प्रारम्भिक परीक्षा – चारधाम परियोजना मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-2 |
संदर्भ:
- उत्तराखंड में चार धाम परियोजना के तहत सिल्कयारा सुरंग में हुए धसाव के कारण कि पर्यावरणीय जांच की मांग के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने संसद को बताया कि इस सुरंग को पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) की आवश्यकता नहीं है।
चार धाम परियोजना
- इस परियोजना का प्रारम्भ दिसंबर 2016 में भारत सरकार के द्वारा किया गया था।
- यह उत्तराखंड के चार प्रमुख तीर्थस्थलों-केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री को प्रत्येक मौसम में राजमार्ग के द्वारा जोड़ने की योजना है।
- इस परियोजना की लंबाई 889 किमी है। इसे 53 छोटे सर्कल परियोजनाओं के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- इनमें से प्रत्येक की लंबाई 100 किलोमीटर से कम है, इसलिए इस परियोजना को पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
- राष्ट्रीय राजमार्गों का 100 किलोमीटर से अधिक विस्तार होने पर पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता होती है।
चार धाम परियोजना से उत्पन्न पर्यावरणीय समस्याएं
- इस परियोजना से होने वाली पर्यावरणीय समस्याओं के कारण यह विवादित रही है।
- इस परियोजना से पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से आपदा जोखिम का खतरा।
- वृक्षों की कटाई एवं चट्टानों के ढीले होने के कारण भूस्खलन का खतरा।
- वृक्षों के अत्यधिक कटाई से पर्यावरण एवं पारिस्थितिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से चार धाम परियोजना के तहत किन चार प्रमुख तीर्थस्थलों को जोड़ने की योजना है?
(a) केदारनाथ, बद्रीनाथ, प्रयागराज और गंगोत्री
(b) काशी, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री
(c) केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री
(d) केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और मानसरोवर
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- सिल्कयारा सुरंग में हुए धसाव के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
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