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गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर नियंत्रण

चर्चा में क्यों?

आर.बी.आई. ने बैंकों की तरह गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिये ‘त्वरित समाधान कार्रवाई’ (Prompt Corrective Action: PCA) फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • यह फ्रेमवर्क 1 अक्टूबर, 2022 से सभी मध्य, उच्च एवं उच्चतम स्तरों पर ज़मा स्वीकार करने और स्वीकार न करने वाली एन.बी.एफ़.सी. पर लागू होगा।
  • इसका उद्देश्य वित्तीय बाज़ार में एन.बी.एफ़.सी. के कार्यप्रणाली पर नज़र रखने के साथ उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। 

    शामिल संस्थान

    • इसके अंतर्गत निवेश करने और ऋण देने वाली कंपनियों, आधारभूत संरचना ऋण निधि, आधारभूत संरचना वित्त फर्म और सूक्ष्म वित्तीय कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा।
    • सरकारी स्वामित्व वाली एन.बी.एफ़.सी., प्राथमिक डीलरों और हाउसिंग फाइनेंस फर्मों को इससे बाहर रखा जाएगा।  

    गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी

    • ये कंपनी अधिनियम, 1956 के अंतर्गत पंजीकृत होती है। इनमें ऐसी संस्थाओं को शामिल नहीं किया जाता है, जिसका मुख्य कारोबार कृषि, उद्योग व व्यापार गतिविधियों से संबंधित हैं।
    • इनका मुख्य कार्य उधार देना, विभिन्न प्रकार के शेयर, स्टॉक, बांड्स, डिबेंचर्स, प्रतिभूतियों, बीमा व चिट संबंधी कारोबार में निवेश करना तथा किसी योजना के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करना है।
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