चर्चा में क्यों
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, भारत इस वर्ष अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को लाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिये राष्ट्रीय उद्यान में 10 वर्ग किमी. का घेरा तैयार किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इसे भारत में किसी बड़े माँसाहारी जीव का पहला अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण माना जा रहा है। हालाँकि, स्वतंत्र भारत में विशेष रूप से चिड़ियाघरों के लिये चीतों का कम संख्या में लाया जाता रहा है।
- चीता, भारत से विलुप्त होने वाला एकमात्र बड़ा मांसाहारी जीव है। इसकी विलुप्ति का मुख्य कारण अवैध शिकार तथा वासस्थान की क्षति है। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मानव आबादी ने इस समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है।
- भारत सरकार ने वर्ष 1952 में आधिकारिक तौर पर चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था।
मानसोल्लास
- भारत में चीतों के शिकार का सर्वप्रथम उपलब्ध रिकॉर्ड 12वीं शताब्दी के संस्कृत साहित्य ‘मानसोल्लास’ (Manasollasa) में मिलता है।
- इसे ‘अभिलाषितार्थ चिंतामणि’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी रचना कल्याणी चालुक्य शासक सोमेश्वर III ने की थी।
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वैश्विक स्थिति
- वर्तमान में चीतों की दो मान्यता प्राप्त उप-प्रजातियाँ- एशियाई चीता (Acinonyx jubatus venaticus) और अफ्रीकी चीता (Acinonyx jubatus jubatus) मौजूद हैं। यह प्रजाति मुख्यत: अफ्रीका के सवाना में पाई जाती है।
- चीता को 1 जुलाई, 1975 से ‘लुप्तप्राय वन्यजीव एवं वनस्पति प्रजाति अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय’ (CITES) के परिशिष्ट-I के तहत संरक्षित किया गया है, अर्थात् वाणिज्यिक प्रयोग के लिये इसका अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निषिद्ध है।
- चीता को आई.यू.सी.एन. (IUCN) की लाल सूची में सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
चीते पुनर्वास के लाभ
- चीतों के संरक्षण से घास के मैदानों और उनके पारिस्थितिक तंत्र (बायोम एवं आवास) को पुनर्जीवित करना।
- एक प्रजाति के रूप में चीता संरक्षण की दिशा में वैश्विक प्रयास में योगदान करना।
- आसपास के स्थानीय समुदायों की आजीविका के विकल्प पैदा होंगे और उनके जीवन स्तर में वृद्धि।
- इकोटूरिज्म और संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा।
चिंताएँ
- भारत के पारिस्थितिकी तंत्र में उसके व्यवहार का अध्ययन करना।
- जलवायु के अनुकूल सामंजस्य स्थापित करना।