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विषाणुओं के वेरियंट्स का वर्गीकरण

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : स्वास्थ्य, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश, आपदा प्रबंधन)

संदर्भ

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार भारत में पहचाने गए कोरोना वायरस के एक वेरिएंट (प्रकार) को ‘वैश्विक रूप से चिंताजनक वेरिएंट’ (Global Variant of Concern) के रूप में वर्गीकृत किया है B.1.617 नामक इस वेरिएंट को मई 2021 की शुरुआत में यू.के. के अधिकारियों ने ‘जाँच के अधीन वेरिएंट’ (Variant Under InvestigationVUI) के रूप में वर्गीकृत किया गया था। यह वेरिएंट 17 से अधिक देशों में फैल चुका है, इसलिये कई देशों ने भारत से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया है।

डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा वर्गीकरण का तरीका

  • डब्ल्यू.एच.. के अनुसार, किसी 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' (VOI) को ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ (VOC) घोषित करने के लिये तुलनात्मक मूल्यांकन किया जाता है। यदि किसी वेरिएंट संक्रमण दर में वृद्धि हो, कोविड-19 महामारी के नकारात्मक प्रभाव को तीव्र करता हो, नैदानिक लक्षणों में परिवर्तन हो, उसके निदान के लिये उपलब्ध टीके व चिकित्सीय उपचार अपर्याप्त साबित हों, तो उसे ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ घोषित किया जाता है।
  • इनके अलावा, डब्ल्यू.एच.ओ. ‘SARS-CoV-2 वायरस इवोल्यूशन वर्किंग ग्रुप’ के परामर्श से भी किसी वेरिएंट को ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ घोषित कर सकता है।

भारत में बढ़ते कोविड मामले और B.1.617 वेरिएंट

  • कुछ दिनों पूर्व भारत सरकार ने इस वेरिएंट को ‘डबल म्यूटेंट वेरिएंट’ कहा था, जिसे कुछ राज्यों में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि का कारण माना गया। लेकिन कोविड मामलों में वृद्धि के लिये इसे ही एकमात्र ज़िम्मेदार कारक नहीं माना जा सकता है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी कहा कि देश के 18 राज्यों में पाए गए ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ या अन्य स्ट्रैन के अलावा, कोरोना वायरस के भी एक नए ‘डबल म्यूटेंट वेरिएंट’ का पता चला है।
  • 1.617 को पहली बार यू.के. के स्वास्थ्य अधिकारियों ने ‘जाँच के अधीन वेरिएंट’ (VUI) के रूप में नामित किया था तथा व्यापक अध्ययन व मौजूदा टीकों की प्रभावशीलता के आकलन के लिये भारत से इस स्ट्रैन के नमूने भेजने का अनुरोध किया था।

विषाणु के नए वेरिएंट का बनना

  • किसी विषाणु में उत्परिवर्तन होने पर उसके वेरिएंट का निर्माण होता है। यह उत्परिवर्तन एक या एक से अधिक बार हो सकता है। वस्तुतः किसी विषाणु का लक्ष्य एक ऐसी अवस्था प्राप्त करना होता है कि वह शरीर में आसानी से रह (Cohabitate) सके। उसे सक्रिय रहने के लिये किसी शरीर की आवश्यकता होती है।
  • SARS-CoV-2 वायरस का विकास तेज़ी से हो रहा है क्योंकि इसने दुनिया भर में अत्यधिक लोगों को संक्रमित किया है। संक्रमण स्तर उच्च होने पर वायरस आसानी से परिवर्तित हो जाता है क्योंकि ऐसी स्थिति में द्विगुणन की क्षमता बढ़ जाती है।
  • वायरस का 1.617 वेरिएंट दो उत्परिवर्तनों का परिणाम हैं, जो E484Q और L452R हैं।ये दोनों वेरिएंट पहली बार भारत में पाए गए हैं। L452R म्यूटेशन कुछ अन्य 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' जैसे कि B.1.427B.1.429 में भी पाया गया है, जो अधिक संक्रामक हैं तथा एंटीबॉडी को बेअसर करने में सक्षम हो सकता है।

कोरोना वायरस के वेरिएंट का वर्गीकरण

  • ब्रिटिश सार्वजनिक स्वास्थ्य के अनुसार, यदि SARS-CoV-2 के किसी वेरिएंट को महामारी विज्ञान, प्रतिरक्षा विज्ञान या रोगजनक गुणों से युक्त माना जाता है, तो उसकी औपचारिक जाँच की जाती है।
  • इंग्लैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य ने 1.617 वंश (Lineage) से उत्पन्न होने वाले वेरिएंट को वर्ष, माह और संख्या के आधार पर ‘वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन’ (VUI) के रूप में नामित किया है। उदाहरणार्थ, भारत में पहली बार पहचाने गए तीन वेरिएंट को VUI-21APR-01, VUI-21APR-02 और VUI-21APR-03 कहा जाता है।संबंधित विशेषज्ञ समिति द्वारा एक जोखिम मूल्यांकन के बाद भारत में पहचाने जाने वाले वेरिएंट को यू.के. स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ (VOC) के रूप में घोषित किया जा सकता है।
  • दूसरी ओर, ‘अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र’ वेरिएंट्स को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है– 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट', ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ और ‘वेरिएंट ऑफ हाई कॉन्सीक्वैंस’। लेकिन अभी तक अमेरिका में ‘वेरिएंट ऑफ हाई कॉन्सीक्वैंस’ नहीं मिले हैं।
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