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चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सहयोग से तमिलनाडु के त्रिची/तिरुचिरापल्ली में, पुलिस विभाग ने पहले चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर की शुरुआत की है। यह भारत में अपने तरह का पहला प्रयास है। तिरुचिरापल्ली क्षेत्र में क़रीब 10 जगहों पर इस तरह के पुलिस विंग की शुरुआत की गई है।

मुख्य बिंदु

  • किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं की जाँच करने और अपराध में शामिल बच्चों के पुनर्वास के लिये बनाया गया था।
  • अधिनियम के अनुसार किशोर अपराधी को थाने नहीं लाया जाना चाहिये और पुलिस की वर्दी में किशोर से पूछताछ नहीं होनी चाहिये। किसी भी क़ीमत पर बच्चों को गिरफ़्तार या क़ैद नहीं किया जाना चाहिये। इन नियमों का पालन कराने और शिकायत दर्ज कराने वालों को अनुकूल वातावरण देने के लिये बाल मित्र पुलिस कॉर्नर यानी चाइल्ड फ्रेंडली पुलिस कॉर्नर बनाया गया है।
  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि पुलिस कॉर्नर में आते वक़्त बच्चे डरें नहीं, दीवारों को चित्रों और रंगों से सजाया गया है। किशोरों से जुड़ी सभी शिकायतों को सम्बंधित पुलिस थाने के कानून व्यवस्था निरीक्षक (लॉ एंड ऑर्डर इंस्पेक्टर) के नेतृत्व में महिला पुलिस अधिकारियों द्वारा देखा जाएगा।
  • ध्यातव्य है कि कई महिलाएँ जब क़ानून व्यवस्था विंग के पास शिकायत दर्ज कराने के लिये आती हैं तो उनके साथ उनके बच्चे भी होते हैं। ऐसे में उन्हें बेहतर वातावरण देने के लिये ब्रेस्टफ़ीडिंग रूम की भी व्यवस्था की गई है। चाइल्ड फ्रेंडली कॉर्नर की शिकायतों को क़ानून व्यवस्था विंग की शिकायतों की तरह ही निपटाया जाएगा लेकिन चाइल्ड फ्रेंडली विंग में महिला अधिकारी होंगी।
  • तमिलनाडु देश में बच्चों के ख़िलाफ़ सबसे अधिक शिकायतों वाले राज्यों की सूची में सातवें स्थान पर है। अतः बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा को कम करने और शिकायत के पंजीकरण को आसान बनाने के लिये आयोग के सहयोग से त्रिची पुलिस सर्कल में बाल मित्र पुलिस कॉर्नर की स्थापना की गई है।
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