प्रारंभिक परीक्षा: भूटान की अवस्थिति,
(मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र:2 द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)
खबरों में क्यों?
- चीन-भूटान सीमा मुद्दे पर 11वीं विशेषज्ञ समूह बैठक चीन के कुनमिंग शहर में आयोजित किया गया है। इस तीन चरण-रोडमैप के तहत समझौते के लिए सहमति बनी है।
चीन - भूटान सीमा विवाद
- भूटान चीन के साथ 477 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है।
चीन भूटान के कुछ क्षेत्रों पर अपना दावा करता है:
- उत्तर में - पसमलुंग और जकारलुंग घाटियाँ
- ये दोनों स्थान भूटान के लिए सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
- पश्चिम में- डोकलाम, ड्रामाना, और शखातो, याक चू और चारिथांग चू, और सिंचुलुंग्पा और लैंगमारपो घाटियाँ।
- ये स्थान चरागाह-समृद्ध हैं और रणनीतिक रूप से भूटान-भारत-चीन ट्राइजंक्शन में स्थित हैं।
- यह क्षेत्र भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर के करीब स्थित हैं।
- 2020 में चीन ने भूटान के पूर्व में सकतेंग अभयारण्य में नए दावे किए।
- आश्चर्यजनक रूप से, दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के पिछले दौर में पूर्वी भूटान का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए, विवादित क्षेत्रों की सूची में पूर्वी भूटान को शामिल करने से भूटान परेशान है।
- भूटान के इस पूर्वी क्षेत्र में एक बड़ी भूटानी आबादी है, पारंपरिक Dzongs (गढ़वाले मठ) और दो भूटानी जिले अति प्राचीन काल से हैं।
सीमा-वार्ता की पृष्ठभूमि
- भूटान का चीन के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, देश ने 1984 में चीन के साथ अपनी पहली सीमा-वार्ता शुरू की थी।
- आज तक, दोनों देशों ने 11 विशेषज्ञ समूह की बैठकें और सीमा वार्ता के 24 दौर आयोजित किए हैं।
- अक्टूबर 2021 में, भूटान और चीन ने चीन-भूटान सीमा वार्ता में तेजी लाने के लिए तीन-चरणीय रोडमैप पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- तीन चरणों वाला रोडमैप अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
चीन-भूटान सीमा विवाद से जुड़े घटनाक्रमों पर भारत के मायने
- भारत डोकलाम के निकट चीनी उपस्थिति को रणनीतिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर के निकट एक प्रमुख सुरक्षा चिंता के रूप में देखता है।
- चीन ने अरुणाचल की सीमा के पास भूटान में एक वन्यजीव अभयारण्य पर भी दावा किया है।
- यह इसलिए मायने रखता है, क्योंकि दिसंबर 2022 में, अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय और चीनी सेना की टुकड़ियों के बीच झड़प हुई थी।
चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में क्या चुनौतियाँ हैं?
भूटान-चीन सीमा विवाद द्विपक्षीय मुद्दा नहीं, त्रिपक्षीय है।
- पहली चुनौती यह देखना है कि क्या चीन भारत के साथ ट्राइजंक्शन क्षेत्रों पर चर्चा करने का इच्छुक होगा। इसके लिए चीन को भूटान-चीन सीमा विवाद को द्विपक्षीय मसला मानने की अपनी दशकों पुरानी नीति को छोड़ना होगा और भारत को भी इसमें शामिल करना होगा।
पश्चिमी विवादित क्षेत्रों में चीन का बढ़ता विस्तार
- भारत ने कई मौकों पर भूटान को चीन की बढ़ती पैठ के बारे में जानकारी और संवेदनशील बनाया है।
- भूटान में इन निरंतर घुसपैठों को रोकने के लिए भौतिक क्षमता और उपस्थिति का अभाव है।
- इसके बावजूद, यह अधिक चीनी मुखरता के डर से और अधिक भारतीय सहायता लेने के लिए अनिच्छुक रहता है।
चीन भूटान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का इच्छुक है
- चीन के सीमा विवादों के समाधान में अक्सर भूटान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना शामिल रहा है।
- बीजिंग से इस तरह की मांगें और तेज होंगी क्योंकि अमेरिका और भारत के साथ उसका तनाव बढ़ेगा।
आगे की राह
- भूटान को चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना है। चीन से सीमा की सुरक्षा भारत और भूटान दोनों के लिए चिंता का विषय है। इसलिए इस मुद्दे पर दोनों पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत है।