(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव) |
संदर्भ
चीन ने एक ऐसे हाइड्रोजन बम (उपकरण) का सफल परीक्षण किया है जो पारंपरिक परमाणु सामग्री के बिना फायरबॉल उत्पन्न करता है और पूर्णतया रासायनिक प्रतिक्रियाओं पर आधारित है। साथ ही, चीन हाइड्रोजन एवं मीथेन आधारित प्रौद्योगिकियों सहित नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से सेना का आधुनिकीकरण कर रहा है। ऐसे में इस घटनाक्रम को वैश्विक शक्ति-संतुलन, सामरिक स्थिरता तथा भारत की सुरक्षा नीति के दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है।
यह उपकरण चीन की सैन्य क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण नवाचार है। इसकी उच्च तापीय तीव्रता एवं लंबी अवधि इसे शहरी युद्ध परिदृश्यों में उपयोगी बनाती है, विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों में जहाँ पारंपरिक परमाणु हथियारों का उपयोग संभव नहीं है।
अंतर का आधार |
परमाणु बम |
हाइड्रोजन बम |
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प्रौद्योगिकी |
विखंडन प्रक्रिया पर आधारित |
विखंडन व संलयन प्रक्रिया पर आधारित |
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ईंधन |
यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 |
ड्यूटेरियम एवं ट्रिटियम (हाइड्रोजन के समस्थानिक) |
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ऊर्जा का स्रोत |
बड़े परमाणु के छोटे परमाणुओं में टूटने से |
छोटे परमाणुओं के आपस में जुड़ने (फ्यूज़ होने) से |
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विस्फोटक क्षमता |
कम (किलोटन तक) |
अत्यधिक (मेगाटन तक) |
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संरचना |
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अत्यंत जटिल (दो चरणों वाला बम) |
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प्रभाव क्षेत्र |
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व्यापक क्षेत्र में अत्यधिक विनाश |
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उत्पन्न तापमान |
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100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक |
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पहली बार उपयोग |
वर्ष 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर |
वर्ष 1952 में अमेरिका द्वारा पहला परीक्षण |
चीन का यह कदम अमेरिका एवं रूस जैसे परमाणु शक्तियों के समकक्ष अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में एक संकेत है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हथियारों की एक नई दौड़ को जन्म दे सकता है।
चीन की परमाणु क्षमताओं में यह वृद्धि भारत के लिए प्रत्यक्ष रणनीतिक चुनौती है। भारत की विश्वसनीय न्यूनतम निवारण (Credible Minimum Deterrence) नीति को नए सिरे से मूल्यांकन की आवश्यकता हो सकती है।
यदि हाइड्रोजन बम को किसी देश की ‘पहले प्रयोग नहीं’ (NFU) नीति में शामिल किया जाता है तो इससे प्रतिरोधक संतुलन (Deterrence Balance) पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।
भारत को अपनी रणनीतिक बल कमान (Strategic Forces Command) की समीक्षा करनी चाहिए और नई तकनीकों में निवेश करना चाहिए। अग्नि-VI जैसे उन्नत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) पर ध्यान केंद्रित करना उपयुक्त होगा।
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