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कॉफी विधेयक 

(मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : शासन व्यवस्था)

संदर्भ 

सरकार 80 वर्ष पुराने कॉफी अधिनियम, 1942 को नए कॉफी (संवर्धन एवं विकास) विधेयक, 2022 से प्रतिस्थापित करने की योजना बना रही है।  

कॉफी अधिनियम, 1942 की पृष्ठभूमि 

  • 1930 के दशक में भारतीय कॉफी उद्योग कीटों एवं बीमारियों से बड़े पैमाने पर क्षति और वैश्विक आर्थिक संकट जैसे कुछ प्रमुख समस्याओं का सामना कर रहा था। 
  • इससे कॉफी बागान मालिकों को अत्यधिक नुकसान हुआ, जिसके बाद कॉफी की बिक्री को बढ़ावा देने तथा भारतीय कॉफी की खपत को बढ़ाने के लिये सरकार ने कॉफी उपकर अधिनियम, 1935 पारित किया। साथ ही, पहली बार भारतीय उपकर समिति की स्थापना की गई। 
  • 1930 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के कारण समस्याएँ और बढ़ गई क्योंकि मांग में कमी और विदेशी बाजारों के नुकसान के कारण कॉफी की कीमतों में तीव्र गिरावट आई। 
  • उपकर समिति इस संकट से निपटने में सक्षम नहीं थी, इसलिये सरकार ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के नियंत्रण में कॉफी अधिनियम, 1942 के माध्यम से कॉफी बोर्ड का गठन किया। 
  • इस अधिनियम का उद्देश्य कॉफी उद्योग का विकास करना था। कॉफी बोर्ड को विपणन, उपभोग को बढ़ावा देने, वित्त, अनुसंधान एवं विकास में उद्योग का समर्थन करने का कार्य सौंपा गया था। 

पूलिंग सिस्टम  

  • कॉफी अधिनियम ने एक पूलिंग सिस्टम की शुरुआत की, जहाँ प्रत्येक उत्पादक को अपनी पूरी फसल को बोर्ड द्वारा प्रबंधित एक अधिशेष पूल में वितरित करना आवश्यक था।
  • वर्ष 1996 में पूलिंग सिस्टम को समाप्त कर दिया गया और उत्पादकों को प्रत्यक्ष रूप से प्रसंस्करण फर्मों को बेचने की अनुमति प्रदान की गई। 

कानून की समाप्ति के कारण 

  • अनुपयुक्त प्रावधानों के कारण कॉफी व्यापार एवं व्यवसाय में बाधा उत्पन्न होना। 
  • कॉफ़ी उद्योग के विकास को सुगम बनाना और प्रतिबंधात्मक तथा अनावश्यक प्रावधानों को समाप्त करना। 
  • कॉफ़ी उद्योग की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप अधिनियम प्रस्तुत करना। 
  • सभी कृषि योजनाओं का लाभ कॉफी उत्पादकों के लिये सुनिश्चित करना।
  • सरकार कॉफी बोर्ड को समाप्त नहीं करेगी बल्कि इसे वाणिज्य मंत्रालय से कृषि मंत्रालय में स्थानांतरित कर देगी।  

कॉफी (संवर्धन एवं विकास) विधेयक, 2022 का मसौदा 

  • नया मसौदा मुख्यतः भारतीय कॉफी की बिक्री और खपत को बढ़ावा देने से संबंधित है, जिसमें सरकार के न्यूनतम प्रतिबंध एवं हस्तक्षेप के साथ-साथ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म शामिल हैं। 
  • इसका उद्देश्य भारतीय कॉफी उद्योग को सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुकूल बनाने के लिये आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान को प्रोत्साहित करना है। 
  • यद्यपि कॉफी बोर्ड का विपणन पर सीमित नियंत्रण है, अतः निर्यातकों को अभी भी वैधानिक निकाय से प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी। 
  • प्रस्तावित मसौदे के अनुसार कॉफी अधिनियम, 1942 का कमोडिटी के पूलिंग और मार्केटिंग से संबंधित मूल हिस्सा अप्रवर्तनीय हो गया है।
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