(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) द्वारा गठित संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट में सुकिंदा घाटी के आस-पास के क्षेत्रों के भूमिगत-जल में अधिक मात्रा में क्रोमियम प्रदूषण का उल्लेख किया गया है जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट उत्पन्न करता है।
क्रोमियम के बारे में
- क्रोमियम उच्च गलनांक वाली एक चमकदार व कठोर धातु है। इसका रंग सिल्वर-ग्रे होता है। इसे क्रोमाइट अयस्क से प्राप्त किया जाता है।
- इसका प्रतीक Cr और परमाणु संख्या 24 है। यह कार्बन (हीरा) एवं बोरॉन के बाद तीसरा सबसे कठोर तत्व है।
- क्रोमियम मुख्यतः दो प्रकार का होता हैं :
- ट्राइवेलेंट क्रोमियम Cr(III)
- हेक्सावलेंट क्रोमियम Cr(VI)
- ट्राइवेलेंट क्रोमियम Cr(III) को मनुष्यों सहित विभिन्न जीवों के लिए आवश्यक माना जाता है। यह ग्लूकोज, प्रोटीन एवं वसा के मेटाबोलिज्म (उपापचय) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- हेक्सावलेंट क्रोमियम Cr(VI) क्रोमियम का अत्यधिक विषैला रूप है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण एवं जैव-विविधता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। Cr(VI) ज़्यादातर मानवीय गतिविधियों से उत्पादित होता है।
क्या है क्रोमियम प्रदूषण
- क्रोमियम प्राकृतिक प्रक्रियाओं एवं मानवजनित गतिविधियों, जैसे- खनन, प्रगलन, धातु प्रसंस्करण, औद्योगिक उत्पादन एवं कृषि गतिविधियों के माध्यम से पर्यावरण में प्रवेश करता है।
- इसके परिणामस्वरूप प्रदूषण एवं पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश होता है।
- भारत में तमिलनाडु (जैसे- रानीपेट), उत्तर प्रदेश (जैसे- कानपुर), ओडिशा (जैसे-सुकिंदा घाटी) और पश्चिम बंगाल (जैसे- रानाघाट-फुलिया) जैसे राज्य मृदा एवं जल में क्रोमियम की उच्च सांद्रता के कारण अत्यधिक जोखिम में हैं।
- ओपन-कास्ट क्रोमाइट खनन एवं खदानों से संबंधित कार्यों से भारी मात्रा में अपशिष्ट बिना किसी उपचार के सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है।
सुकिंदा घाटी क्षेत्र
- सुकिंदा घाटी ओडिशा के जाजपुर जिले में स्थित खनिज संसाधनों से संपन्न क्षेत्र है। यह महागिरी रेंज एवं दैतारी रेंज से घिरा हुआ है।
- इसे क्रोमियम के विशाल खजाने के लिए 'काले हीरे' की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ विश्व कि सबसे बड़ी ओपन कास्ट क्रोमाइट अयस्क खदानें हैं।
- एक भारतीय स्वास्थ्य समूह के अनुसार, खनन क्षेत्रों में होने वाली कुल मौतों मे क्रोमाइट प्रदूषण से संबंधित बीमारियां एक महत्वपूर्ण कारक होती हैं।
- यह शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भी शामिल है।
- भारत में क्रोमियम भंडार का 98.6% ओडिशा के सुकिंदा क्षेत्र में पाया जाता है।
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क्रोमियम प्रदूषण का प्रभाव
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
- हेक्सावलेंट क्रोमियम Cr(VI) को कार्सिनोजेन (कैंसर कारक) माना गया है, जो फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
- जल पारिस्थितिकी तंत्र में\ क्रोमियम का बढ़ता स्तर मानव में आंखों को नुकसान, फुफ्फुसीय क्षति, जठरांत्र संबंधी विसंगतियों के लिए जिम्मेदार है।
- कुछ हेक्सावलेंट क्रोमियम यौगिकों के साथ त्वचा का संपर्क त्वचा में अल्सर और एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकता है।
कृषि पर प्रभाव
- पौधे मृदा से हेक्सावलेंट क्रोमियम Cr(VI) को अवशोषित कर लेते हैं, जो उनकी वृद्धि व विकास में बाधा डालते हैं।
- क्रोमियम के प्रभाव से मृदा उर्वरता कम होती है जिससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होता है।
- यह फसल की वृद्धि एवं उपज में बाधक है तथा उनकी गुणवत्ता को कम कर सकता है।
- कई अध्ययनों के अनुसार, क्रोमियम प्रदूषण पौधों की चयापचय गतिविधियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
पर्यावरण एवं जैव विविधता पर प्रभाव
- अकशेरुकी जीवों पर Cr(VI) की दीर्घकालिक विषाक्तता को लेकर हुए अध्ययन के अनुसार, यह मछलियों के शरीर में प्रवेश कर यकृत व गुर्दे पर घातक प्रभाव डालता है।
- कई अध्ययनों के अनुसार, पर्यावरण में इसकी सांद्रता बढ़ गई है, विशेषकर सतही जल व भूजल में, जो निर्धारित सीमाओं को पार कर गया है।
- Cr(VI) प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्थलीय पौधों, जलीय फाइटोप्लांकटन एवं अन्य जीवों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
क्रोमियम प्रदूषण के समाधान
- दूषित स्थलों से Cr-धातु को हटाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई गई हैं, जो मुख्यत: विभिन्न रासायनिक परिवर्तनों, अधिशोषण, ऑक्सीकरण-अवक्षेपण अभिक्रियाओं के माध्यम से हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। हालाँकि, उनके अपने लाभ व हानि हैं :
- उदाहरण के लिए, रासायन-आधारित अवक्षेपण तकनीक में उप-उत्पाद के रूप में अपशिष्ट जल व कीचड़ की मात्रा मध्यम रूप से अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप निर्जलीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से उनके निपटान के कारण परिचालन लागत बढ़ जाती है।
- बायोरेमेडिएशन को सूक्ष्मजीवों के माध्यम से प्रदूषकों की कमी या स्थिरीकरण करने के लिए एक संभावित व पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण माना जाता है।
- कुछ हाइपरएक्यूमुलेटर पौधों की प्रजातियाँ प्रदूषित मृदा व पानी से Cr को काफी हद तक कम कर देती हैं।
- वर्तमान में नैनो-कण पारंपरिक अधिशोषकों के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में उभर रहे हैं। खतरनाक Cr युक्त अपशिष्ट जल के उपचार के लिए इन नैनो-सामग्री पर ध्यान दिया जा रहा है।
क्रोमियम के उपयोग
- क्रोमियम का उपयोग खनिज एवं रासायन उद्योग, वेल्डिंग उद्योग व रिफाइनरी उद्योग में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
- दुनिया में कुल क्रोमियम का 94.5% खनिज उद्योग में, 3.5% रिफाइनरी उद्योग में और 2% रासायनिक उद्योग में उपयोग किया जाता है।
- लोहा, इस्पात, सीमेंट, कांच, सिरेमिक उद्योग, चमड़ा, पेंट, आदि में भी क्रोमियम का उपयोग होता है।
- भारतीय क्रोमाइट भंडार कुल विश्व संसाधनों में लगभग 2% का योगदान करते हैं।
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