Class) के हैं।
- भारतीय वायु सेना का 667-प्लेन फाइटर ग्राउंड अटैक (FGA) बेड़े का 71% रूसी मूल (सुखोई-30, मिग-21, मिग-29) से संबंधित है। इसके अतिरिक्त, भारतीय सेना के सभी छह एयर टैंकर रूस निर्मित आई.एल.-78 (Ilyushin Il-78) हैं।
भारत के रक्षा सौदों पर खतरा
- रूस-यूक्रेन संघर्ष की स्थिति में पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए जाने वाले आर्थिक प्रतिबंधों से भारत के मौजूदा रक्षा सौदे खतरे में पड़ सकते हैं।
- भारत-रूस के मध्य सबसे महत्त्वपूर्ण रक्षा सौदा अत्याधुनिक एस-400 ट्रायम्फ वायु-रक्षा प्रणाली की पाँच इकाइयों को खरीदने का है। भारत ने वर्ष 2018 में लगभग 5 बिलियन डॉलर के साथ इन पाँच इकाइयों के लिये समझौता किया था। पहली इकाई दिसंबर 2021 में प्राप्त हो चुकी है, जिसे पंजाब में भारतीय वायु सेना के अड्डे पर तैनात किया गया है।
- भारत और रूस ने अमेठी में लगभग 6 लाख ए.के. 203 राइफल बनाने के लिये भी समझौता किया है।
- भारत दो परमाणु-बैलिस्टिक पनडुब्बियों, चक्र 3 और चक्र 4 को पट्टे पर देने के लिये रूस के साथ वार्ता कर रहा है, जिनमें से वर्ष 2025 तक पहली की आपूर्ति होने की संभावना है। इससे पहले भारतीय नौसेना में आईएनएस चक्र 1 और आईएनएस चक्र 2 रूसी पोत शामिल किये जा चुके हैं।
भारत के रक्षा क्षेत्र की बदलती प्रवृत्तियाँ
- पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रूस पर रक्षा सामग्रियों के लिये अपनी निर्भरता को कम करने के प्रयास किये हैं। इस हेतु भारत ने न केवल अन्य देशों में बल्कि घरेलू स्तर पर भी रक्षा सामग्रियों के विस्तार पर निरंतर ध्यान दिया है।
- एस.आई.पी.आर.आई. ने पिछले वर्ष अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि वर्ष 2011-15 और 2016-20 के बीच भारत द्वारा हथियारों के आयात में 33% की कमी आई है। किंतु फिर भी इस दौरान रूस, भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश बना हुआ है। हालाँकि, इन दो अवधियों के बीच रूस से भारत के आयात में 53% की गिरावट आई है और कुल भारतीय हथियारों के आयात में उसका हिस्सा 70 से घटकर 49% तक आ गया है।
- वर्ष 2011-15 में संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश था। किंतु वर्ष 2016-20 में यू.एस.ए. से भारत के हथियारों का आयात पिछले पाँच वर्षों की अवधि की तुलना में 46% कम हुआ है, जिसके कारण इस अवधि के दौरान यू.एस.ए. भारत का चौथा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता देश बन गया है। विदित है कि वर्ष 2016–20 के दौरान फ्रांस और इज़रायल, भारत के क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता देश थे।
आगे की राह
भारत का वर्तमान सैन्य शस्त्रागार रूस द्वारा निर्मित उपकरणों से भरा हुआ है। रूस पर भारत की यह निर्भरता देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यधिक चिंताजनक है। यही कारण है कि हाल के वर्षों में भारत अपने रक्षा सामग्रियों के आधार में विविधता लाने के लिये निरंतर प्रयासरत है।