संदर्भ
- दिल्ली में सर्दियों को लेकर हाल ही में येलो अलर्ट जारी किया गया है।
कब जारी होती है मौसम की चेतावनी
- मौसम विभाग इन अलर्ट को मौसम के खराब होने की तीव्रता के आधार पर जारी करता है।
- मौसम जितना ज्यादा गंभीर होगा, उसकी गंभीरता के हिसाब से विभाग के अलर्ट का रंग बदलता है।
- सबसे भीषण स्थिति के मौसम विभाग की तरफ से रेड अलर्ट जारी किया जाता है।
कलर-कोडेड अलर्ट
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, "मौसम की घटनाओं की गंभीरता को समझने के लिए मौसम की चेतावनी में रंग कोड का उपयोग किया जाता है"।
- इसका मुख्य उद्देश्य संबंधित अधिकारियों और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को "मौसम के प्रभाव के बारे में" आगाह करना है, ताकि उन्हें आपदा जोखिम न्यूनीकरण से संबंधित आवश्यक कार्रवाई के लिए तैयार रखा जा सके।"
ग्रीन अलर्ट
- इस अलर्ट का मतलब होता है सबकुछ ठीक है और कोई एक्शन लेने की जरूरत नहीं है।
- मौसम विभाग की तरफ से ग्रीन अलर्ट की स्थिति में कोई चेतावनी नहीं दी जाती है।
येलो अलर्ट
- खतरे के प्रति सचेत रहें। मौसम विभाग किसी भी प्राकृतिक आपदा से पहले लोगों को सचेत करने के लिए येलो अलर्ट जारी करता है।
ऑरेंज अलर्ट
- खतरे की पूरी संभावना हैं आप तैयार रहें। मौसम विभाग के अनुसार जैसे-जैसे मौसम और खराब होता है तो येलो को अपडेट करके ऑरेंज कर दिया जाता है। ऑरेंज अलर्ट जारी होने पर लोगों को इधर-उधर जाने के प्रति सावधानी बरतने के लिये कहा जाता है।
रेड अलर्ट
- इसका अर्थ है स्थिति खतरनाक है। मौसम विभाग के मुताबिक जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने की आशंका होती है तो विभाग की ओर से रेड अलर्ट जारी कर दिया जाता है।
विशिष्ट ढाँचे का प्रयोग
- आईएमडी का कहना है कि 5-दिवसीय पूर्वानुमान योजना के तहत किसी दिए गए मौसम की स्थिति को रंग तय करने के लिए, एक विशिष्ट मैट्रिक्स का पालन किया जाता है।
- प्रभाव के आकलन के लिए निम्नलिखित मैट्रिक्स का इस्तेमाल किया जाता है-