क्या है : भारत में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के तहत नागरिक पंजीकरण प्रणाली जन्म व मृत्यु जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के रिकॉर्ड के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य तथा सार्वभौमिक रूप से लागू प्रणाली है।
शुरूआत : भारतीय नागरिक पंजीकरण प्रणाली की शुरुआत 1860 के दशक में हुई, जब स्वास्थ्य अधिकारियों ने प्लेग से बचने के लिए मौतों का पंजीकरण करना शुरू किया।
पंजीकरण :राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में विभिन्न स्तरों पर पंजीकरण कार्य विभिन्न विभागों द्वारा किया जाता है।
निगरानी : भारत के महापंजीयक नागरिक पंजीकरण प्रणाली के कामकाज की निगरानी करते हैं।
डिजिटल अनिवार्यता :जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम के अनुसार, 1 अक्तूबर, 2023 से देश में होने वाले सभी जन्म व मृत्यु को केंद्र के पोर्टल के माध्यम से डिजिटल रूप से पंजीकरण करना अनिवार्य है।
समवर्ती सूची में शामिल :‘जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण’ का विषय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल है।