प्रारम्भिक परीक्षा: कोको द्वीप मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2- भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध। |
सुर्खियों में क्यों ?
- ब्रिटेन स्थित इंस्टिट्यूट चैटम हाउस की एक रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार कोको द्वीप पर अपनी सैन्य गतिवधियों को बढ़ा रहा है, जिसमें हवाई पट्टी के क्षेत्र का विस्तार और खूफ़िया समुद्री निगरानी केंद्र आदि शामिल हैं।
प्रमुख बिन्दु
- रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार अपने पड़ोसी देश चीन को कोको द्वीप को सामरिक-आर्थिक उपयोग हेतु दे सकता है।
- हालांकि म्यांमार सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है कि कोको द्वीप में चीन की कोई मौजूदगी नहीं है।
- इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "भारत इस तरह की सभी गतिविधियों पर अपनी नज़र लगातार बनाए हुए है, जिनका संबंध देश की सुरक्षा से है"।
- कई माह के रिसर्च के बाद निम्न प्रदर्शित तस्वीरें 'मैक्सर टेक्नोलॉजीज' ने जारी की हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित कोको द्वीप में निर्माण कार्य जारी है।
भौगोलिक स्थिति
- कोको द्वीप, भारत के अंडमान-निकोबार से लगभग 50 से 55 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर में स्थित है।
कोको द्वीप की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- वर्ष 1948 में म्यांमार की आज़ादी के पहले तक द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना कोको द्वीप को अपने नौसेनिक अड्डे के तौर पर उपयोग करती थी।
- म्यांमार का हिस्सा बनने के बाद 20वीं सदी के अंत तक यहां पर एक रडार स्टेशन हुआ करता था।
भारत के लिए कोको द्वीप का महत्त्व
सामरिक महत्त्व
- 1990 के दशक से चीन विस्तारवादी नीति पर काम कर रहा है और इसकी स्पष्ट झलक बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में दिखाई पड़ती है , जहां चीन बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार के साथ सहभागिता बढ़ा रहा है।
- कोको द्वीप पर चीन की उपस्थिति, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के रास्ते भारत को घेरने की चीन की योजना का एक हिस्सा है।
- ऐसे में यह द्वीप भारत की समुद्री सीमा की सुरक्षा हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
म्यांमार का चीन की तरफ झुकाव का कारण
- पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के कारण म्यांमार ने चीन का समर्थन करना प्रारंभ किया।
- आर्थिक पाबंदियों और आंतरिक राजनीतिक संकटों को झेल रहा म्यांमार चीन के लिए एक उपयुक्त सहयोगी साबित हो सकता है।
- चीन भी इसका फायदा उठाकर कोको द्वीप समूह पर एक मजबूत सैन्य उपस्थिति स्थापित करना चाहता है।
- चीन, म्यांमार का सबसे प्रमुख डिफ़ेंस सप्लायर है और दूसरा सबसे बड़ा विदेशी निवेशक भी है।
- म्यांमार, चीन को अपने नौसैनिक मार्गों और बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान करता है।
भारत के लिये म्यांमार का रणनीतिक महत्त्व
- भारत की 'नेवरहुड फर्स्ट नीति' तथा 'एक्ट ईस्ट नीति' के लिये म्यांमार की स्थिति को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
- क्योंकि यह एकमात्र दक्षिण-पूर्व एशियाई देश है, जो पूर्वोत्तर भारत के साथ सीमा साझा करता है।
- म्यांमार की भू-सामरिक अवस्थिति भारत के साथ अच्छे संबंधों की अनिवार्यता पर बल देता है; क्योंकि यह भारत तथा दक्षिण पूर्व एशिया के केंद्र में स्थित है।
डेली अभ्यास प्रश्न
प्रश्न - भारत एवं म्यांमार सीमा के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- म्यांमार एकमात्र दक्षिण-पूर्व एशियाई देश है,जिसकी स्थल सीमा भारत के साथ लगती है।
- कोको द्वीप, बंगाल की खाड़ी में स्थित भारत का हिस्सा है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा / से कथन असत्य है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर : B
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