(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य विज्ञान) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3 : स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव) |
संदर्भ
‘कोलन कैंसर सिम्पोजियम, 2025’ में कोलोरेक्टल कैंसर की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की गयी और इसके शीघ्र पहचान व उपचार के लिए स्क्रीनिंग की आवश्यकता पर बल दिया गया।
कोलोरेक्टल (Colorectal या Bowel) कैंसर के बारे में
- कोलोरेक्टल (आँत) कैंसर बड़ी आँत में होने वाला कैंसर है। यह कोलन (Colon) या मलाशय (Rectal) के ऊतकों में विकसित होता है जोकि पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कोलन में होने वाले कैंसर को ‘कोलन कैंसर’ और मलाशय में शुरू होने वाले कैंसर को ‘रेक्टल कैंसर’ कहा जाता है।
- कोलन (Colon), बड़ी आँत (Large Intestine) का सबसे लंबा हिस्सा होता है। यह भोजन से पानी और कुछ पोषक तत्वों को अवशोषित करता है तथा बचे हुए अपशिष्ट उत्पादों को मल में बदल देता है।
- मलाशय (Rectum) बड़ी आँत का सबसे निचला हिस्सा होता है जो शरीर के मल को संग्रहीत करता है।
- इसके लक्षणों में आँत के पैटर्न में परिवर्तन (कब्ज, दस्त या दस्त एवं कब्ज के बीच की स्थिति), हीमोग्लोबिन में कमी, मल में रक्त, भूख में कमी, थकान, कमजोरी एवं अचानक से वजन कम होना शामिल हैं। हालाँकि, कुछ व्यक्तियों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

कोलोरेक्टल कैंसर से संबंधित प्रमुख आँकड़े
- कोलोरेक्टल कैंसर भारत में छह सबसे आम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर में से एक एवं चौथा सबसे आम कैंसर है।
- विगत एक दशक भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में में 20% की वृद्धि देखी गई है।
- पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में इसके मामले कम होने के बावजूद यह देश में कैंसर से होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण है। हालाँकि, समय रहते निदान से इसके 95% मामलों का उपचार किया जा सकता है।
- भारत में 10,000 में से एक व्यक्ति कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित होता है तथा देरी से निदान के कारण इससे पीड़ित तीन में से दो व्यक्तियों की मौत हो जाती है।
- यह प्राय: 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को प्रभावित करता है। किंतु भारत में इनमें से लगभग एक-तिहाई कैंसर 40 से 50 वर्ष की आयु के लोगों को प्रभावित करते हैं। इस कैंसर से महिलाओं की तुलना में पुरुष अधिक प्रभावित होते हैं।
जोखिम कारक
- कोलन कैंसर या पॉलीप्स की पारिवारिक पृष्ठभूमि
- पॉलीप्स का व्यक्तिगत इतिहास
- इंफ्लेमेटरी बॉउल डिजीज (IBD)
- हेरेडिट्री आनुवंशिक कैंसर सिंड्रोम : लिंच सिंड्रोम (हेरेडिट्री नॉन-पॉलिपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर) और फैमिलियल एडेनोमेटस पॉलिपोसिस (FAP)
- गतिहीन जीवन शैली के कारण मोटापा
- लाल एवं प्रसंस्कृत मांस का अत्यधिक सेवन
- धूम्रपान एवं शराब का सेवन
नैदानिक परीक्षण व उपचार
- साधारण मल परीक्षण (Stool Test) के पॉजिटिव होने की स्थिति में कोलोनोस्कोपी की जाती है। यह पूरे बृहदांत्र एवं मलाशय की आँतरिक परत (म्यूकोसा) की एंडोस्कोपिक जांच है। बृहदांत्र की कोलोनोस्कोपी को ‘स्क्रीनिंग कोलोनोस्कोपी’ कहते हैं।
- कोलोनोस्कोपी द्वारा बृहदांत्र की जांच प्रक्रिया के दौरान कैंसर-पूर्व ‘पॉलीप्स’ (बड़ी आँत के म्यूकोसा से उत्पन्न होने वाले मांसल घाव) की पहचान करके इस कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है।
- इसके उपचार में एंडोस्कोपिक पॉलीपेक्टॉमी द्वारा कैंसर-पूर्व पॉलीप्स को हटाना, एंडोस्कोपिक म्यूकोसल रिसेक्शन द्वारा उपचार, सर्जरी, एंडोस्कोपिक स्टेंटिंग, कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी शामिल हैं।