(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तथा बाद की घटनाएँ, राजनीतिक दर्शन जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव) |
संदर्भ
ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस के निधन के पश्चात उनके उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।
नए पोप का चयन
नए पोप को चुनने की प्रक्रिया को ‘पापल कॉन्क्लेव’(The Papal Conclave) कहा जाता है। यह कार्डिनल्स कॉलेज द्वारा की जाने वाली सदियों पुरानी परंपरा है। नए पोप के चयन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है :
पोप की मृत्यु या इस्तीफा
- यह प्रक्रिया किसी पोप की मृत्यु या उनके इस्तीफे (जैसे- वर्ष 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के मामले में हुआ था) के बाद शुरू होती है।
- पोप की मृत्यु के बाद वेटिकन में नौ दिनों का पारंपरिक शोक मनाया जाता है जिसे नोवेन्डियाल्स (Novendiales) कहा जाता है।नए पोप का चुनाव पोप की मृत्यु के 15 से 20 दिन बाद शुरू होता है।
सेडे वैकेंट (रिक्त सीट)
- लैटिन भाषा में ‘सेडे वैकेंट’ का अर्थ है‘सीट का खाली होना’। इस अवधि के दौरान सभी बड़े फैसले रोक दिए जाते हैं।
- रिक्ति के दौरान चर्च के मामलों का प्रबंधन करने के लिए नियुक्त कार्डिनल (जिसे कैमरलेंगो कहा जाता है)पोप की मृत्यु की पुष्टि करने के साथ ही तैयारियों की देखरेख करता है।
- रोमन कैथोलिक चर्च में पोप के बाद सर्वोच्च पद पर कार्डिनल होता है। इन्हें पोप द्वारा विशेष मान्यता देकर नियुक्त किया जाता है।
- इनका प्रमुख कार्य पोप के चुनाव में भाग लेना और चर्च की सर्वोच्च नीतियों पर सलाह देना होता है।
- भारत से भी कई कार्डिनल हो चुके हैं। उदाहरण के लिए कार्डिनल वर्जीस अलेंचेर्री (केरल से) और कार्डिनल ऑस्वाल्ड ग्रेसियस (मुंबई से)।
- ये भारत में चर्च का नेतृत्व करने के साथ ही वेटिकन के निर्णयों में भी भाग लेते हैं।
कॉन्क्लेव की शुरूआत
- केवल 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल ही मतदान के पात्र हैं।
- वे वेटिकन सिटी के सिस्टिन चैपल में एकत्रित होतेहैं।
- भारत के चार कार्डिनलने भी कॉन्क्लेव में भाग लिया है, जिनमें शामिल हैं :
- कार्डिनल फिलिप नेरी फेराओ
- कार्डिनल बेसिलियस क्लीमिस
- कार्डिनल एंथनी पूला (पहले दलित कार्डिनल)
- कार्डिनल जॉर्ज जैकब कूवाकड
- कॉन्क्लेव को बाहरी दुनिया से अलग रखा जाता है तथा इस दौरान प्रतिभागियों के फ़ोन, इंटरनेट या संपर्क पर प्रतिबंध होता है।
मतदान प्रक्रिया
- प्रत्येक कार्डिनल अपने चुने हुए उम्मीदवार का नाम मतपत्र पर लिखता है।
- निर्वाचित होने के लिए, उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करना होगा।
- एक गुप्त मतदान प्रणाली के अंतर्गत प्रतिदिन चार बार (दो सुबह, दो शाम को) मतदान होता है।
धुएँ के संकेत
- प्रत्येक मतदान के बाद मतपत्र जला दिए जाते हैं।
- काले धुएँ (फ़ुमाता नेरा) का अर्थ है कि कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
- सफ़ेद धुआँ (फ़ुमाता बियांका) संकेत देता है कि नए पोप का चयन कर लिया गया है।
स्वीकृति एवं घोषणा
कार्डिनल को आवश्यक मत प्राप्त होने के बाद उसके पोप के रूप में निर्वाचित होने के संबंध में सहमति प्राप्त की जाती है जिसके पश्चात वह अपने लिए एक नया नाम चुनता है जिसे ‘पपेल नेम’ कहा जाता है।
पोप के नाम की घोषणा
- हेबेमस पापम (‘हमारे पास एक पोप है!’)के उद्बोधन के साथ ही नए पोप की घोषणा की जाती है।
- इसके पश्चात नए पोप सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी पर आते हैं और अपना पहला आशीर्वाद देते हैं।
पोप फ्रांसिस के बारे में
- पूरा नाम: जॉर्ज मारिओ बर्गोग्लियो (Jorge Mario Bergoglio)
- पद: 266 वें पोप (Pope)– रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख
- पदभार ग्रहण: 13 मार्च, 2013
- जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के नाम से जन्मे फ्रांसिस को वर्ष 2013 में पोप चुना गया था। उनके पूर्ववर्ती पोप बेनेडिक्ट XVI लगभग 600 वर्षों में इस्तीफा देने वाले पहले पोप बने थे।
- जन्म: 17 दिसंबर, 1936 कोब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना
- मृत्यु : 21 अप्रैल, 2025 को वेटिकेन सिटी
- राष्ट्रीयता: अर्जेंटीना
- विशेषता: पहले लैटिन अमेरिकी एवं पहले जेसुइट पोप
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ईसाई धर्म में कैथोलिक (Catholic) एवं प्रोटेस्टेंट (Protestant) संप्रदाय में मुख्य अंतर
बिंदु
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कैथोलिक
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प्रोटेस्टेंट
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बाइबल की भूमिका
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बाइबल+परंपराएँ मान्य
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केवल बाइबल को सर्वोच्च मान्यता (Sola Scriptura)
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चर्च की अवधारणा
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पोप के नेतृत्व में एकमात्र सच्चा चर्च
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कई स्वतंत्र चर्च और सभी को बराबर मान्यता
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पोप का महत्व
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पोप= सेंट पीटर के उत्तराधिकारी व सर्वोच्च धर्मगुरु
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पोप का विरोध, बाइबल से असंगत माना
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धार्मिक पद (Priesthood)
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उत्तराधिकार के तहत केवल पादरियों को अधिकार
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महिला सहित हर आस्थावान को ‘प्रीस्टहुड’
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युखरिस्ट/ईसभोज
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ईसा के शरीर एवं रक्त के संकेत के रूप में रोटी (ब्रेड) व शराब
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प्रतीकात्मक- केवल स्मृति एवं श्रद्धा का भाव
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संस्कार (Sacraments)
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7 संस्कार- बपतिस्मा, पुष्टिकरण, युखरिस्ट, विवाह, तपस्या,पवित्र आदेश एवं बिमारियों या मृत्यु संबंधी संस्कार (Extreme Unction)
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केवल 2 संस्कार-बपतिस्मा एवं ईस भोज
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मरियम और संत पूजन
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मरियम को ‘स्वर्ग की रानी’ के रूप में मान्यता, संतों की पूजा और मध्यस्थता मान्य
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मरियम का सम्मान किंतु पूजनीय नहीं; हर व्यक्ति सीधे ईश्वर से प्रार्थना कर सकता है
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ब्रह्मचर्य (Celibacy)
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पुजारियों के लिए अनिवार्य ब्रह्मचर्य
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पुजारियों को विवाह की छूट- स्वयं मार्टिन लूथर ने भी विवाह किया
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