संदर्भ
- हाल ही में, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग (कोलकाता) ने भारतीय पादप विविधता के ऑनलाइन रिकॉर्ड को प्रदर्शित किया है।
- भारतीय सर्वेक्षण विभाग की यह पहल पादप संरचना विज्ञानियों के लिये बहुत मददगार सिद्ध होगी।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण
- वर्ष 1840 में एक ब्रिटिश वनस्पति विज्ञानी ने अरुणाचल प्रदेश में सप्रिया हिमालयन (sapriya himalayan) प्रजाति के फूल की चित्रकला को देखा था, किंतु उस समय इसे संरक्षित नहीं किया जा सका।
- वर्ष 1842 में लुचमान सिंह नामक एक चित्रकार ने चमकीले लाल फूलों के चित्र का निर्माण कोलकाता में किया था।
विशेषताएँ
- वानस्पतिक चित्र कई अन्य पादप प्रजातियों की खोज में सहायक होते हैं, जैसे कि- यूलोफिया नूडा जो वर्ष 1862 से जी.सी. दास द्वारा आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वानस्पतिक उद्यान में संरक्षित है।
- ये वानस्पतिक चित्र न केवल इसलिये महत्त्वपूर्ण हैं कि ये प्राचीन भारतीय कलाकारों की अद्भुत कला को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि ये देश की पादप विविधता को भी दर्शाते हैं।
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग के पास बोटैनिकल पेंटिंग्स (Botanical Paintings) का सबसे बड़ा संग्रह है।
- इस प्रकार की निर्मित चित्रकारी को वनस्पति विज्ञानी रोक्स्बर्ग के नाम पर रोक्स्बर्ग चित्रकला भी कहते हैं।
- इन रंगों का निर्माण विभिन्न पादपों के प्राकृतिक अर्कों के विभिन्न संयोजनों से किया जाता है ।
- इन पादपों में शामिल हैं- रुबिया कोरडीफोलिया (Rubia Cordifolia) जिसकी जड़ से चमकदार लाल रंग का तथा बिक्सा ओरेलाना (Bicsa Orelana) जिसे लिपिस्टिक पौधा भी कहा जाता है, से बहुत ही सुंदर रंग का उत्पादन होता है ।
- भारतीय संग्रहालय के औद्योगिक विभाग में अभी भी उन बीजों, जड़ों व पौधों का अर्क संरक्षित किया जाता है, जिनका उपयोग रंग बनाने में किया जाता है।
- वाणिज्यिक रूप से महत्त्वपूर्ण इन पौधों में रेजिन, प्राकृतिक अर्क, रेशे, बीज, औषधीय व लकड़ी उत्पादन वाले पादप भी शामिल हैं।
- इसमें प्राकृतिक अर्क के साथ-साथ 18 खंड में कपड़ों के डिज़ाइन भी भारतीय सर्वेक्षण विभाग के पास संरक्षित हैं। इनमें सिल्क, सूती, मलमल तथा ऊनी रेशों को ‘टेक्सटाइल्स मैनुफक्चुरेर्स एंड कॉस्टयूम ऑफ द पीपल ऑफ इंडिया’ शीर्षक दिया गया है।
भारतीय वनस्पति विज्ञान के जनक
- स्कॉटिश वनस्पति विज्ञानी विलियम रोक्स्बर्ग को भारतीय वनस्पति वर्गीकरण में अमूल्य योगदान के लिये भारतीय वनस्पति विज्ञान का जनक भी कहा जाता है।
- इसी महीने भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने रोक्स्बर्ग चित्रकला के संपूर्ण संग्रह को डिजिटलीकृत कर दिया है।
- इस डिजिटल संग्रह में चित्रों के अलावा दुर्लभ रंग, कपड़े व कला नमूनों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
निष्कर्ष
भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा दुर्लभ संग्रह को सार्वजानिक रूप से उपलब्ध कराने में लगभग एक दशक लग गया लेकिन यह एक बड़ा कार्य था कि देश के दुर्लभ वानस्पतिक संग्रह को सार्वजानिक रूप से उपलब्ध कराया जाए, ताकि लोगों में वानस्पतिक विविधता के प्रति जागरूकता के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच का भी विकास हो।