भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने समाशोधन निगमों (Clearing Corporations) के लिए एक तदर्थ समिति का गठन किया है।
समिति के बारे में
- अध्यक्ष : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट ।
- उद्देश्य : समाशोधन निगमों (Clearing Corporations) के स्वामित्व एवं आर्थिक संरचना की समीक्षा करना और समाशोधन निगमों द्वारा लचीले, स्वतंत्र एवं तटस्थ जोखिम प्रबंधकों के रूप में कार्य सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाना।
क्या होते हैं समाशोधन निगम
- समाशोधन निगम स्टॉक एक्सचेंज से संबद्ध ऐसे संगठन होते हैं, जो लेनदेन की पुष्टि, निपटान एवं वितरण को संभालने का कार्य करते हैं।
- इन्हें ‘समाशोधन फर्म’ या ‘समाशोधन गृह’ के रूप में भी जाना जाता है।
- यह एक वित्तीय संस्थान है जो व्यापार निपटान के लिए वित्तीय साधनों के खरीदारों एवं विक्रेताओं के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है और यह सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्ष अपने दायित्वों को पूरा करें।

- ये प्राय: डेरिवेटिव बाजार से संबद्ध होते हैं और व्यापार निपटान के लिए एक केंद्रीकृत एवं मानकीकृत तंत्र प्रदान करके प्रणालीगत जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
- वर्ष 2001 में द्वितीयक शेयर बाजार में लेनदेन के व्यापार, समाशोधन एवं निपटान को संभालने के लिए क्लियरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL) की स्थापना की गई थी।
- इसके आलावा मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज क्लियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MCXCCL), नेशनल कमोडिटी क्लियरिंग लिमिटेड (NCCL), एन.एस.ई. क्लियरिंग लिमिटेड आदि भी भारत के प्रमुख समाशोधन निगम हैं।