चर्चा में क्यों?
अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन-1982 का हवाला देते हुए दक्षिण चीन सागर (SCS) में चीन के दावों को असंगत माना है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट में तथाकथित ‘नाइन-डैश लाइन’ विवाद को आधार रहित माना गया है। यह लाइन चीन द्वारा एस.सी.एस. क्षेत्र पर अपने दावे का मुख्य आधार बिंदु माना जाता है।
- विदित है कि ‘नाइन-डैश लाइन’ के अलावा चीन अपनी सीमा के दावे को मज़बूत करने के लिये चार ‘द्वीप समूहों’ (प्रतास द्वीप समूह, पैरासेल द्वीप समूह, स्प्रैटली द्वीप समूह और मैक्ल्सफ़ील्ड बैंक क्षेत्र) की भौगोलिक विशेषताओं का हवाला देता है, जो कि संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत आधार रेखा के मानदंडों को पूरा नहीं करता है।
नाइन-डैश लाइन
- नाइन-डैश लाइन नौ चिह्नों की एक वक्राकार रेखा है, जिसके अंतर्गत दक्षिणी चीन सागर का लगभग 90% क्षेत्र सम्मिलित हो जाता है। इन क्षेत्रो को चीन पारंपरिक क्षेत्र मानते हुए अपना दावा करता है।
- चीन के मानचित्र पर बनी नाइन-डैश लाइन (Nine-Dash Line) के अंतर्गत आने वाले जलीय क्षेत्र को ताइवान, फिलीपींस, वियतनाम, ब्रूनेई व मलेशिया के जलीय क्षेत्र ओवरलैप करते हैं।
आर्थिक महत्त्व
- यह क्षेत्र मछली पालन के साथ-साथ तेल और गैस के लिये महत्त्वपूर्ण होने के कारण काफी विवादित । इस विवाद में चीन की भूमिका सर्वाधिक है। यह चीन के बढ़ते समुद्री खाद्य (Seafood) की मांग को पूरा करने में भी सहायक है।
- इसके अतिरिक्त यह क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के लिये भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया का एक तिहाई समुद्री व्यापार यहीं से होता है। भारत का लगभग 55% व्यापार मलक्का जलमार्ग से होता है।