जन्म के पश्चात शिशु की गर्भनाल (प्लेसेंटा) में बचे रक्त को भविष्य में चिकित्सकीय उपयोग हेतु एकत्रित करके प्रशीतित अवस्था में संग्रहित करने की प्रक्रिया को गर्भनाल रक्त बैंकिंग कहते हैं।
सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग, स्टेम सेल्स बैंकिंग का ही एक शेयरिंग मॉडल है। इसमें माता-पिता या अभिभावक अपने बच्चे के गर्भनाल रक्त को संग्रहित रखने के लिये सहमति प्रदान करते हैं। इसके लिये उन्हें निर्धारित शुल्क चुकाना होता है। इस समुदाय के सदस्य आपस में एक-दूसरे की आवश्यकतानुसार सहायता कर सकते हैं तथा किसी ग़ैर सदस्य को इसमें शामिल नहीं किया जाता है।
गर्भनाल के रक्त में विशेष प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं जिन्हें स्टेम सेल्स कहते है। इनमें रक्त कोशिकाओं के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है जिससे भविष्य में कई प्रकार के रोगों का निदान किया जा सकता है।
ध्यातव्य है कि वर्ष 2017 में लाइफ़सेल कम्पनी द्वारा शुरू की गई सामुदायिक कॉर्ड ब्लड बैंकिंग की सहायता से महाराष्ट्र में गम्भीर रक्त विकार (अप्लास्टिक एनीमिया) से पीड़ित बच्ची की जान बचाई गई है।