(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ )
(मुख्य परीक्षा, प्रश्नपत्र 2 : संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ)
संदर्भ
दो पूर्वोत्तर राज्यों असम और मिज़ोरम के मध्य लंबी सीमा-रेखा के हिंसक रूप लेने के पश्चात् गोलीबारी की घटना में असम के छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। सीमावर्ती शहर ‘वैरेंगटे’ में हुई झड़पों में असम के कम से कम 60 निवासी घायल हो गए।
असम-मिज़ोरम : सीमांकित सीमा
- मिज़ोरम और असम की बराक घाटी की सीमा बांग्लादेश से संलग्न है।
- दोनों राज्यों के मध्य की सीमा 165 कि.मी. है, जिसका इतिहास उस समय से है, जब मिज़ोरम असम का एक ज़िला था, जिसे ‘लुशाई हिल्स’ के नाम से जाना जाता था।
- दोनों के मध्य वर्ष 1875 और 1933 में सीमा का सीमांकन किया गया था। हालाँकि, वर्ष 1933 का सीमांकन विशेष रूप से विवाद के मुख्य केंद्र में हैं।
- वर्ष 1875 का सीमांकन उस वर्ष 20 अगस्त को अधिसूचित किया गया, जिसे ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (BEFR) 1873 से लिया गया था।
- इसके अंतर्गत लुशाई हिल्स को असम की बराक घाटी में कछार के मैदानी क्षेत्रों से अलग किया गया था।
- यह मिज़ो प्रमुखों के परामर्श से किया गया था, तथा यही दो वर्ष पश्चात् गजट में ‘इनर लाइन रिज़र्व फॉरेस्ट’ सीमांकन का आधार बन गया।
- वर्ष 1933 का सीमांकन लुशाई हिल्स और मणिपुर के मध्य एक सीमा को चिह्नित करता है, जो लुशाई हिल्स, कछार ज़िले और मणिपुर के ‘ट्राई-जंक्शन’ से शुरू होता है।
मिज़ोरम का पक्ष
- मिज़ो नेताओं के अनुसार, एकमात्र स्वीकार्य सीमा कछार की दक्षिणी सीमा पर वर्ष 1875 की इनर लाइन है, जिसे बी.ई.एफ.आर. के अनुसार अधिसूचित किया गया है।
- इसे बाद में वर्ष 1878 में संशोधित किया गया, क्योंकि इसमें असम के मैदानी क्षेत्रों से लुशाई हिल्स सीमा का सीमांकन करने की माँग की गई थी।
- मिज़ो नेताओं का कहना है कि, “वर्तमान सीमा को मनमाने ढंग से सक्षम अधिकारियों और मिज़ोरम के लोगों की सहमति और अनुमोदन के बिना वर्ष 1930 और 1933 में बनाया गया था”।
विवादों मे वृद्धि
- वर्ष 1972 में मिज़ोरम के संघ राज्यक्षेत्र और फिर 1980 के दशक में एक राज्य बनने के उपरांत से यह विवाद चल रहा है।
- दोनों राज्यों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये कि सीमाओं में स्थापित ‘नो-मैन्स लैंड’ पर ‘यथास्थिति’ बनाए रखी जानी चाहिये।
- अक्सर इस समझौते का उल्लंघन होता रहा है। हाल के महीनों में झड़पों की आवृत्ति में वृद्धि दर्ज़ की गई है।
- इसके विपरीत असम उक्त घटनाओं को अपनी दावा की गई सीमा के अतिक्रमण के रूप में देखता है, जबकि मिज़ोरम अपने क्षेत्र के अंदर असम द्वारा एकतरफा कदमों का हवाला देता है।
- मिज़ोरम ने आरोप लगाया है कि विगत वर्ष जून में असम के अधिकारियों ने ममित ज़िले में प्रवेश किया तथा कुछ खेतों का दौरा किया।
- साथ ही, असम के अधिकारियों ने वैरेंगटे (मिज़ोरम) और लैलापुर (असम) के बीच अंतर-राज्यीय सीमा का दौरा किया और सी.आर.पी.एफ. द्वारा संचालित ड्यूटी पोस्ट को पार किया।
- मिज़ोरम का दावा है कि असम और मिज़ोरम, दोनों अधिकारियों ने मिज़ोरम के बुआर्चेप गाँव में निर्माण कार्य किया है और गृह मंत्रालय इन सभी मुद्दों से अवगत भी है।
हाल की घटनाएँ
- विगत अक्तूबर में असम पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर मिज़ोरम में सैहापुई का दौरा किया तथा अंतर-राज्यीय राजमार्ग को अवरुद्ध करने की कथित धमकी दी थी।
- उस महीने के अंत में, असम के लैलापुर के निवासियों द्वारा दोनों राज्यों को जोड़ने वाले अंतर-राज्यीय राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया था।
- नवंबर में मिजोरम के ‘अपर फेनुअम लोअर’ प्राथमिक विद्यालय में बम विस्फोट हुए थे, जिसके पश्चात् दोनों राज्यों के बीच शांति बैठक हुई।
- हाल के महीनों में, कई झोपड़ियों और छोटी दुकानों को आग लगा दी गई है तथा सुपारी की खेती के दावों के रूप में छोटे-मोटे मुद्दों पर हिंसक झड़पें हुई हैं।
- साथ ही, मिज़ोरम के दो निवासियों के बागानों में कथित तौर पर आग लगा दी गई है।
- इसके अतिरिक्त, लैलापुर और वैरेंगटे के ग्रामीणों और करीमगंज (असम) और ममीउत (मिज़ोरम) के निवासियों के बीच हिंसक झड़पें हुई हैं।
क्षेत्र में अन्य सीमा विवाद
- असम, जो अन्य सभी पूर्वोत्तर राज्यों के साथ अपनी सीमा साझा करता है और जिससे नागालैंड, मेघालय और मिज़ोरम जैसे राज्यों का जन्म हुआ है, अपने कई पड़ोसियों के साथ विवादों में सलंग्न रहा है।
- असम और नागालैंड के मध्य 500 कि.मी. की सीमा है। वर्ष 1965 के बाद से कई चरणों में हिंसक संघर्ष हुए है, जिनमें से कुछ नागरिकों की मौत भी हुई है।
- अरुणाचल प्रदेश के साथ असम लगभग 800 कि.मी. की सीमा साझा करता है। यहाँ, पहली झड़प वर्ष 1992 में हुई थी।
- प्रत्येक राज्य ने दूसरे पर सीमा उल्लंघन और अवैध अतिक्रमण का आरोप लगाया है। इन मुद्दों पर फ़िलहाल उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है।
- मेघालय के साथ असम 884 कि.मी. की सीमा साझा करता है। इन दोनों के मध्य हाल में यहाँ झड़पों की एक शृंखला घटित हुई है।
- मेघालय सरकार का दावा है कि असम में उसके 12 क्षेत्र हैं। इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मध्य इस वर्ष फरवरी में बातचीत हुई थी तथा यथास्थिति और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई थी।
भावी राह
- सांप्रदायिक आदिवासीवाद (Sectarian Tribalism) पूर्वोत्तर राज्यों का अभिशाप रहा है। पिछड़ापन इस क्षेत्र में भूमि और अन्य जटिल मुद्दों को और जटिल बनाने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।
- लेन-देन की भावना तथा केंद्र सरकार द्वारा मध्यस्थता की भावना के बिना विभिन्न राज्यों के बीच सीमा विवादों का कोई निश्चित और त्वरित समाधान संभव नहीं है।
- लेकिन ऐसा होने के लिये सरकारों को पहले किसी भी प्रकार की हिंसा को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिये तथा अपने-अपने राज्यों में इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने वाले पक्षकारों को रोकना चाहिये।
- नागरिकों और पुलिस कर्मियों को हिंसा में शामिल होने से रोकने तथा शांति बहाल करने की दिशा में काम करने का भी प्रयास करना चाहिये।
निष्कर्ष
- गृह मंत्रालय को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि ‘असम-मिज़ोरम सीमा’ की स्थिति पहले ‘डी-एस्केलेशन’ के अधीन हो तथा संबंधित राज्यों के सहयोग से अक्तूबर 2020 में झड़पों के शुरू होने से पहले की यथास्थिति बहाल हो।