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भारत और यूरोपीय संघ के मध्य सहयोग के साझा प्रयास

(प्रारंभिक परीक्षा-राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 8 मई को‘भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं के शिखर सम्मेलन’ में शामिल हुए। भारत और यूरोपीय संघ ने व्यापार और निवेश साझेदारी को बढ़ाने के उपायों पर पहले कई बार बातचीत की है। इस शिखर सम्मेलन में यह आशा की जा रही है कि दोनों पक्षमुक्त व्यापार समझौते परवार्ता को पुनःशुरू करने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखा सकते हैं। 

भारत-यूरोपीयसंघ नेताओं काशिखर सम्मेलन, 2021

  • यूरोपीय परिषद् के अध्यक्ष श्री चार्ल्स मिशेल के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में यूरोपीय परिषद् की बैठक में हिस्सा लेंगे। भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक की मेज़बानी पुर्तगाल के प्रधानमंत्री श्री एंटोनियोकोस्टा करेंगे। वर्तमान में यूरोपीय संघ के परिषद् की अध्यक्षता पुर्तगाल के पास है।
  • प्रधानमंत्री मोदी यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों व शासनाध्यक्षों के साथ इस बैठक में भाग लेंगे। इस बैठक में शामिल होने वाले नेता कोविड-19 महामारी और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सहयोग, स्थायी एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने, भारत-यूरोपीय संघ के बीच आर्थिक साझेदारी को मज़बूत करने के साथ-साथ आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के संदर्भ में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।
  • भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की यह बैठक राजनीतिक रूप से मील का पत्थर सिद्धहोगी, जो जुलाई 2020 में हुए 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के बाद से आपसी संबंधों में आई तेज़ी को आगे और मज़बूत करेगा। 

भारत-यूरोपीय संघ की मुक्त व्यापार समझौते संबंधी संभावनाएँ

  • गतशिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों के नेताओं ने सहयोग के दायरे को और अधिक मज़बूत करने व इसमें व्यापकता लाने तथा बहुपक्षवाद का बचाव करने एवं जलवायु परिवर्तन का सामना करने पर जोर दिया। साथ ही, हरित अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण,डिजिटल भविष्य को सुरक्षित करने, कनेक्टिविटी को बढ़ाने और राजनीतिक व सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर सहयोग के लिये मिलकर कार्य करने का भी निर्णय लिया गया था।
  • इस बैठक में भी इन सभी क्षेत्रों में प्रगति की उम्मीद है, जिसके कई कारण हैं। उदाहरणस्वरूप यूरोपीय संघ और भारत वर्तमान में एक संयुक्त कनेक्टिविटी साझेदारी पर कार्य कर रहे हैं। एक अन्य प्राथमिकता जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई है, जो संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के 26वें सम्मेलन (COP 26) का पूर्वगामी प्रयास है। हरित और डिजिटल संक्रमण यूरोपीय संघ और भारत दोनों की साझा प्राथमिकताएँ हैं।
  • यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार एवं निवेश संबंधों को आगे बढ़ाने के एजेंडे पर कई बार चर्चा हो चुकी है, जिसमें बाज़ार पहुँच समाधान जैसे मुद्दे शामिल हैं। साथ ही, महत्वाकांक्षी, संतुलित और व्यापक व्यापार व निवेश समझौतों, बाज़ारपहुँच के मुद्दों के समाधान के लिये एजेंडा वनियामक सहयोग, सुरक्षित व लचीलीमूल्य शृंखला तथा डब्ल्यू.टी.ओ. में सुधार जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्णसहयोग की उम्मीद है। 

5जी व कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मुद्दे

  • मुक्तव स्वतंत्र समाज और लोकतांत्रिक देशों के रूप में यूरोपीय संघ तथा भारत विश्व स्तर परएक सुरक्षित, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के अनुकूल और व्यक्तिगत अधिकारों व स्वतंत्रता के पूर्ण सम्मान के साथ डिजिटल संक्रमण को सुनिश्चित करने के लिये एक साथ काम कर सकते हैं।उदाहरण के लिये, डाटा सुरक्षा के मामले में ई.यू.की जी.डी.पी.आर.(GDRP) को प्रायः एक प्रासंगिक मिसाल के रूप में पेश किया जाता है। साथ ही, दोनों पक्षों ने सृजनकारी संवाद स्थापित किया है, क्योंकि डाटा का मुक्त प्रवाह दोनों पक्षों के हित में है।
  • दोनों पक्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिये एक विश्वसनीय व मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की वकालत करते हैं और इसके लिये ए.आई.पर एक संयुक्त कार्य समूह कागठन करने वाले हैं।
  • इसके अतिरिक्त,दोनों पक्षों के लिये साइबर स्पेस एक अन्य साझा चिंता है, विशेषकर तब, जब 5जी को शुरू करने की बात की जा रही है।इसके लिये यूरोपीय संघ ने एक ‘टूलबॉक्स’ विकसित किया है, जो जोखिम व कमज़ोरियों को कम करने के लिये एक उद्देश्य प्रक्रिया को परिभाषित करता है। साथ ही, संवेदनशील नेटवर्क परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिये आपूर्तिकर्ताओं को मानकों के संदर्भ मेंमार्गदर्शन प्रदान करता है। 

कोविड के विरुद्ध सहयोग

  • यूरोपीय संघ और उसके 27 सदस्य देश इस कठिन समय में, ‘टीम यूरोप’के साथ मिलकर भारत का समर्थन कर रहे हैं। इसके लिये यूरोपीय संघ के नागरिक सुरक्षा तंत्र को सक्रिय कर दिया गया है, जो सदस्य राज्यों से प्रतिक्रिया, पूलिंग विशेषज्ञता, क्षमता एवं परिवहन का समन्वय कर सकता है।
  • कोविड वैक्सीन के संदर्भ में, यूरोपीय संघ व अफ्रीकी देशों के लिये कोवैक्स (COVAX) सुविधा के आरंभकर्ताओं में से एक है और इसके लिये यूरोपीय संघ ने बड़े स्तर पर दान भी किया है। कोवैक्स में भारत की भूमिका वैक्सीन के वैश्विक निर्माता के रूप मेंहै।
  • उल्लेखनीय है कि कोवैक्स परियोजना निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये वैक्सीन उपलब्ध कराने की एक वैश्विक पहल है। इस प्रकार, भारत की तरह यूरोपीय संघ का भी दृष्टिकोण घरेलू ज़रूरतों को पूरा करते हुए एकजुटता और पारदर्शिता पर आधारित है। 

यूरोपीय संघ की नजर में हिंद-प्रशांत रणनीति और चीन : भागीदार या प्रतियोगी

  • भविष्य की दुनिया का मार्ग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नवाचार, आर्थिक विकास एवं जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई या डिजिटल संक्रमण से होकर गुज़रता है।यूरोपीय संघ परिषद्द्वारा हाल ही में अपनाया गया दृष्टिकोण इस बात को स्पष्ट करता है कि यूरोपीय संघ स्वयं को इस क्षेत्र में एक प्रमुख हितधारकमानता है और समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम करना चाहता है, जिसमें विशेष रूप से भारत शामिल है।
  • हिंद-प्रशांत के लिये यूरोपीय संघ की भविष्य की रणनीति का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता, समृद्धि और सतत विकास में योगदान करना है।यूरोपीय संघ ने ‘समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’(UNCLOS) सहित लोकतंत्र, कानून के शासन, मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने रणनीतिक फोकस को मज़बूत करने का निर्णय लिया है।ये सिद्धांत व उद्देश्य दोनों पक्ष साझा करते हैं और इसके लिये यूरोपीय संघ व भारतनियम-आधारित विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देंगे।
  • यूरोपीय संघ का चीन के साथ बहुपक्षीय संबंध है, जो इस समय जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों परएक प्रतियोगी व प्रणालीगत प्रतिद्वंद्वी के रूप में वार्ता भागीदार है।हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यूरोपीय संघ की चीन के साथ सहयोग की रणनीति वर्ष 2019 के रणनीतिकआउटलुक में प्रस्तुत दृष्टिकोण के अनुरूपहै। यूरोपीय संघ यह मानता है कि उसे अपने मूल्यों पर अडिग रहकर स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ कई दबाव वाले मुद्दों पर चीन के साथ काम करने कीआवश्यकता है।
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