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समुद्री साइनोबैक्टीरिया में संचार

कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, समुद्री साइनोबैक्टीरिया (Marine Cyanobacteria) संचार में सक्षम होते हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष

  • इस अध्ययन के अनुसार, ये एक प्रकार के नेटवर्क के रूप में कार्य कर सकते हैं जिसमें ये परस्पर क्रिया करते हैं।
  • ये जीव पृथक होने की स्थिति में कार्य नहीं करते हैं बल्कि मेम्ब्रंस-नैनोट्यूब (Membrane-Nanotubes) के माध्यम से शारीरिक रूप से संवाद करते हैं, जो कोशिकाओं के बीच विनिमय पुल के रूप में कार्य करते हैं।

समुद्री साइनो बैक्टीरिया के बारे में 

  • समुद्री साइनोबैक्टीरिया 3.5 मिलियन वर्ष पूर्व के प्रकाश संश्लेषक सूक्ष्म जीवाणुओं का एक प्राचीन समूह है। ये बायोएक्टिव सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स (Bioactive Secondary Metabolites) के विपुल उत्पादक होते हैं।
    • बायोएक्टिव पौधों एवं कुछ खाद्य पदार्थों (जैसे- फल, सब्जियाँ, मेवे, तेल व साबुत अनाज) में थोड़ी मात्रा में पाया जाने वाला एक प्रकार का रसायन है। बायोएक्टिव यौगिकों से शरीर में होने वाली क्रियाएँ अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकती हैं।
    • सामान्यत: द्वितीयक या सेकेंडरी मेटाबोलाइट्स प्राइमरी मेटाबोलाइट्स के उत्पाद होते हैं और मिथाइलेशन, ग्लाइकोसिलेशन एवं हाइड्रॉक्सिलेशन सहित जैवसंश्लेषण संशोधनों से उत्पन्न होते हैं। ये सीधे वृद्धि एवं विकास में शामिल नहीं होते हैं। 
  • इनमें कई प्राकृतिक गुण होते हैं जो इन्हें कई जैव-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। सायनोबैक्टीरिया (नील-हरित शैवाल) ग्राम-निगेटिव यूबैक्टेरिया (Gram-negative Eubacteria) हैं। 
    • यूबैक्टीरिया बैक्टीरिया का एक वृहत समूह है जिसमें कठोर कोशिका भित्ति, फ्लैगला, डी.एन.ए. (एकल गोलाकार गुणसूत्र) और केंद्रक के बिना एक कोशिका होती है। यूबैक्टीरिया के अंतर्गत आर्कबैक्टीरिया को छोड़कर सभी प्रकार के बैक्टीरिया (ग्राम-पॉजिटिव एवं ग्राम-नेगेटिव) शामिल हैं।
  • ये अपनी विशाल आकृति एवं शारीरिक विविधता के कारण स्थलीय, ताजे पानी, अपशिष्ट जल व समुद्री आवासों में व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
  • पृथ्वी पर मौजूद जैविक कार्बन का अनुमानित 20-30% सायनोबैक्टीरिया से प्रकाश संश्लेषक कार्बन स्थिरीकरण से प्राप्त होता है।
  • साइनोबैक्टीरिया समुद्री वातावरण में प्राथमिक नाइट्रोजन- स्थिरीकरण सूक्ष्मजीवों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। 

समुद्री साइनो बैक्टीरिया की भूमिका 

  • समुद्री सायनोबैक्टीरिया कार्बन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जिनसे फसल एवं पौधों के क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश संश्लेषक CO2 स्थिरीकरण की दक्षता में सुधार करके उनकी उपज में वृद्धि हुई।
  • ये जीव ग्रह पर सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले प्रकाश संश्लेषक जीव हैं जो महासागरों के लिए एक वास्तविक ‘फेफड़े’ का प्रतिनिधित्व करते हैं और जीवन निर्वाह के लिए अपरिहार्य हैं।
  • समुद्री साइनोबैक्टीरिया में मूल्यवान शक्तिशाली मेटाबोलाइट्स होते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण औषधीय गतिविधियाँ होती हैं। 

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